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सबसे ताकतवर वायु सेना फिर यूक्रेन के खिलाफ क्यों नहीं इस्तेमाल कर रहा रूस ?



यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को सात दिन हो चुके हैं। यूक्रेन की अपेक्षा रूसी सेना कई गुना ज्यादा शक्तिशाली है। इसके बावजूद यूक्रेन की राजधानी कीव और दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव पर रूस का कब्जा नहीं हो सका है। युद्ध के पहले अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि रूस अपनी वायु शक्ति का इस्तेमाल कर यूक्रेन पर हमला करेगा। लेकिन, पिछले छह दिनों में रूस ने अपनी वायु सेना की जगह अपनी थल सेना पर ज्यादा भरोसा किया है। रूस के अपनी वायु सेना के इस्तेमाल न करने को लेकर अमेरिकी अधिकारी भी चकित हैं। दुनियाभर में हवाई ताकत के मामले में रूस का स्थान अमेरिका के बाद दूसरा है। रूस के पास कुल 4173 विमान हैं, जिनमें 772 लड़ाकू, 739 अटैक, 445 ट्रांसपोर्ट, 552 ट्रेनर, 132 स्पेशल मिशन, 20 टैंकर, 1543 हेलीकॉप्टर और 544 अटैक हेलीकॉप्टर शामिल हैं।
अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ अमेरिकी डिफेंस ऑफिसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रूस जोखिम नहीं लेना चाहता। वह अपने विमान और अपने पायलटों को सीधे तौर पर युद्ध में झोंकने के लिए तैयार नहीं है। वहीं, कमजोर होने के बावजूद यूक्रेनी वायु सेना और एयर डिफेंस लगातार रूसी सेना को निशाना बना रही हैं। 24 फरवरी को युद्ध के ऐलान के बाद विश्लेषकों को उम्मीद थी कि रूसी सेना यूक्रेन की वायु सेना और एयर डिफेंस को तुरंत बर्बाद करने की कोशिश करेगी।

लंदन में रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट (आरयूएसआई) थिंक-टैंक ने द मिस्टीरियस केस ऑफ द मिसिंग रशियन नाम के एक लेख में लिखा है कि रूस के वायु का इस्तेमाल करना तार्किक और व्यापक रूप से प्रत्याशित कदम था। लेकिन, इसका इस्तेमाल नहीं किया गया। इसके बजाय, यूक्रेनी वायु सेना के लड़ाकू विमान अभी भी कम प्रभावी डिफेंसिव एयर स्ट्राइक को अंजाम दे रही है। वहीं, रूस सिर्फ ट्रांसपोर्ट के लिए यूक्रेन के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल कर रहा है। दावा किया जा रहा है कि रूसी सेना यूक्रेन के एयर डिफेंस मिसाइलों से बचना चाहती है।
क्या रूस जोखिम लेने से बच रहा है?
फॉरेन पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के एक रूसी सैन्य विशेषज्ञ रॉब ली ने कहा कि रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान कई ऐसी चीजें देखने को मिली, जो हैरान कर रही है। लोगों को पहले लगा था कि रूस पूरी ताकत के साथ यूक्रेन पर हमला करेगा। क्योंकि हर दिन के युद्ध की अपनी एक लागत होती है। इससे जोखिम भी बढ़ता है और तनाव भी बना रहता है। रूसी रणनीतिकार ऐसा क्यों कर रहे हैं, इसकी व्याख्या करना थोड़ा कठिन है।

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