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2022 के आखिर तक 185 डॉलर तक जा सकती है कच्चे तेल की कीमत- जेपी मार्गन

 


रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते कच्चे तेल के दामों में आग लगी है. गुरुवार को कच्चा तेल 120 डॉलर प्रति बैरल के आंकड़े को छू चुका है. लेकिन कच्चे तेल के दामों को लेकर जो भविष्यवाणी की जा रही है वो बहुत ही डरावना है. जेपी मार्गन ने भविष्यवाणी की है कि रूस के आने वाले सप्लाई अगर 2022 में पूरे साल जारी रही तो इस वर्ष कच्चे तेल का भाव 185 डॉलर प्रति बैरल के भाव को भी छू सकता है. जेपी मार्गन के विशेषज्ञों के मुताबिक रूस से आने वाले सप्लाई अगर प्रभावित होती है तो उससे प्रति दिन 3 मिलियन यानि 30 लाख बैरल कच्चे तेल की मांग पर असर पड़ेगा जो रूस द्वारा सप्लाई की जाती है.   

रूस है कच्चे तेल का बड़ा उत्पादक देश 

रूस यूक्रेन के बीच युद्ध को थामा नहीं गया तो कच्चे तेल के दाम और बढ़ सकते हैं जिससे भारत की मुसीबत और बढ़ेगी. दरअसल रूस दुनिया के बड़े तेल उत्पादक देशों में शामिल है. रूस यूरोप को उसके कुल खपत का 35 से 40 फीसदी कच्चा तेल सप्लाई करता है. भारत भी रूस से कच्चा तेल खरीदता है. दुनिया में 10 बैरल तेल जो सप्लाई की जाती है उसमें एक डॉलर रूस से आता है. ऐसे में कच्चे तेल की सप्लाई बाधित होने से कीमतों में और अधिक तेजी आ सकती है. फिलहाल रूस के 66 फीसदी कच्चे तेल का कोई खरीदार नहीं है. 


भारत पर महंगे कच्चे तेल का असर 

पिछले साल नवंबर की शुरुआत में जब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि पर लगाम लगी थी, तब कच्चे तेल की औसत कीमत 81.5 डॉलर प्रति बैरल थी.  ब्रोकरेज कंपनी जे.पी. मॉर्गन ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘अगले हफ्ते तक राज्यों के विधानसभा चुनाव समाप्त हो जाएंगे. अनुमान है कि इसके बाद ईंधन की दरें दैनिक आधार पर बढ़ सकती हैं.  उत्तर प्रदेश मे सातवें और अंतिम चरण का मतदान सात मार्च को होगा तथा उत्तर प्रदेश समेत सभी पांच राज्यों के लिए मतगणना 10 मार्च को होनी है. जिसके बाद भारत में पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ने का सिलसिला शुरू हो सकता है.  


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