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Crime News : मधुरापुर घटना : गलतियों पर पर्दा डालने की कोशिश, पुलिस गढ़ रही अपनी थ्योरी, एसपी ने दिए एफआइआर के आदेश

 


मधुरापुर घटना : गलतियों पर पर्दा डालने की कोशिश, पुलिस गढ़ रही अपनी थ्योरी, एसपी ने दिए एफआइआर के आदेश 

नवादा लाइव नेटवर्क।


नवादा पुलिस अपनी कमियों को दूर करने की बजाय उसपर पर्दा डालने की कोशिशें करती रही है। पूर्व में एेसे कई मामले सामने आए हैं। मधुरापुर घटना के बावत भी पुलिस का रवैया ऐसा ही सामने आया है। नवादा पुलिस ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट एक्स पर मधुरापुर घटनाक्रम पर अपना पक्ष रखा है।


नवादा पुलिस का पक्ष जानिए


सोशल मीडिया एक्स पर लिखा गया है कि दो परिवारों के बीच मारपीट के मामले को कुछ मीडिया चैनलों द्वारा जातीय रंग देते हुए सनससनी फैलाने की कोशिश की गई है। यह एक भ्रामक खबर है और नवादा पुलिस इसका खंडन करती है।


आगे कहा गया है कि 25 जून की रात्रि को सूचना मिली कि कौआकोल थाना क्षेत्र अंतर्गत मधुरापुर गांव में एक गली में पानी निकासी को लेकर दो पक्ष गोपाल पांडेय व राजेश पांडेय एवं महेश्वर यादव व सकिंदर यादव के परिवार में मारपीट हुई। सूचना पर त्वरित कार्रवाई करते हुए डायल 112 की पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और जख्मी को इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया गया।


आगे कहा गया कि पुलिस द्वारा पीड़ित पक्ष का फर्द बयान दर्ज करने की कोशिश की गई, लेकिन उनके द्वारा इंकार करते हुए अगले दिन लिखित आवेदन देने की बात कही गई। पीड़ित द्वारा अभी तक आवेदन नहीं दिया गया है।


पुलिस अधीक्षक नवादा के द्वारा घटना के संज्ञान में आने के बाद अविलंब प्राथमिकी दर्ज करने एवं अनुसंधान प्रारंभ करने हेतु कौआकोल थाना प्रभारी को निर्देशित किया गया है।

 



नवादा लाइव की खबर में जातीय रंग का जिक्र नहीं


सबसे पहले नवादा लाइव द्वारा ही खबर का प्रकाशन किया गया था। खबर में कहीं भी जातीयता के अाधार पर हिंसा का जिक्र नहीं था। खबर में दबंगों द्वारा पिटाई का जिक्र किया गया था। पुलिस की बेरूखी का जिक्र था। पीड़ित ब्राह्मण परिवार गांव से पलायन कर सकता है। जो भी खबर लिखी गई थी पीड़ित पक्ष के बयान के आधार पर। पीड़ित परिवार के भारद्वाज उर्फ राजेश पांडेय ने साफ कहा था कि जो हालात है, गांव में रहना मुश्किल हो गया है। खबर प्रकाशन के पूर्व कौआकोल थानाध्यक्ष से बात की गई थी। उन्होंने यही कहा था कि पीड़ित पक्ष का आवेदन अप्राप्त है। खबर में थानाध्यक्ष का बयान था।


नवादा पुलिस से सवाल


नवादा पुलिस द्वारा जो सफाई दी गई उसपर गौर करने पर कई बाते सामने आती है। जो घटना हुई थी संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है। पुलिस जब अपनी अभिरक्षा में लेकर जख्मियों काे इलाज के लिए अस्पताल लेकर पहुंची थी, उसी वक्त फर्द बयान क्यों नहीं कलमबंद किया गया। जख्मी कोई एक_दो लोग नहीं थे, बल्कि कई लोग थे।


अगली सुबह घर पर रोड़ेबाजी हो रही थी, तब पुलिस से मोबाइल संपर्क कर पुलिस से मदद मांगी गई, उस वक्त पुलिस पदाधिकारी ने पीड़ित को झिड़की देते हुए कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया था। इसपर भी नवादा पुलिस को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। बातचीत मोबाइल में रिकार्ड है।

पुलिस का पक्ष है कि मारपीट हुई। मतलब दोनों ओर से हुई। तो दूसरे पक्ष ने पुलिस से मदद क्यों नहीं मांगी। कोई जख्मी हुआ भी है या...!


खबर प्रकाशन के बाद गुरुवार की रात पुलिस गांव में पहुंची। पीड़ित परिवार का बयान दर्ज किया। यह काम पहले क्यों नहीं किया गया। पुलिस लौटने के बाद पीड़ित परिवार पर पंचायत करने का दवाब है, यह भी एक नई सूचना है


एक बात और वह ये कि ऐसी नौबत आने ही क्यों दी जाती है? पीड़ितों के साथ कौआकोल थाना की पुलिस बेरूखी का यह पहला मामला नहीं है। इसके पूर्व भी एक व्यक्ति की जलाकर हत्या के मामले में पीड़ित परिवार के साथ पुलिस की अभद्रता का वीडियो खूब वायल हुआ था। ऐसे कई मामले हैं। यह अलग बात है कि हर मामले में वरीय अधिकारी ढाल बनकर दोषी अफसरों का बचा ले जाते हैं।


पीड़ित ने भाजपा नेताओं से मांगी थी मदद


पीड़ित पक्ष ने भाजपा नेताओं से मदद की गुहार लगाई थी। नवादा लाइव तक यह खबर भी भाजपा के पूर्व विधायक अनिल सिंह के माध्यम से पहुंची थी। पूर्व विधायक द्वारा उपलब्ध कराए गए मोबाइल नंबर पर ही पीड़ित परिवार के सदस्य भारद्वाज उर्फ राजेश पांडेय से हुई बातचीत पर आधारित खबर लिखी गई।


एमएलसी नीरज कुमार ने एसपी व डीजीपी को लिखा पत्र


मामले की गंभीरता को देखते हुए पूर्व मंत्री व एमएलसी नीरज कुमार ने एसपी को पत्र लिखा है। जिसकी प्रति डीजीपी बिहार को भी भेजी गई है। एमएलसी नीरज कुमार ने जो पत्र लिखा है , उसमें पुलिस के ज्ञान पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।

 



जानिए एमएलसी ने लिखा क्या है-


एमएलसी नीरज कुमार ने नवादा लाइव की खबर का जिक्र करते हुए प्राथमिकी दर्ज नहीं होने पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने पुलिस का ज्ञानवर्धन करते हुए सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का जिक्र किया है। जिसमें लिखा गया है कि हल्लू बनाम मध्य प्रदेश राज्य (1974) में स्पष्ट आदेश है कि संज्ञेय अपराध के मामले में प्रत्यक्ष जानकारी होना जरूरी नहीं है। पुलिस गुमनाम नोटिस या सूचना जिसमें अपराध के बारे में जानकारी हो उसे भी औपचारिक शिकायत माना जा सकता है। अगर पुलिस पदाधिकारी को पता है कि संज्ञेय अपराध हुआ है तो वह खुद भी एफआइआर दर्ज कर सकता है। एमएलसी ने पुलिस अधीक्षक और डीजीपी से इस मामले में की गई कार्रवाई से अवगत कराने का भी अनुरोध किया है।


मधुरापुर जाएंगे एमएलसी नीरज


नवादा लाइव से बातचीत में एमएलसी ने कहा कि फिलहाल पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होने दिल्ली जा रहा हूं। वहां से लौटने के बाद मधुरापुर भी जाउंगा। उन्होंने कहा कि दोषियों पर कार्रवाई भी होगी और पीड़ित परिवार को सुरक्षा भी दिलाई जाएगी। एसपी और डीजीपी से संबंधित परिवार को सुरक्षा देने की मांग की गई है।


अंत में...!

बेहतर होगा की नवादा पुलिस घटना की निष्पक्ष जांच करे, दोषियों को दंडित करे, पीड़ित को न्याय दिलाए। लीपापोती से क्राइम रुकने की बजाय बढ़ता है। प्रेस मीडिया का काम सच को सामने लाने का होता है, नफरत फैलाने का नहीं। मधुरापुर प्रकरण में सच को सामने लाने का प्रयास किया गया है। पुलिस अपना काम वक्त रहते कर दी होती तो मीडिया की भूमिका स्वतः समाप्त हो जाती। एसपी के द्वारा एफआईआर का आदेश दे दिया गया है, उम्मीद है कि पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा। 

 




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