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Nawada Live : काव्य के विविध रंग से काव्य मंजरी पटल हुआ सराबोर

  


काव्य के विविध रंग से काव्य मंजरी पटल हुआ सराबोर

- काव्य पाठ के बाद हुई समीक्षा से कवियों को मिली प्रेरणा

- काव्य मंजरी 0.6 में कवियों-कवयित्रियों का रहा जलवा

नवादा लाइव नेटवर्क।

काव्य मंजरी की वर्चुअल काव्य गोष्ठी में कवियों ने खूब रंग जमाए। काव्य के विविध रंगों से पटल सराबोर रहा। हर कविता पर सारगर्भित समीक्षा की परम्परा निभाई गयी, जिससे कवियों को काफी प्ररेणा मिली। प्रसिद्ध कवि व समीक्षक मुकेश कुमार सिन्हा विशिष्ट अतिथि के रुप में पटल पर अपनी उपस्थिति दर्ज करायी।

 उन्होंने सिसकता गांव, बिलखती गलियां, जाने वाले कब आओगे... पढ़कर सभी को भावविभोर कर दिया। कार्यक्रम के संयोजक सह साहित्यकार व कवि राजेश मंझवेकर ने जिंदगीनामा कविता का पाठ किया तो सभी कवियों को लगा जैसे जिंदगी से साक्षात्मकार हो गया।

 अपनी दूसरी कविता सियासत का रंग समाया है, हर खूं में... के जरिए उन्होंने राजनीति पर चोट करते हुए इंसानियत का पाठ पढ़ाया। पटना से खुशबू ने सकपकाई सी जिंदगी... को पढ़कर समाज व खुद से डर का जीवंत चित्रण किया। मोतिहारी से रवि वर्मा ने भगवान मैंने देखा है... कविता का पाठ कर गरीबों का भावपूर्ण चित्रण किया।

 मंच के अध्यक्ष गौतम कुमार सरगम ने सुर्ख़ हरे पत्ते टूट जाएंगे एक दिन और मगही गीत मोरे घर अयथिन लक्ष्मण राम पाठ कर पटल को मोह लिया। 

उड़ीसा से सीताल जेना ने सुनो ना... और कौन हूं मैं... कविता पाठ कर मन की बात की। दिल्ली से अंकिता गर्ग ने दुनिया में दो तरह के लोग... कविता से लोगों को बहुत कुछ सोचने पर बाध्य कर दिया।

 दिल्ली से ही जुड़ी दीपिका जांगड़ा ने पुलवामा अटैक पर स्वर्ण अक्षरों से...कविता पाठ कर शहीदों की श्रद्धांजलि दी। मुजफ्फरपुर से शशि कुमार आंसू ने खुद के नशे में महुए सा टपक जाता हूं... कविता से प्रेम रस में पटल को भिंगोया। 

संचालन सह शायर प्रभाकर प्रभू ने आंख खोले हुए जो सफर में रहा, रास्ते में कहीं वो गिरेगा नहीं... जैसे शेर व गजल से छाप छोड़ी। अंत में मुकेश कुमार सिन्हा की विस्तृत समीक्षा और अध्यक्ष गौतम कुमार सरगम के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

  




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