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Modern Campus : मॉडर्न स्कूल में "जलवायु परिवर्तन एवं संरक्षण" विषय पर सेमिनार आयोजित



मॉडर्न स्कूल में "जलवायु परिवर्तन एवं संरक्षण" विषय पर  सेमिनार आयोजित

बच्चों ने स्लाइड्स एवं व्याख्यान के द्वारा जलवायु परिवर्तन के विविध पक्षों पर की गंभीर परिचर्चा

नवादा लाइव नेटवर्क।

      मॉडर्न शैक्षणिक समूह, नवादा के अंतर्गत संचालित होने वाले विद्यालयों में गर्मी की छुट्टी के दौरान आयोजित समर कैंप के समापन मौके पर मॉडर्न इंगलिश स्कूल न्यू एरिया, कुंतीनगर, नवादा के विज्ञान विभाग द्वारा सेमिनार का आयोजन किया, जिसमें विद्यालय के आठवीं, नौवीं एवं दसवीं कक्षा के लगभग 50 छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। 

इस सेमिनार में बच्चों ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन, ऑडियो विज़ुअल्स एवं व्याख्यान के द्वारा पर्यावरण-परिवर्तन एवं इसके भयावह परिणामों के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला तथा इसके समाधान एवं बचाव के कई बेहतरीन उपायों को सुझाया।

सेमिनार का विधिवत उद्घाटन रविवार, 28 मई की सुबह 7:30 बजे मॉडर्न इंगलिश स्कूल के विज्ञान विभाग के वरिष्ठ शिक्षकगण मणिकांत मिश्रा, विनोदानंद झा, विजय कुमार अकेला एवं अखिलेश्वर सिंह ने मंगलदीप प्रज्ज्वलित करके किया। 


          उद्घाटन के बाद कार्यक्रम में उपस्थित अभिभावकों एवं छात्र-छत्राओं को संबोधित करते हुए मणिकांत मिश्रा ने आयोजन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पर्यावरण जैवमण्डल का आधार है, लेकिन औद्योगिक क्रान्ति के बाद से विकास की जो तीव्र प्रक्रिया अपनाई गई है उसमें पर्यावरण के आधारभूत नियमों की अवहेलना की गई। इसका परिणाम पारिस्थितिक असन्तुलन, ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन-क्षरण, जैव-विलुप्तीकरण एवं पर्यावरणीय निम्नीकरण के रूप में हमारे समक्ष उपस्थित है।

 आज विश्व के विकसित देश हों अथवा विकासशील देश, कोई भी जलवायु-परिवर्तन के कारण उत्पन्न गम्भीर समस्या से अछूता नहीं है। ऐसे में बच्चों में पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता एवं जागरूकता पैदा करने में यह सेमिनार महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। 


सेमिनार में उपस्थित उपप्राचार्य सुजय कुमार, एम.के. विजय के साथ सभी विज्ञान-शिक्षकों ने अपने अपने महत्वपूर्ण वक्तव्य दिए। बच्चों की ओर से दसवीं कक्षा की साक्षी ने अपने पीपीटी प्रेजेंटेशन के माध्यम से जलवायु-परिवर्तन से भविष्य के भयानक दुष्प्रभावों का चित्र खींचते हुए कहा कि सन 2100 आते-आते पृथ्वी के तापमान में 1.1 से 6.4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ोत्तरी हो सकती है।

 सदी के अन्त तक समुद्री जलस्तर मेें 18 से 58 सेमी. तक वृद्धि की सम्भावना है। 2080 तक 3.20 अरब लोगों को पानी उपलब्ध नहीं होगा। 60 करोड़ लोग भूखे मरेंगे। इससे अल्पविकसित देशों को बहुत हानि होगी। कई[ जीव विलुप्त हो जाएंगे और कई द्वीप जलमग्न हो जाएँगे। 


          दसवीं कक्षा के अभिषेक राज ने अपने ऑडियो विजुअल प्रस्तुति में बताया कि वैश्विक तापन के परिणामस्वरूप ध्रुवों की बर्फ तेजी से पिघलने लगी है जिसके कारण समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। ओजोन परत के क्षरण से पराबैंगनी किरणों के दुष्प्रभाव बढ़ने लगे हैं। न केवल मानव जीवन बल्कि पशु-पक्षी और वनस्पतियों पर भी प्रदूषित पर्यावरण का प्रभाव पड़ रहा है। कई दुर्लभ प्रजातियाँ नष्ट हो चुकी हैं। पशु-पक्षियों की संख्या घट रही है। बाढ़, सूखा, समुद्री तूफान, चक्रवात, भूकम्प, भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाएँ भी बढ़ी हैं। यदि समय रहते हम नहीं जागे तो धरती पर जीवन संकट उत्पन्न हो सकता है।

           नवम कक्षा की सलोनी ने अपने प्रस्तुति के दौरान संरक्षण एवं बचाव के विषय पर परिचर्चा करते हुए बताया कि पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली अपनाकर पृथ्वी को बचाया जा सकता है। इसके लिये हर कदम पर ऊर्जा की बचत कर और भूमि एवं जंगलों का संरक्षण करके पर्यावरण के अनुकूल माहौल बना सकते हैं। वृक्षारोपण को बढ़ावा देना होगा एवं सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा जैसे प्रदूषण मुक्त ऊर्जा स्रोतों को ज्यादा-से-ज्यादा अपनाना होगा।


 जीवाश्म ईंधन के उपयोग में कमी लानी होगी और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने वाली प्रौद्योगिकियों को अपनाने एवं इस दिशा में नई प्रौद्योगिकियों के विकास को प्रोत्साहित करना होगा। इन उपायों से निश्चित ही इस धरती को जलवायु परिवर्तन के खतरों से बचाने में मदद मिल सकती है। 

इसके अलावे प्रत्यूष, प्रणय, अभिज्ञान, सौरभ, प्रशांत, संतोष, निखिल, गुनीत, अमर, उत्सव, कृति, पलक, मानसी, अवंतिका, वैष्णवी, अनुपम, शिखा, सुमेधा, स्वीटी एवं श्रेया सिंह आदि की प्रस्तुतियां भी सराहनीय रही। इस अवसर पर विद्यालय के शिक्षकगण मणिकांत मिश्रा, अभिषेक कुमार, विजय कुमार अकेला, विनोदानंद झा, अखिलेश्वर सिंह एवं शिक्षिका नूतन कुमारी सहित अन्य कई विज्ञान शिक्षक उपस्थित रहकर सेमिनार की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


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