Nawada News : एक जनवरी नया साल भारतीय संस्कृति के लिए खतरा, युवाओं को बदलनी होगी सोंच : राकेश
एक जनवरी नया साल भारतीय संस्कृति के लिए खतरा, युवाओं को बदलनी होगी सोंच : राकेश
नवादा लाइव नेटवर्क।
01 जनवरी को नववर्ष के रूप में मनाना भारतीय संस्कृति के लिए खतरा है। आज के युवाओं को अपनी सोंच बदलनी होगी, बरना भारतीय सभ्यता और संस्कृति को विलुप्त होने से कोई नहीं रोक सकता।
मिशन परित्राण संस्थान के इंडिया चीफ इंस्टेक्टर राकेश रौशन ने देश के युवाओं के नाम संदेश देते हुए उक्त बातें कही। विलुप्त होते भारतीय सभ्यता और संस्कृति को बचाने को लेकर युवाओं के नाम संदेश में श्रीराकेश ने कहा कि एक जनवरी आने से पूर्व ही सब लोग नववर्ष की बधाई देने लगते हैं। नया केवल एक दिन हीं नहीं, कम से कम कुछ दिनों तक नई अनुभूति होनी चाहिए।
हमारा देश त्योहारों का देश है। भारतीय संस्कृति का नया साल (विक्रमी संवत ) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है । उन्होंने युवाओं को एक जनवरी और चैत्र मास के प्रथम दिन में अंतर बताते हुए कहा कि एक जनवरी को कोइ अंतर नहीं, जैसा दिसम्बर वैसा जनवरी। वहीं चैत्र मास को चारों ओर फुल खिल जाते हैं, पेड़ों पर नये नये पत्ते आ जाते हैं, चारों ओर हरियाली छा जाती है। ऐसा लगता है कि मानों जैसे प्रकृति नया साल मना रही हो।
दिसम्बर और जनवरी में वही वस्त्र, कम्बल, रजाई, ठिठुरते हांथ_पैर, लेकिन चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है और गर्मी का आगमन होने जा रहा होता है।
उन्होंने कहा कि जनवरी में नया कैलेन्डर आता है जबकि चैत्र में नया पंचांग आता है। उसी पंचांग के अनुसार सभी भारतीय पर्व, विवाह तथा अन्य मुहूर्त देखे जाते हैं। 31 दिसम्बर की रात नये साल की स्वागत के लिए लोग जमकर शराब पीते हैं, हंगामा करते हैं। रात को शराब पीकर गाड़ी चलाते हैं, जिससे दुर्घटना की संभावना, रेप जैसी वारदातें, पुलिस प्रशासन बेहाल और भारतीय संस्कृति मूल्यों का विनाश होता है। जबकि भारतीय नववर्ष व्रत से प्रारंभ होती है। पहला नवरात्र होती है, घर-घर में माता रानी की पूजा होती है जिससे वातावरण शुद्ध एवं सात्विक बनता है । इस चैत्र मास का ऐतिहासिक महत्व भी है।
चैत्र प्रतिपदा के दिन महाराजा विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत की शुरूआत, भगवान झूलेलाल का जन्म, नवरात्रि प्रारंभ, ब्रम्हा जी द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का संबंध इस दिन से है । राकेश ने युवाओं से आग्रह करते हुए कहा कि अपनी मानसिकता को बदलें और विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचानें। इसी अंग्रेजी हुकूमत को भारत से खदेङने के लिए हमारे देश के हजारों वीर क्रान्तिकारियों ने अपनें प्राणों की आहुति दी। लेकिन दुर्भाग्यवश आज के युवा उन क्रान्तिकारियों के बलिदान को भूलकर अंग्रेजों की पद्धति को अपनाने में मशगूल हैं, जो एक दिन भारतीय सभ्यता और संस्कृति के विनाश का कारण होग।
मौके पर धीरज कुमार, मोनु कुमार, चन्दन कुमार, सुमन कुमार, रितिक रौशन, अमन रौशन, अंकित रौशन, पुरुषोत्तम कुमार सहित दर्जनों क्रान्तिकारी युवा उपस्थित थे।
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