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क्या आप जानते हैं समोसे का इतिहास ?


 

भारत में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसने समोसे का स्वाद नहीं लिया होगा। जी हां। स्नैक्स और फास्ट फूड में जितना डिमांड समोसे का रहता है, उतना शायद ही किसी और चीज की हो और यही वजह है कि आपको हर नुक्कड़ पर, हर गली में एक समोसे की दुकान दिख जाएगी। गली नुक्कड़ के अलावा बड़े-बड़े रेस्टोरेंट में भी समोसे को वही स्थान प्राप्त है, जो किसी खास डिश को दिया जाता है। बिजनेस के नजरिए से बात करें तो एक आंकड़े के अनुसार भारत भर में हर रोज लगभग पांच से छह करोड़ समोसे खाए जाते हैं। इस अनुमान से भारत में करोड़ों और अरबों का समोसे का कारोबार किया जाता है। आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि हमारे देश में समोसे की दीवानगी कैसी है। हालांकि इतिहास की बात करें तो समोसा भारतीय पकवान नहीं है, बल्कि इसे इरानी पकवान कहा जाता है। फारसी में इसको 'संबुश्क' कहा जाता था जो धीरे धीरे धीरे धीरे भारत आया और यहां आने के बाद इसके आकार सहित स्वाद में कई सारे बदलाव किए गए और यह समोसे के नाम से प्रसिद्ध हो गया। कहते हैं कि पहले के समय में जब प्रवासी भारत के दौरे पर आते थे तो वह अपने साथ समोसा लाते थे। खासकर अफगानिस्तान से आने वाले लोग समोसा अपने साथ लाए और यह समोसा भारत में अलग रंग और ढंग में बनने और बिकने लगा। बता दें कि समोसे के में सबसे अधिक आलू भरे समोसे का डिमांड रहता है, लेकिन आपको सूखे मेवे से भरे हुए समोसे, चॉकलेट से भरे हुए समोसे तो सब्जियों से भरे हुए समोसे भी खाने को मिलेंगे। 

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