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Crime News : दारोगा के घर हुई कुर्की-जब्ती, नारदीगंज में रहते हुए मुखिया पति की कुटाई में थे आरोपित

  

दारोगा मदन सिंह, मुंशी बाल्मीकि सिंह और एएसआई बड़े लाल यादव

दारोगा के घर हुई कुर्की-जब्ती, नारदीगंज में रहते हुए मुखिया पति की कुटाई में थे आरोपित

नवादा लाइव नेटवर्क।

 नवादा जिले के नारदीगंज थाना में सब इंस्पेक्टर रहे मदन सिंह के आरा (भोजपुर) स्थित घर पर कुर्की जब्ती की गई। नारदीगंज प्रखंड के पेश पंचायत की मुखिया रही दिव्या प्रधान के पति और एलआइसी के विकास अधिकारी अजित कुमार गुड्डू को फर्जी मुकदमा में फंसाकर घर से गिरफ्तार कर बेरहमी पूर्वक पिटाई के मामले में आरोपित थे। 

हाईकोर्ट के आदेश पर थाना में प्राथमिकी दर्ज हुई थी और सीआईडी द्वारा कांड का अनुसंधान किया गया था। मदन सिंह के साथ ही एक अन्य दारोगा रामकृपाल यादव, जमादार बड़े लाल यादव और मुंशी बाल्मीकि सिंह सीआईडी जांच में दोषी पाए गए थे। सभी के खिलाफ वारंट जारी हुआ था। हाजिर नहीं होने पर कुर्की की कार्रवाई की गई। दारोगा मदन सिंह का घर भोजपुर जिला के कोईलवर थाना क्षेत्र के धनडीहा गांव में पटना से गई सीआइडी के अधिकारी राजेश कुमार द्वारा कुर्की की कार्रवाई की गई। मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में दारोगा के बंद घर का ताला तोड़ा गया। पलंग, कुर्सी, सोफा, दरवाजा, चौखट सहित 12 प्रकार का सामान कुर्क किया गया। 

  


 नवादा जिले के नारदीगंज थाना कांड संख्या -67 / 21 से जुड़ा यह मामला है। कांड के किंगपिन दारोगा घटना के दिन प्राभारी थानाध्यक्ष रहे रामकृपाल यादव , मदन कुमार सिंह , जमादार बड़े लाल यादव , मुंशी बाल्मिकी सिंह कुल चार पुलिस कर्मी वारंट निकलने के बाद फरार हो गए थे। अग्रिम जमानत का प्रयास सफल नहीं हुआ।

बताया गया कि नारदीगंज थाना क्षेत्र के पचेया गांव के अजित कुमार उर्फ गुडू को साल 2020 में पुलिस ने घर से गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के दौरान और बाद में पुलिस द्वारा उनकी बुरी तरह से पिटाई की गई थी।  रुपये , गहने आदि छीन लिए गए थे। जेल जाने के पूर्व अदालत के संज्ञान में पुलिस बर्बरता को लाया गया था। तब अदालती आदेश पर उनकी सदर अस्पताल में चिकित्सीय जांच कराई गई थी। लेकिन पीड़ित की शिकायत थाने में दर्ज नहीं की गई। डीएम-एसपी से लेकर तमाम वरीय अधिकारियों को की गई शिकायत अनसुनी कर दी गई थी।

थाना व जिला प्रशासन के स्तर पर प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई तो पीड़ित पक्ष इंसाफ के लिए पटना हाइकोर्ट चले गए। हाइकोर्ट का अदेिश प्राथमिकी दर्ज करने का हुआ, लेकिन हाइकोर्ट के आदेश पर पुलिस ने अमल नहीं किया। तब पीड़ित ने अधिवक्ता के माध्यम से अवमानना वाद दायर किया। जिसके बाद प्रशासनिक सिस्टम हरकत में आया और प्राथमिकी कांड संख्या 67/21 दिनांक 13/04/21 दर्ज की हाइकोर्ट के आदेश पर सीआइडी द्वारा मामले की जांच शुरू की गई थी। 

सीआइडी के अपर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार द्वारा मामले का पर्यवेक्षण किया गया था। उनका पर्यवेक्षण व सीआइडी इंस्पेक्टर विपिन कुमार की जांच में सारी घटना का सच सामने आया था। चार पुलिस पदाधिकारी फंस गए थे। 

सीआइडी के अधिकारियों ने अजित की शिकायतों को पर्यवेक्षण व अनुसंधान में सत्य पाते हुए संलिप्त पुलिस पदाधिकारियों व कर्मियों की गिरफ्तारी के लिये अदालत से वारंट ले लिया था। 16 अगस्त 21 को नवादा कोर्ट से वारंट निर्गत हुआ था। मेडिकल जांच में अजित के शरीर पर 11 इंज्यूरी पाई गई थी।

 




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