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Nawada News : डॉक्टरों की प्रतिनियुक्ति में सिविल सर्जन कार्यालय भी लपेटे में, गलत तरीके से बनाये जा रहे प्रभारी, सरकार के आदेशों की उड़ रही धज्जियां

 

अपने कार्यालय कक्ष में बैठी सिविल सर्जन डॉ निर्मला कुमारी(फाइल फोटो)

डॉक्टरों की प्रतिनियुक्ति में सिविल सर्जन कार्यालय भी लपेटे में, गलत तरीके से बनाये जा रहे प्रभारी, सरकार के आदेशों की उड़ रही धज्जियां

नवादा लाइव नेटवर्क। 

बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के उप सचिव शैलेश कुमार का एक पत्र असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, दरभंगा को जारी किया गया है। जिसका लेटर नंबर 2/एम-02/2021-903(2) है।  यह पत्र बिहार के सभी जिलों के सिविल सर्जन को भी भेजा गया है।

पत्र का विषय है -बिना विभागीय पूर्वानुमति के विभाग द्वारा स्थान विशेष पर पदस्थापित चिकित्सकों को अन्यत्र पदस्थापित/प्रतिनियुक्त/प्राधिकृत करने के संबंध में। 

इस पत्र में कहा गया है कि विभागीय पत्रांक -839(2)  दिनांक-01.07.2015, पत्रांक-1161 (2),दिनांक 4.8.2016 एवं पत्रांक-1350(2) दिनांक 18.07.2019 की ओर आपका ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूं कि उक्त विभागीय पत्रों के द्वारा सभी असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि " विभाग द्वारा स्थान विशेष पर पदस्थापित चिकित्सकों को अन्यत्र स्थानांतरित-पदस्थापित नहीं किया जाये और न विभागीय पूर्वानुमति के अन्यत्र प्रतिनियुक्त किया जाए।"

दरअसल, दरभंगा जिले के चिकित्सक डॉ प्रेम चंद्र प्रसाद को बिना विभागीय पूर्वानुमति के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हरिहरपुर सिंघवाड़ा में कार्य करने को सिविल सर्जन द्वारा आदेशित किया गया था। डॉ प्रेम की शिकायत के बाद सरकार के उप सचिव ने नया पत्र जारी करते हुए सिविल सर्जन के आदेश को रद्द कर दिया। इस आदेश की प्रति सूबे के सभी सिविल सर्जन को भेजी गई। पत्र साफ करता है कि डाक्टरों का पदस्थापना/प्रतिनियुक्ति के मामले में सिविल सर्जन के हाथ बंधे हुए हैं।

  


अब समझिए हमने उप सचिव के उक्त पत्र का जिक्र खबर के शुरुआत में क्यों किया। इस पत्र के माध्यम से जारी आदेश का कितना अमल नवादा में हो रहा है इसकी पड़ताल की है। पता चला कि दरभंगा में महज एक चिकित्सक का मामला था। नवादा में तो आधा दर्जन से ज्यादा प्रभारी प्रतिनियुक्त कर दिए गए हैं।

 नवादा लाइव की पड़ताल में यह बात सामने आई कि 14 प्रखंड के इस जिले में 7 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी  प्रतिनियुक्ति वाले हैं। 

इन दिनों नरहट पीएचसी में प्रभारी और डॉक्टरों के बीच ठनी हुई है। प्रभारी डॉ राम कुमार की पदस्थापना वारिसलीगंज पीएचसी में है। वे वहां प्रभारी थे। आशा कार्यकर्ताओं से पंगा के बाद प्रभारी की कुर्सी छिन गई थी। उनके स्थान पर उनकी पत्नी डॉ आरती अर्चना को प्रभारी बना दिया गया था। जबकि डॉ आरती रेफरल अस्पताल वारिसलीगंज में पदस्थापित हैं। कायदे से डॉ राम कुमार को हटाया गया था तब पीएचसी के किसी वरीय चिकित्सक को प्रभारी बनाया जाना चाहिए था। 

नरहट, वारिसलीगंज से आगे की चर्चा करते हैं, काशीचक के प्रभारी डॉ अभिषेक की पदस्थापना मूलतः पकरीबरावां पीएचसी में है। इसी प्रकार गोविंदपुर के प्रभारी डॉ धनंजय की पदस्थापना वारिसलीगंज, अकबरपुर प्रभारी डॉ राजीव का पदस्थापन सिरदला, खानवां के डॉ ओम प्रकाश का नरहट, सिरदला के प्रभारी डॉ राम प्रवेश सिंह का रोह में मूल पदस्थापन है। 

नियमानुकूल इन लोगों की प्रतिनियुक्ति ही सही नहीं है। लेकिन, प्रतिनियुक्ति कर प्रभारी बनाए गए और सभी को वित्तीय प्रभार भी दे दिया गया है। 

फिलहाल जिले में कौआकोल, रोह, मेसकौर, हिसुआ, नारदीगंज, रजौली और नवादा सदर पीएचसी के प्रभारी ही अपने मूल पदस्थापन वाले स्थान पर हैं।

बड़ा सवाल है कि जब मूल पदस्थापन  वाले प्रखंडों में वे चिकित्सक काम कर सकते हैं तो प्रतिनियुक्ति का औचित्य क्या है?

इस मसले पर जानकार बताते हैं कि नियम और सरकार का आदेश अपने जगह, यहां तो बस कृपा उसी पर  बरसती है, जो लाभ-शुभ के लिए आगे आते हैं।

यह काम कोई आज से नहीं हो रहा है। पूर्व के सिविल सर्जन भी सरकार के आदेश को रद्दी की टोकरी में डालते रहे हैं।

बहरहाल, नरहट पीएचसी के विवाद ने अब वर्तमान और पूर्व के सिविल सर्जन कार्यालय को भी अपने लपेटे में ले लिया है। इस खेल में साहब के साथ बाबुओं की भूमिका भी संदेह के घेरे में है। नरहट में प्राभारी के खिलाफ मोर्चा खोले चिकित्सक ही इन पत्रों को सार्वजनिक कर अपने साहबों की पोल खोल कर रहे हैं।

प्रतिनियुक्ति के विवाद पर सिविल सर्जन नवादा डॉ निर्मला कुमारी की प्रतिक्रिया लेने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।





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