Nawada News : सकरी नदी के आस पास है धार्मिक स्थल, झारखंड से निकलकर नवादा होते हुए नालंदा टाल तक बहती यह नदी है जीवनदायिनी
सकरी नदी का घोसतावा घाट |
नवादा लाइव नेटवर्क।
नदी, मानव जीवन और सभ्यता का उद्गम स्थल है। जमाने से एक कहावत प्रचलित है। 'कौन नदी, कौन गांव, केकर बेटा, की नाम' अर्थात नदी के नाम से गांव की पहचान होती थी। सनातन मतवादी नदी वंदना करते हैं और अपनत्व के कारण मां का दर्जा देते हैं। नदी छोटी हो या बड़ी, सबका अपना इतिहास और भूगोल है। हजारीबाग और गिरिडीह पर्वतमाला से दो अलग-अलग नाले से प्रवाहित जल, गिरिडीह जिले के घोड़सिमर नामक स्थल तक तेज धारा वाले जल श्रोत का सकरी नदी के रूप में पहचान है।
सकरी नदी सातगामा के पास ( झारखंड) पूरब से पश्चिम प्रवाहित है। इसके ऊपर पेट्रो नामक झरना इस झरने के पास एक प्राचीन शिव मंदिर को नए रूप में बनाया गया। आगे नदी दस किलोमीटर के सफर के बाद बासोडीह और मरचोय गांव के बीच के दक्षिण से उतर दिशा में प्रवाहित है। मिरचोय गांव के बीच से दक्षिण से उतर दिशा में प्रवाहित है। मिरचोय और वासोडीह गांव के बीच में एक छोटे पर्वत पर शिवलिंग हैं जो प्राचीन से है। लेकिन अब नया मन्दिर बना दिया गया है। शिव विवाह के मौके पर दो दिनों का मेला लगता है। इस स्थान के पास सकरी नदी में फागुन महीने तक जल रहता है। इस शिवलिंग के आगे 'नौशरवानाथ' शिवलिंग है। सभी शिवलिंग सकरी नदी के किनारे है, इसके दो किलोमीटर उत्तर में बालीमहादेव नामक शिव मंदिर है। यह मंदिर शिवपुर गांव के पास है। सकरी नदी के एक किनारे में पर्वत है और दूसरे किनारे में गांव है। पेट्रो झरना के आगे आधा दर्जन शिव मंदिर हैं। बीस कलोमीटर उत्तर और नवादा जिले के गोविन्दपुर कस्बा से पांच किलोमीटर दक्षिण में धरती से 30 फीट ऊंचा एक गढ़ पर विशाल शिवलिंग एक पत्थर से निर्मित मंदिर में स्थापित है। शिवमंदिर 22 फीट ऊंचा है और पत्थर पर पत्थर रखकर चूना एवं बलुआ मिटटी से जोड़ा प्रतीत होता है।
इसका गर्भगृह 10 फीट वाई 10 फीट तक फैला है। पुरा मंदिर परिसर आठ फीट ऊचे चहर दिवारी से घिरा हुआ है। इस पूरे क्षेत्र में शिव परिवार के 13 मूर्तियाँ है। सकरी नदी के बीस किलोमीटर सफर में आधा दर्जन शिव के धाम हैं और हर-हर महादेव का जयघोष सालो भर सुनायी देता है। आस-पास के लोगों की मान्यता है कि यह शिव मंदिर देवघर से भी पुराना है।
घोड़सिमर के आगे सकरी नदी का 65 किलोमीटर का सफर में दस की संख्या में विष्णु का धाम मंदिर और मूर्ति विराजमान है। यह सकरी का समतल क्षेत्र है जो बिहार प्रदेश के नवादा, शेखपुरा, नालन्दा, जिले तक फैला है। यह नदी कुल 230 किलोमीटर सफर करने के बाद मोकमा बड़हिया टाल होते हुए गंगा मे मिली है। नवादा जिले के लोग सकरी को गंगा मनाते है। घोड़सिमर से चालीस किलोमीटर सफर करते हुए सकरी कादिरगंज और जमुआवा नवादा पहुँची । जमुयावां में प्राचीन वैष्णव मंदिर है जिसमें शंख चक्र, गदा और कमल के फूल लिए भगवान विष्णु की अदमकद प्रतिमा है। यह मूर्ति पालकालीन प्रतीत होती है। मूर्ति प्राचीन है लेकिन मंदिर का निर्माण 150 वर्ष पूर्व होने का अनुमान है। जमुआवा के आगे 15 किलोमीटर आगे उत्तर में बढ़ने पर सकरी नदी का छाड़न क्षेत्र दर्शन होता है और छाड़न क्षेत्र के मंजौर बलवापर नामक गांव से वर्तमान सकरी तीन किलोमीटर पश्चिम में प्रवाहित है। इस गांव से सामस ( शेखपुरा जिला ) तीस किलोमीटर क्षेत्र में वलवापर, वलोपुर बाली जैसा दस की संख्या में गांव है। छाड़न क्षेत्रों में बालू के ऊचे गढ़ पर बसने के कारण इन छाड़न क्षेत्र के भूगोल को स्पष्ट करता है।
इस 30 किलोमीटर के छाड़न क्षेत्र में 10 वैष्णवद मंदिर एवं मूर्ति के दर्शन हो रहा है। जमुआवा कादिरगंज से 16 किलोमीटर पर प्राचीन मुकुन्दपुर और वर्तमान के मकनपुर गाँव में भगवान विष्णु की तीन मूर्तियॉ जिसमें एक बराह अवतार की मूर्ति है, मिली जो मन्दिर बनाकर स्थापित है। यह मूर्ति गुप्तकालीन प्रतीत होती है। पूर्ण कलात्मक काले पत्थर की है। मकनपुर से दो किलोमीटर पर चैनपुरा गांव में एक पाषाण और भगवान विष्णु कि प्रतिमा इस साल मिली है जो भक्तिभाव से मंदिर में स्थापित की गई है। मकनपुर से तीन किलोमीटर पर वारिसलीगंज बाजार है। बाजार के पूरब बलवापर नामक गांव के पास सौ साल पूर्व रेलवे लाईन के निर्माण के समय भगवान विष्णु की भूरे पत्थर से निर्मित मूर्ति मिली थी। अब मंदिर बनाकर मूर्ति स्थापित है।
यही नहीं, जमुआवां में भगवान विष्णु की प्रतिमा का दर्शन गांव वासियों को हुआ जमुआवां से चार किलोमीटर पर शाहपुर नामक गांव में वर्षों से एक वृक्ष के नीचे भगवान विष्णु की मूर्ति है। जमुआवा गाँव के पष्चिम अपसढ़ नामक गाँव में धरती से चालीस फीट उंचा एक गढ़ है। खुदाई के बाद यह स्पष्ट हुआ है कि यह वैष्णव विष्वविद्यालय का अवशेष है। इस गढ़ के ऊपर भगवान विष्णु की मूर्ति है जो खंडित स्थिति में है। गढ़ के उत्तर में एक 12 फीट उंची वराह की मूर्ति बलुआ मिटटी से निर्मित है जिसमें पूरे ब्रहाराण्ड को दर्शाया गया है। इस साल गढ़ के उत्तर बड़े सरोवर की खुदाई में खंडित भगवान विष्णु की मूर्ति मिली है। वैष्णव माधवगुप्त दक्षिण भारत के संत अरपर के कहने पर षिव भक्त हो गये थे लेकिन अपसढ़ वैष्णव मंदिर के कारण जाना जाता है। अपसढ़ से 5 किलोमीटर पर महरथ से प्राप्त हरिहर' की छः फीट की मूर्ति वर्तमान में नारद संग्रहालय में है। मूर्ति एक भाग में 'हरि' अर्थात विष्णु और दूसरे भाग में 'हर' अर्थात् शिव को दर्शाया गया है। महरथ से दो किलोमीटर पश्चिम में पार्वती पर्वत के एक गुफा का नाम चुलक गुफा है। इस पर्वत के नीचे एक विष्णु और एक बुद्ध की मूर्ति भी थी।
आलेख:_
राम रतन प्रसाद सिंह रत्नाकर
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