Nawada News : आ रहे हैं गौरव मंगला, मजबूत नेटवर्किंग है इनकी ताकत, बालू-गिट्टी बेचने वाले थानेदार हो जाएं सतर्क
पुलिसिंग सिस्टम को सुधारने के लिए करना होगा काम
पब्लिक के हाथों पीट भी रहे और क्रप्शन में धरा भी रहे
पब्लिक के हाथों पीट भी रहे और क्रप्शन में धरा भी रहे
नवादा लाइव नेटवर्क।
खैर, अब नवादा की चुनाैतियों के बारे में चर्चा कर लें। इन दिनों नवादा साइबर क्राइम का हब बन गया है। नालंदा व शेखपुरा जिले के सीमावर्ती थाना क्षेत्रों वारिसलीगंज, काशीचक, शाहपुर ओपी, पकरीबरावां के बाद रोह का थाना इलाका इन दिनों साइबर अपराधियों का गढ़ बना हुआ है। आए दिन दूसरे राज्यों की पुलिस रेड-छापेमारी के लिए आती रहती है। इसका खात्मा जरूरी है। ठगी और धोखाधड़ी के इस धंधे मोटी कमाई युवा पीढ़ी को खूब भा रहा है। इससे देशभर में नवादा की बदनामी हो रही है। एक नए अपराध का भी जन्म हुआ है। फेसबुक-वाट्सपएप पर वीडियो काल कर नंगी तस्वीरें दिखाकर आर्थिक शोषण किया जा रहा है। हालांकि, इसकी शिकायतें सामने नहीं आ रही है।
काेढ़ा गिरोह का भी आतंक है। बैंकों से रुपये निकालकर जाने वालों से रास्ते में झपट्टा मारकर फरार हो जाने की घटनाएं बड़े पैमाने पर होती है। इस गिरोह ने आम नागरिकों के नाक में दम कर रखा है। वाहन चोरी की घटनाओं में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। खासकर दोपहिया व चारपहिया वाहनों की चोरी इन दिनों काफी बढ़ गई है। नवादा नगर में ही ज्यादा घटनाएं हो रही है। इसके अलावा शराबबंदी कानून का सख्ती से अनुपालन, बालू चोरी पर नियंत्रण, थानों में फरियादियों की समुचित सुनवाई की ओर ध्यान देना होगा।
बालू चोरी तो पुलिस के लिए कामधेनु बना हुआ है। कुछ दिनों पूर्व एक थानेदार से किसी मसले पर बात हो रही थी। शुभ-लाभ की गुंजाइश न बनते देख उधर से बार-बार कहा जा रहा था कि हम बालू-गिट्टी बेचने थोड़े ही बैठे हैं। सीमावर्ती इलाके का थाना है। बालू चाेरी वाली वाहनों की धड़ल्ले से पासिंग होती है। ओवर लोड गिट्टी का ट्रक भी गुजरता है। संभव है इसीलिए बालू-गिट्टी को लेकर जवान ज्यादा फिसल रही थी। बालू-गिट्टी का खेल अजब कि पुलिस टीम पर हमले की कई घटनाएं हो चुकी है। किसी की पासिंग किसी पर बैरियर होगा तो ऐसे मामले सामने आते रहेंगे।
पुलिसिंग सिस्टम को पारदर्शी बनाने का काम भी करना होगा। अमूमन देखा जाता है कि थानों में आम नागरिकों की सुनवाई सही तरीके से नहीं की जाती है। पिछले दो पुलिस अधीक्षक ने अपने कार्यकाल के दौरान पब्लिक पर कम मातहतों पर ही ज्यादा भरोसा जताया था। ऐसे में सस्ता व त्वरित न्याय मिलना मुश्किल हो रहा था। सीधी मुंह बात करने को अफसर तैयार नहीं होते थे। बहरहाल, नए साहब के आगमन की प्रतीक्षा जिलेवासियों को है, इस उम्मीद के साथ कि सबका भला होगा। बाकी वक्त पर छोड़ देते हैं।
अंत में विदाई ले रही एसपी डीएस सांवलाराम की भी चर्चा कर लेते हैं। पब्लिक से कम कनेक्ट रहना इनकी कमजोरी रही। फोन-मोबाइल पर कॉल कम ही उठाती थीं। ऐसे में पब्लिक का फीडबैक उन्हें नहीं मिल पाता था। दुष्परिणाम रहा कि थानाध्यक्षों की मनमौजी रही। क्रप्शन से लेकर अन्य आरोपों में कई थानाध्यक्षों पर इन्हें खुद कार्रवाई करनी पड़ी। मुफस्सिल, शाहपुर, कौआकोल, पकरीबरावां, अकबरपुर थाना इसका उदाहरण रहा। उपलब्धियों की बात की जाए तो साइबर अपराध के खिलाफ प्रशंसनीय काम किया।
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