Nawada News : जिला जज ने किया मंडल कारा नवादा का निरीक्षण, काराधीक्षक को दिए जरूरी निर्देश
जिला जज ने किया मंडल कारा नवादा का निरीक्षण, काराधीक्षक को दिए जरूरी निर्देश
नवादा लाइव नेटवर्क।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, नवादा आशुतोष कुमार झा, प्रभारी सीजेएम धीरेन्द्र कुमार पाण्डेय एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार, नवादा कुमारी सरोज कीर्ति ने शनिवार 25 मई को मंडल कारा, नवादा का निरीक्षण किया। इस क्रम में जेल वार्डों का भी निरीक्षण किया गया।
निरीक्षण के क्रम में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार के द्वारा यह निर्देशित किया गया कि बंदियों को नियमित रूप से यह बताना सुनिश्चित करें कि किसी भी बंदी को व्यवहार न्यायालय, नवादा में विधिक सहायता की आवश्यकता हो तो वे जिला विधिक सेवा प्राधिकार कार्यालय नवादा में आवेदन कर सकते हैं। जेल अधीक्षक मंडल कारा नवादा द्वारा यह भी बताया गया कि मंडल कारा, नवादा में साफ-सफाई कर फिनाईल, चूना एवं ब्लीचिंग पावडर का छिड़काव किया गया है। साथ ही कारा के अन्दर एवं बाहर मच्छरों से बचाव हेतु छिड़काव कराया गया है।
सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार के द्वारा जेल प्रशासन को यह निर्देशित किया गया कि बंदियों के रसोईघर के साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें तथा कारा परिसर एवं बंदियों के जगह को नियमित तौर पर सेनेटाईज कराते रहें। साथ ही कारा अस्पताल परिसर की साफ सफाई भी विशेष ध्यान रखें। उन्हें यह भी निर्देशित किया गया कि जो बंदी 60 वर्ष या उससे अधिक के हैं, ऐसे बंदियों पर विशेष ध्यान रखें।
इस अवसर पर आशुतोष कुमार झा, जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, नवादा, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार, नवादा कुमारी सरोज कीर्ति, जेल प्रशासन, डिफेंस लॉयर अमन जैन, लिपिक राकेश कुमार आदि उपस्थित थे।
नालसा एवं बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार, पटना के निर्देश पर आशुतोष कुमार झा, जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, नवादा के निर्देश के आलोक में 13 जुलाई 24 को व्यवहार न्यायालय, नवादा में सभी प्रकार के सुलहनीय वादों के निष्पादन हेतु राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन होगा। इसी सफलता के लिए शनिवार 25 मई को जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, नवादा आशुतोष कुमार झा की अध्यक्षता में उनके प्रकोष्ठ में नवादा न्यायमंडल के न्यायिक पदाधिकारियों की बैठक हुई।
बैठक में सभी प्रकार के सुलहनीय अपराधिक वादों का न्यायालयवार समीक्षा की गयी। जिसमें सभी न्यायिक पदाधिकारियों द्वारा अपने अपने न्यायालयों के वादों के बारे में बताया गया साथ ही निष्पादन के लिए चिन्हित वादों की चर्चा की गयी। उक्त बैठक में सुलहनीय योग अपराधिक वाद, मापतौल, श्रम एवं वन वाद वैवाहिक वाद तथ एमवी क्लेम वादों का न्यायालयवार चिन्हित सूची से सुलहनामा हेतु तैयार वादों में नोटिस निर्गत करने का निर्देश दिया गया। सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकार के द्वारा जीओ वादों में पक्षकारों के विरूद्ध वारंट (यथाआवश्यक) निर्गत करने के संबंध में न्यायिक पदाधिकारियों को निर्देशित किया गया। इस बैठक में मनी सूट एवं धारा 138 एनआई एक्ट के संबंध में भी चर्चा की गयी।
सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार के द्वारा यह भी बताया गया कि पूर्व बैठक (प्री सीटिंग) के माध्यम से अपराधिक सुलहनीय वादों को कॉउन्सेलिंग कर सुलह के आधार पर वाद का निष्पादन किया जाए तथा वैसे सभी वादों जिसमें पूर्व में सुलहनामा आवेदन अभिलेख पर उपलब्ध है या अभिलेख में दाखिल किया गया है, वैसे वादों में पक्षकारों पर नोटिस निर्गत सुनिश्चित करने के लिए भी न्यायिक पदाधिकारियों को निर्देशित किया गया।
बैठक में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रथम, नवादा, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ, पंचम, सप्तम् के साथ-साथ अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। बैठक में उपस्थित न्यायिक पदाधिकारियों को अधिक से अधिक सुलहनीय वादों के निष्पादन हेतु दिशा निर्देश दिया गया।
सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकार के द्वारा उपस्थित पदाधिकारियों से अनुरोध किया गया कि इन सुलहनीय मामले में सुलह के आधार पर समझौता कराकर वाद के निष्पादन कराया जाए।
कौआकोल में मध्यस्थता जागरूकता कार्यक्रम आयोजित
बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार, पटना तथा जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकार, नवादा के निर्देश के आलोक में 25मई कौआकोल प्रखंड परिसर में लिगल एवर्नेस प्रोग्राम ऑन द टॉपिक ’’प्री इंस्टीच्यूशन मेडिएशन एण्ड सेटलमेंट इन कॉमर्सियल डिस्पूट्स’’ मेडिटेशन एवर्नेस प्रोग्राम ऑन द प्रौसेस ऑफ मेडिएशन ऐज एडीआर मेकैनिज्म का आयोजन किया गया।
कार्यकम को संबोघित करते हुए उमेश्वर प्रसाद सिंह, डिफेंस अधिवक्ता लीगल एड डिफेंस कॉन्सिल ने बताया कि मध्यस्थता विवादों को निपटाने की सरल एवं निष्पक्ष आधुनिक प्रक्रिया है। इसके द्वारा मध्यस्थ अधिकारी दबाव रहित वातावरण में विभिन्न पक्षों के विवादों का निपटारा करते हैं। सभी पक्ष अपनी इच्छा से सद्भावना पूर्ण वातावरण में विवाद का समाधान निकालते हैं तथा उसे सभी पक्ष अपने विवाद को सही दृष्टिकोण से मापते हैं। वह समझौता सभी पक्षों को मान्य होता है, उसे अपनाते हैं। इस पद्धति के द्वारा विवादों का जल्द से जल्द निपटारा होता है। जो बिना खर्च होता है। यह मुकदमों के झंझट से मुक्त है। साथ ही साथ न्यायालय पर बढ़ते मुकदमें का बोझ भी कम होता है।
मध्यस्थता अधिकारी सभी पक्षों को उनके विवादों का हल निकालने में मदद करते हैं। मध्यस्थता एक ढांचागत प्रक्रिया है। इसकी अपनी कार्यप्रणाली है। इसके अनुसार मध्यस्थ अधिकारी मध्यस्थता की प्रक्रिया को सभी पक्ष को अवगत कराता है। उन्हें प्रक्रिया के नियम एवं गोपनीयता के बारे में भी बताता है। मध्यस्थ अधिकारी पक्षों से उनके विवाद के प्रति जानकाकारी प्राप्त करता है तथा विवाद के निपटारे के अनुकूल वातावरण तैयार करता है। इस प्रक्रिया में संयुक्त सत्र एवं पृथक सत्र द्वारा हर पक्ष से बात करते हैं एवं दोनों पक्षों को साथ बैठाकर मध्यस्थता का कार्य किया जाता है। उक्त सत्र में दोनों पक्ष अपने हर मुददे को मध्यस्थ अधिकारी के समक्ष रखते हैं जिसे गोपनीय रखा जाता है।
मध्यस्थता के नहीं होने से पक्षकारों को समय की बर्बादी, मानसिक एवं शारीरिक शांति भंग एवं धन की हानि, आपसी घृणा, झूठे अहम को बढ़ावा एवं असंतोष जैसी हानियां होती है। रिटेनर अधिवक्ता ने मध्यस्थता प्रक्रिया के लाभ के बारे में बताया कि इस आधूनिक प्रक्रिया द्वारा विवाद का अविलंब एवं शीघ्र समाधन, समय तथा खर्चे का किफायत, न्यायालयों में चक्कर लगाने से राहत, अत्यधिक सरल एवं सूविधाजनक, विवाद का हमेशा के लिए प्रभावी एवं सर्वमान्य समधान, समाधान में पक्षों की सहमति को महत्व, अनौपचारिक, निजी तथा पूर्णतः गोपनीय प्रक्रिया, समाजिक सदभाव कायम करने में सहायक, आदि लाभ पक्षकारों को मिलता है।
व्यवसायिक विवादों में कोर्ट जाने के पहले प्री-इंस्टीच्यूशन मेडिएशन एण्ड सेटलमेंट इन कॉमर्शियल डिस्पूटस के तहत पक्षकार लाभ उठा सकते हैं। व्यवहार न्यायालय, नवादा में तीन व्यवसायिक न्यायालय कार्यरत है। सबजज प्रथम एवं जिला जज का न्यायालय व्यवसायिक न्यायालय है तथा जिला जज न्यायालय अपीलीय न्यायालय के रूप में भी कार्य करता है।
उमेश्वर प्रसाद सिंह, डिफेंस अधिवक्ता लीगल एड डिफेंस कॉन्सिल ने एडीआर मेकैनिज्म के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि यह एक आधूनिक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से वादों का निपटारा सुलह के आधार पर किया जाता है। इसके अन्तर्गत मध्यस्थता, केन्द्र लोक अदालत इत्यादि आते हैं। आज के इस कार्यक्रम में उमेश्वर प्रसाद सिंह, डिफेंस अधिवक्ता लीगल एड डिफेंस कॉन्सिल एवं पारा विधिक स्वयं सेवक रामानुज कुमार उपस्थित थे।
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