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Magadah Sahity Utsaw : मानवीय मूल्यों और राष्ट्रीय चेतना समर्पित लेखन के संकल्प के साथ संपन्न हुआ मगध साहित्य प्रेरणा उत्सव



मानवीय मूल्यों और राष्ट्रीय चेतना समर्पित लेखन के संकल्प के साथ संपन्न हुआ मगध साहित्य प्रेरणा उत्सव  

वरिष्ठ साहित्यकार फिल्म निर्माता प्रभात वर्मा ने सांसद विवेक ठाकुर के समक्ष मगही भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की गुहार लगाई 

14 राज्यों के 131 साहित्यकार कवियों ने दी प्रस्तुति 

नवादा लाइव नेटवर्क।

अशोक स्मृति संस्थान और साहित्य प्रेरणा मंच के बैनर तले राजगीर के वीरायतन में तीन दिवसीय मगध साहित्य प्रेरणा उत्सव का कार्यक्रम सफलता पूर्वक आयोजित हुआ। 

कार्यक्रम के संयोजक कवि ओंकार कश्यप तथा अध्यक्ष जितेंद्र राज आर्यन की अगुवाई में आयोजित इस कार्यक्रम में देश के 14 राज्यों और नेपाल से आए 131 साहित्यकारों ने अपनी प्रस्तुति देकर इस उत्सव को भावपूर्ण बना दिया।

 कार्यक्रम के दौरान अलग-अलग सत्रों में वीरायतन की प्रबुद्ध साध्वी मंडल, नवादा के सांसद विवेक ठाकुर, नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अभय कुमार सिंह भी मौजूद रहे।

 तीन दिवसीय कार्यक्रममें सेमिनार, कवि सम्मेलन, शोध पत्रों का प्रस्तुतिकरण, लघु कथा वाचन, सहित साहित्यिक विधा से जुड़े अन्य सत्र आयोजित किए गए। 

मौके पर नवादा सांसद विवेक ठाकुर ने इस प्रेरणा उत्सव को साहित्य और मगध क्षेत्र के लिए बेहद प्रशंसनीय कदम बताते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों से साहित्य और समाज को संबल प्रदान होता है। उन्होंने मगही को क्लासिकल लैंग्वेज बनाने की वकालत करते हुए कहा कि मैं अपने स्तर से प्रयास करूंगा। मगध क्षेत्र के सभी जिले के साहित्यकार आपस में मिलजुल कर तमाम सामग्री तैयार करें। ताकि मगही को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए निर्णायक प्रयास हो सके। 

इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार साहित्यकार मगही फिल्म निर्माता प्रभात वर्मा ने सांसद के समक्ष आठवीं अनुसूची में मगही को शामिल कराने की पुरजोर अपील की। 

कार्यक्रम के दूसरे दिन विशेष सत्र के दौरान नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अभय कुमार सिंह ने कहा कि साहित्य शिक्षा का सबसे अनिवार्य पक्ष है। साहित्य से शैक्षणिक गतिविधियों और शैक्षणिक परिसर की महत्ता है। लेखक, कवि समाज के बेहद महत्वपूर्ण अंग है। साहित्य में मगध की भूमिका अहम है।

 आयोजित कार्यक्रम के चार सत्रों की अध्यक्षता करने वाले वरिष्ठ साहित्यकार रामरतन प्रसाद सिंह रत्नाकर ने अपने संबोधन में कहा कि मगध को अगर भारत के इतिहास से अलग कर दिया जाए तो यह सिर्फ युद्ध और संघर्ष का ही रह जाएगा‌।

 महाभारत काल में जरासंध बड़े प्रतापी राजा हुए उनके वंशजों ने 940 साल तक राजकीय और कभी राजा बनने के लिए कोई युद्ध नहीं हुआ इसलिए मगध शांति का क्षेत्र माना गया, जहां भगवान बुद्ध महावीर को भी संत की उपाधि प्राप्त हुई। इसी दौरान मगध परिचय कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया। 

वरिष्ठ साहित्यकार राम रतन सिंह के अलावा हिंदी मगही के वरिष्ठ साहित्यकार, क्षेत्रीय फिल्म निर्माता-निर्देशक,प्रभात वर्मा, नरेंद्र सिंह, वीणा मिश्रा, मंच संचालक राजेश मंझवेकर, गौतम कुमार सरगम, मुकेश कुमार सिन्हा, शैलेंद्र कुमार प्रसून, देवेंद्र विश्वकर्मा, नितेश कपूर, गया के सुमंत, नालंदा के उमेश बहादुरपुरी, अविनाश पांडे, अनमोल कुमारी आदि ने अपनी प्रस्तुति से समां बांध दिया। कार्यक्रम में प्रभात वर्मा ने मगही की अपनी कविता 'बैर भाव मेटाके, सबके गला लगाव, भायचारा बढ़ाव, एही संकल्प उठाव', सुना कर लोगों की तालियां बटोरी। 

देश के बड़े विद्वानों की प्रस्तुति में कार्यक्रम के दौरान लघु कथा की विशेषज्ञ साहित्यकार विभा रानी श्रीवास्तव, पूर्व विधायक और साहित्यकार प्रोफेसर उषा सिंहा, बड़ौदा विश्वविद्यालय गुजरात में सैंकड़ों प्रमाणिक शोधार्थियों को निर्देशित करने वाले डॉक्टर कनु भाई निनामा, राजस्थान के साहित्यकार राव शिवराजपाल सिंह, सरिता गर्ग सरी, हरियाणा के साहित्यकार डॉ.त्रिलोक चंद्र, सिहोरा, राजस्थान की लेखिका डॉ अरुण पांडे, जोधपुर के लेखक डॉ राजेन्द्र पुरोहित सहित सभी लेखकों और शोधकर्ताओं ने अपने उद्गार व्यक्त किया। 

आयोजन को सफल बनाने में कलाकार व साहित्यकार देवेन्द्र विश्वकर्मा, चिकित्सक शैलेन्द्र प्रसून, विवेक कुमार आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बता दें कि 6,7 और 8 दिसंबर को इस कार्यक्रम का आयोजन हुआ था।


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