Nikay chunv 2022 : नगर निकाय चुनाव पर फिर संकट के बादल, राज्य सरकार द्वारा गठित पिछड़ा वर्ग आयोग की वैधता पर संकट, सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई
नगर निकाय चुनाव पर फिर संकट के बादल, राज्य सरकार द्वारा गठित पिछड़ा वर्ग आयोग की वैधता पर संकट, सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई
नवादा लाइव नेटवर्क।
बिहार में नगर निकाय चुनाव को लेकर सस्पेंश फिर गहरा गया है। ऐसा फिर से मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने के कारण हुआ है। पिछड़ा वर्ग आयोग गठन कर फिर से चुनाव कराने की सरकार की तैयारियों के बीच मामला फिर से सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद निकट भविष्य में चुनाव पर ग्रहण लगता दिख रहा है।
4 अक्टूबर को पटना हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए पिछड़ा वर्ग को 20 फीसद आरक्षण देने के प्रावधानों को गलत बताया था। जिसके बाद चुनाव टल गया था। तब राज्य सरकार की अपील पर 19 अक्टूबर को हाई कोर्ट में फिर से सुनवाई हुई थी। जिसमें हाईकोर्ट को सरकार की ओर से आश्वस्त किया गया था कि पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर ट्रिपल टेस्ट करा चुनाव करा लिया जाएगा। जिसपर हाई कोर्ट द्वारा चुनाव कराने की अनुमति दे दी गई थी।
इस बीच राज्य सरकार द्वारा नवीन कुमार आर्य की अध्यक्षता में पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया था। हाल के दिनों में दिसंबर माह में चुनाव कराने की चर्चा फिर से शुरू हो गई थी। लेकिन, मामला फिर से फंस गया है।
बताया गया कि 19 अक्टूबर को हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद सुनील कुमार नामक व्यक्ति फिर से सुप्रीम कोर्ट चले गए। उन्होंने एसएलपी दायर कर ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया को चुनौती दे दी। जिसपर सोमवार 28 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस माहेश्वरी की आदलत में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पक्ष रखते हुए उनके अधिवक्ता ने कहा कि सरकार द्वारा गठित पिछड़ा वर्ग आयोग डेडिकेटिड कमीशन नहीं है। यह राजनीतिज्ञों से युक्त है। पिछड़ा वर्ग के ट्रिपल टेस्ट के लिए अनफिट है। और बिंदुओं को भी रखते हुए पूर्ववत चुनाव की मांग की गई।
इस बारे में मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता राहुल भंडारी ने बताया कि अपीलकर्ता के अधिवक्ता को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार द्वारा गठित आयोग के काम काज पर रोक लगा दिया है। साथ ही राज्य सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया गया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट का आर्डर अबतक सामने नहीं आया है। आदेश की प्रति वेबसाइट पर अपलोड होना बाकी है। वैसे, अधिवक्ता राहुल भंडारी ने कहा है कि पूर्ण आदेश सामने आने के बाद अंतिम रूप से कहा जा सकता है कि आदेश में और क्या है।
बहरहाल, अधिवक्ता राहुल भंडारी के हवाले से आई मीडिया रिपोर्ट्स के बाद चुनाव पर संशय के बादल फिर से गहरा गया है। पूरी स्थिति सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद साफ हो जाएगी। अगले एक दो ऑर्डर आने की उम्मीद है।
बता दें कि एसएलपी दायर करने वाले सुनील कुमार वही शख्स हैं, जिन्होंने पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अनुपालन नहीं करने को लेकर याचिका दायर किया था। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने मामला हाईकोर्ट को सुनने के लिए भेज दिया था।
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