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Political News : नवादा का सूखा होगा खत्म, बनेगा कोई मंत्री, 20 साल से मंत्रिमंडल में नहीं मिली है भागीदारी!

  

विभा देवी

नवादा का सूखा होगा खत्म, बनेगा कोई मंत्री, 20 साल से मंत्रिमंडल में नहीं मिली है भागीदारी

नवादा लाइव नेटवर्क।

बिहार में आज 10 अगस्त को नई सरकार अस्तित्व में आ गई। नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बन गए। तेजस्वी यादव दूसरी बार डिप्टी सीएम बने हैं। अगले कुछ दिनों में मंत्रिमंडल का विस्तार होना है। 

नए मंत्रिमंडल को लेकर नवादा के लोगों की जिज्ञासा बढ़ गई है। क्या इसबर 20 वर्षों का सूखा खत्म होगा? बिहार मंत्रिपरिषद में नवादा का कोई चेहरा होगा? नवादा को अंतिम मौका साल 2000 में मिला था। तब यहां के राजबल्लभ प्रसाद राबड़ी देवी के मंत्रिमंडल में श्रम राज्य मंत्री और हिसुआ के निर्दलीय विधायक आदित्य सिंह पशुपालन राज्य मंत्री बने थे। हत्याकांड में आरोपित होने के बाद मंत्री रहते गिरफ्तारी के बाद 2001 में आदित्य बाबू की कुर्सी छीन गई थी। वहीं मंत्रिमंडल गठन के लिए 2003 में नई नियमावली बनने के बाद राजबल्लभ प्रसाद मंत्रिमंडल से ड्रॉप किए गए थे। उस वक्त केंद्र की अटल बिहार वाजपेयी सरकार द्वारा केंद्र और राज्य मंत्रिपरिषद के लिए नई नियमावली बनाई गई थी। जिसमें यह कानून बना था कि विधानसभा की सदस्य संख्या का 15 प्रतिशत सदस्य ही मंत्रिपरिषद में शामिल हो सकते हैं। उस वक्त तक झारखंड से बिहार अलग हो चुका था। बिहार विधानसभा के में सदस्यों की संख्या 324 से घटकर 243 रह गई थी। ऐसे में बिहार में मुख्यमंत्री सहित 36 लोग ही मंत्री रह सकते थे। उस वक्त 90 से ज्यादा मंत्री बिहार में थे। 

प्रकाश वीर

कहने का आशय ये कि 2003 के बाद से बिहार कैबिनट या मंत्रिपरिषद में नवादा को कोई भागीदारी नहीं मिली। 2005 से नीतीश कुमार और बीच में कुछ समय के लिए जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री रहे। लेकिन नवादा को भागीदारी नहीं मिली।

जबकि नीतीश कुमार को नवादा से लगातार मजबूती मिलती रही।

आज की जो नई सरकार बनी है उसे 160 से ज्यादा विधायकों का समर्थन प्राप्त है। नवादा जिले के 5 विधायकों में से 4 नई सरकार के समर्थक दलों 3 राजद और एक कांग्रेस के हैं। नवादा से विभा देवी, रजौली से प्रकाश वीर और गोविंदपुर से मो. कामरान राजद के एमएलए हैं। वहीं हिसुआ से कांग्रेस की नीतू देवी विधायक हैं। एक सीट वारिसलीगंज से अरुणा देवी बीजेपी की एमएलए हैं।

 

नीतू कुमारी

ऐसे में यह सवाल लोगों की जिज्ञासा ज्यादा बढ़ा रहा है कि क्या करीब 20 साल का सूखा समाप्त होगा? आम लोग तो चाहते हैं कि नवादा की भागीदारी कैबिनेट न सही मंत्रिपरिषद में हो। 

अब आगे की चर्चा करते हैं, अगर नवादा को भागीदारी मिली तो वह कौन सा चेहरा होगा? विभा देवी, प्रकाश वीर, मो कामरान या नीतू देवी?

वैसे तो जानकर कहते हैं कि नवादा की भागीदारी मिलने पर संशय है। लेकिन, अगर विचार हुआ तो वरीयता में प्रकाश वीर की दावेदारी ज्यादा मजबूत होगी। पेंच है कि वे अनुसूचित वर्ग के हैं। मगध प्रमंडल से पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन का फिर से मंत्री बनना तय है। गया जिले से ही राजद के कुमार सर्वजीत भी तगड़े दावेदार बने हैं। 

मो. कामरान

अन्य तीनों विधायक विभा देवी, मो कामरान और नीतू देवी पहली दफा विधायक बनी हैं। विभा और नीतू राजनीतिक घराने की बहू हैं। विभा राजद से हैं, नीतू कांग्रेस से एमएलए हैं। नीतू का फैसला कांग्रेस आलाकमान को करना है। विभा का राजद नेतृत्व यूं कहें डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को करना है। विभा के सामने मुश्किलें है कि उनका राजद नेतृत्व से रिश्ते पिछले कुछ माह यूं कहें एमएलसी चुनाव के वक्त से सहज नहीं है। वैसे 7 अगस्त को आक्रोश मार्च के दिन से एमएलए विभा द्वारा स्थिति को संभालने का प्रयास किया गया था। खुद समर्थकों के साथ सड़क पर उतरी थीं।

 बचे गोविंदपुर एमएलए मो. कामरान तो उनके सामने परेशानी ये है कि राजद में कई अल्पसंख्यक वर्ग के सीनियर एमएलए पहले से ही मौजूद हैं। क्षेत्रवाद का संतुलन बैठाया गया और 2 से ज्यादा अल्पसंख्यक एमएलए को राजद लीडरशिप मंत्री बनाने का सोचती है तब मौका मिल सकता है।

बहरहाल, नए मंत्रपरिषद के गठन और उसमें भागीदारी को लेकर नवादा के लोगों में उत्सुकता बढ़ी हुई है। देखना है निर्णय क्या होता है। मंत्रिमंडल विस्तार के बाद ही इस चर्चा पर विराम लग सकता है।







 




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