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Modern Campus : वायलिन के सुर-सागर में डूबकर सराबोर हुए मॉडर्न के बच्चे, सर चढ़कर बोला शास्त्रीय संगीत का जादू

  


वायलिन के सुर-सागर में डूबकर सराबोर हुए मॉडर्न के बच्चे, सर चढ़कर बोला शास्त्रीय संगीत का जादू

स्पिक मैके के सौजन्य से आयोजित हुआ कार्यक्रम, कलाकारों को किया गया सम्मानित

शास्त्रीय संगीत की महान परंपरा का संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार वर्तमान पीढ़ी की जिम्मेदारी : विद्वान मैसूर मंजूनाथ

नवादा लाइव नेटवर्क।

भारतीय कला एवं संस्कृति की विरासत को सहेजने एवं देश के किशोर और युवाओं का परिचय इनसे करवाने के लिए समर्पित संस्था स्पीक मैके एवं मॉडर्न इंगलिश स्कूल, नवादा के संयुक्त तत्वावधान में विद्यालय के न्यू एरिया एवं कुंतीनगर के बहुद्देश्यीय सभागार में एक भव्य संगीत-समागम का आयोजन किया गया। जिसमें दक्षिण भारत से कर्नाटक राज्य के ऐतिहासिक शहर मैसूर से पधारे प्रसिद्ध वायलिन वादक विद्वान मैसूर मंजूनाथ और उनके पुत्र सुमंत मंजूनाथ तथा बेंगलुरु से आए मृदंगम के विद्वान अर्जुन कुमार एवं कोलकाता से पधारे घट्टम वादक विद्वान सोमनाथ राय ने संगीत का ऐसा अद्भुत वातावरण निर्मित किय कि विद्यालय के विद्यार्थी, शिक्षकगण एवं अन्य सभी दर्शक संगीत-सागर में खो गए।

        इस कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ विद्यालय के निदेशक डॉ. अनुज कुमार के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। मंगलदीप प्रज्वलन के पश्चात उन्होंने पुष्पगुच्छ एवं अंगवस्त्र देकर कलाकारों का स्वागत किया। उन्होंने सभागार में उपस्थित छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय शास्त्रीय संगीत संसार के समस्त संगीत-श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ एवं अतुलनीय है। विश्व में हमारे भारत की विशिष्ट पहचान यहाँ के विविध एवं उत्कृष्ट संगीत-परंपराओं एवं घरानों के कारण भी होता है। 

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दुख की बात यह है कि हमारे देश की वर्तमान युवा पीढी ऐसे महान परंपरा से अनजान होकर पश्चिमी संगीत में सुख ढूंढते हैं। मॉडर्न स्कूल विद्यार्थियों में अपनी परंपरा एवं मूल्यों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए स्पिक मैके से हर कदम पर सहयोग कर रहा है और ऐसे कार्यक्रमों के द्वारा उनमें जागरूकता बढ़ भी रही है। 

        वायलिन वादन राग कीरवाणि से प्रारंभ हुआ औरसंत कवि नरसी मेहता के प्रसिद्ध भजन रघुपति राघव राजा राम के संगीतमय प्रस्तुति से पूर्ण हुआ। प्रश्नोत्तर काल में कलाकारों ने अपने वाद्ययंत्रों एवं उनके बजाने के विधियों का विषय में छात्र-छात्राओं का शंका-समाधान किया। कार्यक्रम के संयोजक के रूप में उपस्थित स्पिक मैके के बिहार समन्वयक मनीष कुमार जी ने स्पिक मैके की स्थापना की प्रेरणा के बारे में बताया और संस्थापक डॉ. किरण सेठ जी के योगदानों को रेखांकित किया। वायलिन वादक विद्वान मैसूर मंजूनाथ जी ने कला का उदाहरण देते हुए छात्रों को बताया कि कहा जाता है कि संगीत समझने से ज्यादा महसूस करने की चीज है।

 जैसा कि आपने देखा कि हम सभी कलाकारों ने जो अलग-अलग हिस्से से हैं पूर्व में कोई अभ्यास नहीं किया और आपके समक्ष प्रस्तुति दे रहे हैं यही हमारी संगीत की उत्कृष्टता का प्रतीक है। संगीत संवाद होता है और जीवन का अभिन्न हिस्सा होता है। हमारी संस्कृति में इस परंपरा को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी हमारी है क्योंकि इसका संबंध हृदय से है, मानवता से है। 

इस अवसर पर विद्यालय के उपप्राचार्य सुजय कुमार, एमके विजय, सहित विद्यालय के शिक्षकों मुकेश कुमार, अभिषेक कुमार, अशोक कुमार, बिपुल सिंह, अंजना दीक्षित सहित विद्यालय के शिक्षक, कर्मचारीगण एवं संगीत प्रेमी उपस्थित थे।







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