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Modern Campus : प्राचीन कालीन शिक्षा का वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर प्रभाव : डॉ. अनुज

  


प्राचीन कालीन शिक्षा का वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर प्रभाव : डॉ. अनुज 

नवादा लाइव नेटवर्क।

मॉडर्न कॉलेज ऑफ़ एजूकेशन कुंती नगर नवादा में दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। बुधवार 22 मई को शुरू सेमिनार का समापन 23 मई को हुआ। 

मुख्य अतिथि प्रोफेसर (डॉ.) एमडी तनवीर यूनुस विभागाध्यक्ष विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग (झारखंड), विशिष्ट अतिथि डॉ. विनोद कुमार, प्राचार्य आरएमडब्लू कॉलेज नवादा एवं मॉडर्न कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन नवादा के विभागाध्यक्ष श्री देवकांत ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। 

मुख्य अतिथि डॉ. युनुस ने प्राचीन काल की शिक्षा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वैदिक कालीन शिक्षा से मानव के अंदर मानवीय गुण का विकास एवं संस्कार विकसित होता है, जिसके द्वारा मानव जीवन का उत्थान संभव है। आज के परिवेश में हम लोग भौतिक विकास की ओर निरंतर बढ़ते जा रहे हैं, जबकि आध्यात्मिक विकास के बिना जीवन अधूरा है। साथ ही वैदिक कालीन शिक्षा से गुरु शिष्य परंपरा से प्रचलित व्यवहार का हम लोगों को अनुसरण करने की आवश्यकता है, तभी हम बालकों को एक सर्वश्रेष्ठ नागरिक बना सकते हैं।

डॉ. विनोद कुमार ने बताया कि शिक्षा के बिना जीवन अधूरा है। वैदिक काल में शिक्षा आध्यात्मिक, बौद्धिक तथा शारीरिक विकास के बिना नहीं की जा सकती है। आज के प्रशिक्षुओं को वैदिक कालीन शिक्षा के विभिन्न उद्देश्यों को अपनाकर स्वयं तथा समाज का विकास करना चाहिए। वैदिक काल में संस्कार तथा मानवीय मूल्यों को विशेष महत्व दिया जाता रहा है। उन्होंने ब्रह्मचर्य को अपने पर भी बल दिया। उन्होंने अपने विचारों को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि उसे समय प्रशिक्षुओं को भौतिकता से दूर रखा जाता था। सादा जीवन एवं उच्च विचार पर बल दिया जाता रहा, जिससे उनका जीवन सार्थक हो सके और वह समाज के लिए उपयोगी बना सके।

तत्पश्चात डॉक्टर नलिन के शास्त्री कुलपति जेवीबी इंस्टीट्यूट डिम्ड यूनिवर्सिटी लंदन राजस्थान में अपने उद्बोधन में कहा कि प्राचीन काल में शिक्षा प्राकृतिक वातावरण तथा शांति स्वरूप नदी के किनारे गुरुकुलों में दी जाती थी, जिसमें गुरु और शिष्य के बीच मधुर संबंध हुआ करते थे। और गुरु शिष्य को ब्रह्मचर्य का पालन करवाते रहे एवं भोग विलास से दूर रहने तथा सात्विक भोजन करने के लिए प्रेरित करते थे।

विशिष्ट अतिथि डॉक्टर कुसुम कुमारी पूर्व कुलपति मगध विश्वविद्यालय बोधगया ने कहा कि प्राचीन काल में महिला विदुषी अपाला, घोषा आदि ने गुरुकुल में रहकर ही शिक्षा प्राप्त की थी। ठीक उसी प्रकार वर्तमान समय में भी महिला शिक्षा के क्षेत्र में बहुत आगे है। यहां पर अधिक संख्या में बैठे हुए शिष्य अध्यापिकाओं को देखकर अपार हर्ष हो रहा है कि मेरी बेटियां शिक्षा ग्रहण करने के बाद अपना नाम रोशन अवश्य करेगी तथा देश के लिए मेरुदंड साबित होगी।

प्रथम दिन के सेमिनार में आए सभी प्रतिभागी डॉक्टर रविंद्र कुमार, सहायक प्राध्यापक राज बहादुर पाल, विरसा विश्वविद्यालय, पुरूलिया, पश्चिम बंगाल, रिसर्च स्कॉलर सुजीत कुरी आदि को धन्यवाद देकर सेमिनार से विदा किया गया।

द्वितीय दिन सेमिनार में गुरुवार को मुख्य अतिथि मॉडर्न शैक्षिक समूह के अध्यक्ष डॉ. अनुज सिंह ने सभा की शुरुआत करते हुए कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय विश्व का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय था। जहां अलग-अलग देशों से आकर हजारों की संख्या में छात्र शिक्षा ग्रहण करते थे। वही हमारा आधार और नींव है। पहले गुरुकुल हुआ करते थे जो आज के समय छात्रावास कहला रहे हैं। यदि आप अच्छे शिक्षक बनना चाहते हैं तो प्रतिदिन प्रशिक्षण ग्रहण करके ही कुशल शिक्षक बन सकते हैं। प्राचीन काल में महिला को शिक्षक शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुत दूर भ्रमण करना पड़ता था, जिसके कारण उनकी शिक्षा पूरी नहीं हो पाती थी। लेकिन बदलते समय के साथ आज महिला के लिए शिक्षा आसान हो गया है और आज वह हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रही हैं। प्राचीन काल की शिक्षा पद्धति का कार्य गुरुकुल में हुआ करता था।

तत्पश्चात माॅडर्न शैक्षणिक समूह के सचिव डॉ. शैलेश कुमार ने भी उपस्थित सभी प्रतिभागियों को प्राचीन कालीन शिक्षा का वर्णन तुलसीदास के रामचरितमानस का उल्लेख करते हुए कहा कि गुरु गृह गए पढ़न रघुराई, अल्पकाल विद्या सब आई, इसलिए हम सभी को पूर्व की शिक्षा का अवलोकन करना चाहिए।

डॉ. दीपक कुमार ने कहा कि जहां तक शिक्षा की बात है भारत एक समय शिक्षा के जगत में विश्व गुरु कहलाता था। जिसका अनुसरण आज हमें पुनः करते हुए शिक्षा के क्षेत्र में अपना परचम लहराना है। किंतु पश्चात्य देश विकसित हुए और हमारी शिक्षा व्यवस्था कमजोर कमजोर होती चली गई। आज हमें अपने जड़ों से जुड़ने की जरूरत है। प्राचीन तथा नवीन शिक्षा को जोड़कर समन्वय स्थापित करना आवश्यक है।

दो दिवसीय सेमिनार का समापन करते हुए मॉडर्न कॉलेज आफ एजुकेशन के विभागाध्यक्ष श्री देवकांत, सहायक प्राध्यापक प्रवीण कुमार सिंह, बृजेश कुमार यादव, कर्मचारी सुमित कुमार, सुभाष कुमार पासवान को धन्यवाद दिया। अंत में दो दिवसीय सेमिनार को समापन राष्ट्रगान गाकर हुआ। 


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