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Nawada News : चेहरे पर कुटिल मुस्कान, जा रहें हैं...

  


नवादा में काहिल पुलिस अफसरों को है अच्छे दिन का इंतजार, चेहरे पर है कुटिल मुस्कान, जा रहे हैं...

नवादा लाइव नेटवर्क। 

पिछले पांच_छह दिनों से वर्दी वाले महकमे में एक विवाद छिड़ा है। पांच अफसरों को थाना हाजत में बंद करने के बाद ऐसी स्थिति बनी है कि एक तबका खुश है। चेहरे पर कुटिल मुस्कान है। वे मान बैठे हैं कि,...साहब जा रहे हैं। 

दरअसल, कांडों के निष्पादन में लापरवाही पर नवादा एसपी डा गौरव मंगला इस कदर भड़क गए थे कि एक साथ 2 दारोगा और 3 जमादार को वर्दी में ही थाना हाजत में बंद करा दिया था। यह वाक्या 8 सितंबर की रात का था। 

अगले दिन 9 सितंबर की सुबह वॉट्सएप यूनिवर्सिटी में खबर वायरल कराई गई। बात इतने पर नहीं रुकी, इसे बिहार पुलिस एसोसियेशन तक पहुंचाई गई। एसोसियेशन के अध्यक्ष ने पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखा। मामले की जांच और एसपी पर एफआईआर की मांग की गई। 

अध्यक्ष का पत्र 10 सितंबर को प्रेस को भी जारी किया गया। वाट्सएप यूनिवर्सिटी में भी पत्र को दौड़ाया गया। कुछ घंटे बाद थाना हाजत का वह वीडियो भी वायरल किया गया जिसमें 5 पुलिस अफसर हाजत में दिखे।


मामले पर पुलिस मुख्यालय को पक्ष रखना पड़ा। एडीजी मुख्यालय जेएस गंगवार का बयान आया कि मामले की जांच कराई जाएगी। उनका बयान आने के साथ ही जिला पुलिस का एक तबका खुश हो गया। चेहरे पर कुटिल मुस्कान दिखने लगी। एसपी तो गए।  

एसपी ने क्या सही और क्या गलत किया, विवाद छिड़ा हुआ है। बिहार पुलिस एसोसियेशन के अध्यक्ष का कहना है कि पदाधिकारी लापरवाही करते हैं तो पुलिस मैन्यूल में दंड देने का प्रावधान है। उनके कहने का आशय है कि प्रावधान में हाजत में बंद करना नहीं है। हम भी मानते हैं कि एसपी की यह कार्रवाई सही नहीं थी। लेकिन, उसके बाद जो कुछ हुआ वह सही था?


 
थाना हाजत के सीसीटीवी फुटेज की गोपनीयता को भंग करना कहां तक सही था? आगे अगर जांच हुई तो इस मामले में किसपर आंच आएगी? इससे भी बड़ा सवाल कि अगर जांच में सीसीटीवी की गोपनीयता को भंग करने वालों पर अनुशासनिक कार्रवाई की गई तो पुलिस एसोसियेशन इसे जायज मान लेगा?

इन सवालों के जवाब तो तब सामने आएगा जब जांच शुरू होगी। हां, कांडों के निष्पादन में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ पुलिस मैन्यूल के अनुसार आगे एसपी के द्वारा कोई कार्रवाई की गई तो वह संबंधित पुलिस पदाधिकारियों को स्वीकार होगा, यक्ष सवाल है।

घटना का वीडियो देखें_

ब, बात करते हैं दूसरे पहलू की। आखिर एसपी को ऐसा कदम क्यों उठाना पड़ा। अगर एसपी सीधी कार्रवाई कर देते तब भी वही अफसर इसे जायज मान लेते? 

दरअसल, पूरे मामले को देखा जाए तो इस खेल में कुछ लोग (पुलिस वाले) अपना उल्लू सीधा करने में जुटे हैं।

यह घटना नवादा नगर थाना की है। इस थाना का हाल किसी से छिपी नहीं है। बताया जाता है कि अधिकांश अफसरों पर किसी की नकेल नहीं है। सब अपनी मर्जी के मालिक हैं। काम काज का अपना ढर्रा है। ऐसे में न तो अपराध और अपराधियों पर नियंत्रण लग पा रहा है, न ही कांडों का निष्पादन ही हो पा रहा है।

बात सिर्फ नगर थाना तक की ही नहीं है। हाल के दिनों में एक बंदी की मौत पर शाहपुर ओपी की प्रभारी विभा कुमारी नप गई। वारिसलीगंज के थानाध्यक्ष राजीवी पटेल लापरवाही में ही नपे। आए दिन हो रही आपराधिक घटनाएं पब्लिक के बीच में पुलिस की किरकिरी हो रही है।

आलम ये है कि अफसर खुद को किसी के नियंत्रण में मानने को तैयार ही नहीं हैं। यही कारण है कि इनकी लापरवाही ही नहीं उदंडता भी सामने आती रहती है। एसपी_डीएसपी जैसे नियंत्री पदाधिकारी भी कभी कभी आपा खो बैठते हैं।

जहां, तक एसपी डा गौरव मंगला की बात है तो करीब 5 माह के कार्यकाल में पब्लिक की ओर से कोई शिकायत नहीं आई है। उनसे मिलने वाले यही कहते हैं अच्छे से मिले और सही तरीके से बात भी सुनी। न्याय का भरोसा दिलाया है। साफ है कि न्याय प्रिय ऑफिसर हैं। सिस्टम की पुलिसिंग चाहते हैं। 

लेकिन, उनसे कदम ताल मिलाने को अफसर तैयार नहीं हैं। जबकि अफसरों को अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा और बॉस के संदेशों को फॉलो करना होगा। नहीं तो दंड के भागीदार तो बनेंगे ही। तरीका बदला हुआ हो सकता है। संभव है पुलिस मैन्यूल के अनुसार ही दंड मिले। आखिर नियंत्री पदाधिकारी को भी ऊपर जवाब देना होता है। 

इधर, यह प्रकरण सामने आने के बाद नवादा की पब्लिक भी बंट गई। कोई इसे पुलिस का पुलिस पर ही दमन बताने लगा तो कोई एसपी के पक्ष लेकर कार्रवाई को सही बताने लगे। सोशल मीडिया पर खूब तर्क वितर्क हुआ। आम तौर पर लोग एसपी के पक्ष में दिखे।

फिलहाल, पुलिस मुख्यालय के स्तर से जांच और कार्रवाई का इंतजार सभी को है। एसोसियेशन लगातार एसपी पर कार्रवाई का दवाब बना रहा है।

अंत में, हम यही कह सकते हैं कि हर पुलिसवाले को यह समझना चाहिए कि उनका कर्तव्य क्या है? खासकर, नवादा जैसे संवेदनशील जिले में तैनाती हो तब इसकी जरूरत ज्यादा होती है।

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