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Nawada News : स्कूली बच्चों के निवाले पर महंगाई की मार, एमडीएम संचालन में स्कूल संचालक परेशान

  


स्कूली बच्चों के निवाले पर महंगाई की मार, एमडीएम संचालन में स्कूल संचालक परेशान

दो वर्षों में दोगुनी हो गई खाद्य सामग्री की कीमत, लेकिन मध्याह्न भोजन के परिवर्तन मूल्य की राशि में नहीं हुई एक पैसे की भी वृद्घि

सरकारी दर से 1.50 रुपये ज्यादा है बाजार में अंडे की कीमत

 नवादा लाइव नेटवर्क।

स्कूलों में बच्चों को दी जाने वाली मध्याहन भोजन का नाम पीएम पोषण योजना कर दिया गया है। नाम बदला, महंगाई बढ़ी लेकिन सरकारी दर का निर्धारण और स्कूलों को राशि का भुगतान जस का तस है। पिछले दो साल से दर में किसी प्रकार की वृद्धि नहीं कि गई है। परिणाम है कि प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में संचालित मध्याह्न भोजन पर मंहगाई की मार पड़ रही है। बच्चों को मिलने वाले मध्याह्न भोजन में गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है। 

हाल देखिए, प्रत्येक शुक्रवार को बच्चों को दिए जाने वाले अंडे पर भी मंहगाई का असर है। संभावना है कि आने वाले वक्त में बच्चे अंडे का स्वाद लेने से वंचित रहने लगेंगे। इस बावत प्राथमिक विद्यालय नोनी के शिक्षक प्रेम कुमार ने कहते हैं कि दो वर्षों के भीतर दाल, तेल, मशाला से लेकर एलपीजी की कीमत में लगभग 60-70 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सरसो तेल दो साल पहले 100 रुपये  प्रति लीटर के करीब था, जो बढ़कर 200 रुपये तक जा चुका है।

 इसी तरह कॉमर्सियल गैस 1400 में मिल रहा था जो अभी 2200 रुपये में मिल रहा है। अभी आलू की कीमत 22 रुपये किलो है जबकि 2 साल पहले 8-10 रुपये था। 

उन्होंने बताया कि खाद्य सामग्री हो या हरी सब्जी या ढुलाई भाड़ा सभी की कीमत में लगभग डेढ़ से दोगुनी बढ़ गई है, लेकिन बच्चों को दिए जाने वाले मध्याह्न भोजन के लिए विभाग की ओर से मामूली बढ़ोतरी भी नहीं की गई है।

 नवसृजित प्राथमिक विद्यालय सिरसा पहाड़ी के शिक्षक जितेन्द्र कुमार ने कहा कि दो वर्ष पहले मध्याह्न भोजन के लिए प्रति छात्र 4 रुपये 97 पैसे दिए जा रहे थे। लेकिन इतनी मंहगाई के बावजूद दो वर्षों के बाद भी वही राशि मिल रही है। 

इस कीमत पर मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराना शिक्षकों के लिए संभव नहीं हो रहा है, लेकिन विभागीय कार्रवाई की भय से खुद का आर्थिक नुकसान करा स्कूल प्रबंधन मध्याह्न भोजन संचालित कर रहे हैं। 

बाजार में अंडे की कीमत सरकारी कीमत से 1.50 रूपए अधिक

पीएम पोषण योजना द्वारा प्रत्येक शुक्रवार को अंडा या मौसमी फल दिए जाने का प्रावधान किया गया है। इसके लिए प्रति छात्र विभाग की ओर से 5 रुपये स्कूलों को दिया जा रहा है। लेकिन बाजार में एक अंडा की कीमत 6.50 रुपये है।

 शिक्षक प्रेम कुमार बताते हैं कि अभी गर्मी है तब अंडे की इतनी कीमत है, ठंड का  बढ़ेगा वैसे ही अंडे की कीमत में और वृद्घि हो जाएगी। लेकिन विभाग द्वारा तीन वर्ष पहले जो दर निर्धारित किया गया था वही दर आज भी है। उन्होंने बताया कि शिक्षकों के लिए जेब से खर्च करने के अलावा कोई उपाय नहीं बचा है। क्योंकि मौसमी फल में अगर आम की कीमत की बात करें तो लगभग 70-80 रुपये किलो है और एक किलो में महज 5-6 आम आता है। इस तरह एक आम की कीमत लगभग 12 रुपये आती है। केले की कीमत 70-80 रुपये दर्जन है जो 6-7 रुपये प्रति केला पड़ता है। लिहाजा हर हाल में जेब से नुकसान सहना है।

 उन्होंने बताया कि दुख इस बात का होता है कि शिक्षक भले मध्याह्न भोजन में नुकसान सह लें और अधिकारी कीमत बढ़ाने में लाचार दिखें, लेकिन जांच के दौरान यही अधिकारी शिक्षकों को अपमानित करने में संकोच नहीं करते हैं। विडंबना यह है कि शिक्षक हित का ढिंढोरा पीटने वाला सभी संघ इस मामले में चुप है।

64 प्रतिशत से अधिक उपस्थिति नहीं हो सकती

इधर,विभाग का मानना है कि प्राइमरी स्कूलों में 64 फीसदी तथा मिडिल स्कूलों में 68 प्रतिशत से अधिक बच्चों की उपस्थिति नहीं हो सकती है। पीएम पोषण योजना के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा बीते 6 जुलाई को एक पत्र जारी किया गया है, जिसमें बताया गया है कि निदेशालय स्तर से निदेशित है कि विद्यालय स्तर पर 1-5 के लिए कुल नामांकन का 64 प्रतिशत तथा 6-8 के लिए 68 प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति के आधार पर परिवर्तन मूल्य देय है। यानी नामांकित बच्चों में से 64-68 फीसद तक ही भुगतान होगा। 

कुल मिलाकर स्थिति ये है कि वर्तमान दर पर एमडीएम का संचालन करना शिक्षकों के लिए मुश्किल हो रहा है।

 





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