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Breaking News : जिले के कई पंचायतों में षष्टम वित्त आयोग की राशि में घोटाले की आशंका, रिपोर्ट तबल

जिले के कई पंचायतों में षष्टम वित्त आयोग की राशि में घोटाले की आशंका, रिपोर्ट तबल

नवादा लाइव नेटवर्क।

नवादा जिले के विभिन्न पंचायतों में षष्टम वित्त आयोग की राशि में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है। बिना योजना चयन, स्वीकृति व काम कराए बैंक खाते से राशि निकासी की बात सामने आ रही है। इसमें मुखिया पद पंचायत सचिवों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। विभिन्न श्रोतों से मिल रही शिकायतों के बाद जिला प्रशासन गंभीर हो गया है। सभी प्रखंडों के बीपीआरओ व बीडीओ से इस बावत रिपोर्ट मांगी जा रही है। रिपोर्ट आने के बाद स्थिति साफ होगी। कुछ पंचायतों की शिकायतें मिलने के बाद पत्राचार किया गया है। हालांकि,संबंधित मुखिया व सचिव ऐसे आरोपों से इंकार कर रहे हैं।


सूत्र बता रहे हैं कि अकबरपुर प्रखंड के बड़ैल पंचायत में 10 लाख रुपये की निकासी बिना योजना चयन व स्वीकृति का कर लिया गया है। इसके पूर्व मेसकौर प्रखंड के बीजू बिगहा पंचायत सचिव सत्येंद्र प्रसाद पर भी इसी मद के 6 लाख रुपये की अवैध निकासी का मामला सामने आने के बाद वहां के बीडीओ ने जवाब-तलब किया था। कौआकोल प्रखंड के खड़सारी पंचायत से भी इसी प्रकार की शिकायतें हैं। यहां दो लाख रुपये निकासी की शिकायत है। 

लगातार मिल रही शिकायतों की सच्चाई क्या है इसकी पड़ताल के लिए जिला पंचायत कार्यालय द्वारा बीडीओ व बीपीआरओ को पत्राचार कर जांच रिपोर्ट की मांग की जा रही है। आशंका इस बात की है कि कहीं ज्यादातर पंचायतों में यह गड़बड़ी सामने आ गई तो विषम परिस्थितियां उत्पन्न हो जाएगी। अधिकारी बताते हैं कि सभी पंचायत के खाते में इस मद की राशि सीधे ट्रांसफर की गई है।

एक-एक पंचायत को दिया गया है 15-20 लाख रुपये

जाकारों के अनुसार मार्च महीने में सभी पंचायतों को षष्ठम वित्त आयोग की राशि उपलब्ध कराई गई। एक-एक पंचायत को 15-20 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं। जिले में 182 पंचायत हैं। समझा जा सकता है कितनी बड़ी राशि यह है। सबसे पहले मेसकौर प्रखंड के बीजू बिगहा में यह मामला सामने आया। खबर सुर्खियां बनी तो अन्य प्रखंडों से भी शिकायतें आने लगी है। इस मद की राशि गली-नाली, भवन निर्माण,  फर्निचर, पेयजल व्यवस्था अादि पर खर्च किया जाना है।

पूर्व में भी फंसते रहे हैं मुखिया-सचिव

सरकारी खाते से अवैध राशि की निकासी में पूर्व में भी जिले के मुखिया व पंचायत सचिव फंसते रहे हैं। खासकर नल-जल योजना की राशि में कई मुखिया ने लाखों रुपये डकार लिए थे। जिसमें प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई थी। पदच्यूत भी किए गए थे। इस प्रकरण में आने वाले दिनों में स्थिति साफ होगी कि कहां क्या हुआ और प्रशासन के स्तर से क्या कार्रवाई होती है।

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