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Court News : जिला पार्षद अंजनी को नहीं मिली अग्रिम जमानत, गिरफ्तार डॉक्टर संजीत को अभी और रहना होगा जेल में, डॉ धनंजय भी पहुंचे कोर्ट

 

जिला पार्षद अंजनी सिंह

जिला पार्षद अंजनी को नहीं मिली अग्रिम जमानत, गिरफ्तार डॉक्टर संजीत को अभी और रहना होगा जेल में, डॉ धनंजय भी पहुंचे कोर्ट

नवादा लाइव नेटवर्क

मारपीट से जुड़े एक मामले का इंजरी रिपोर्ट (जख्म प्रतिवेदन) में फर्जीवाड़ा के मामले में फंसे नवादा के जिला पार्षद अंजनी सिंह सहित अन्य आरोपितों की मुश्किलें बढ़ गई है। जिला जज ने अंजनी सिंह की अग्रिम जमानत की याचिका का खारिज कर दिया है। ऐसे में उनकी मुश्किलें बढ़ गई है।  3 अगस्त को जिला जज की अदालत में अग्रिम जमानत पर सुनवाई हुई थी।

इसी मामले में 7 अगस्त को गिरफ्तार हुए अकबरपुर पीएचसी के चिकित्सक डा संजीत और मधोरन सिंह को भी जमानत के लिए और इंतजार करना होगा। केस डायरी की मांग की गई है। 6 सितंबर को एडीजे 12 की अदालत में जमानत पर सुनवाई हुई थी। अब 12 सितंबर को सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित की गई है।

इधर, कांड के एक अन्य आरोपित गोविंदपुर के पूर्व प्रभारी डा धनंजय द्वारा भी अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दाखिल किया गया है। डा धनंजय भी इन दिनों फरार चल रहे हैं। 

हाई कोर्ट का हुआ है दखल

जख्म प्रतिवेदन (इंजरी रिपोर्ट) में तथ्य के साथ छेड़ छाड़ के मामले में पटना हाईकोर्ट के दखल के बाद दो आरोपितों डा संजीत और मधोरण सिंह की गिरफ्तारी 7 अगस्त को हुई थी। एसपी डा गौरव मंगला द्वारा सभी पांच आरोपितों जिला पार्षद अंजनी सिंह, डा संजीत कुमार, डा धनंजय, मधोरन सिंह और पंकज पाठक की गिरफ्तारी का आदेश दिया गया था।

डा धनंजय

 समझिए कया है पूरा घटनाक्रम

इस मामले को समझने के लिए 7 साल पीछे जाना होगा। 2 जुलाई 15 को वारिसलीगंज थाना इलाके के कुटरी ग्रामीण पेशे से भागलपुर के कालेज में प्राध्यापक प्रो. बलिराम प्रसाद के साथ मारपीट की घटना उनके गांव में हुई थी। जिसकी प्राथमिकी उन्होंने थाना में कांड संख्या 181/15 दर्ज कराई थी। हत्या की नीयत से जानलेवा हमला का आरोप था। इस मामले में तब वारिसलीगंज में कार्यरत डा धनंजय और सदर अस्पताल नवादा में प्रतिनियुक्ति पर रहे डा संजीत द्वारा इंजरी रिपोर्ट दिया गया था। पीड़ित का आरोप था कि गलत इंजरी रिपोर्ट दिया गया है। आरोपितों को लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा किया गया है। 

पीड़ित प्रोफेसर ने फर्जी इंजरी रिपोर्ट तैयार बनाने के दोषियों पर कार्रवाई के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। पीएम से लेकर सीएम तक पत्राचार कर इंसाफ की गुहार लगाई। पुलिस के तमाम वरीय अधिकारियों तक मामले को ले गए। जांच हुई तो पीड़ित पक्ष का दावा सही निकला।

चिकित्सकों पर हुआ एफआईआर 

पीड़ित की लड़ाई का असर हुआ कि 3 साल बाद 2018 में दोनों चिकित्सकों और मारपीट के आरोपितों के खिलाफ एफआईआर वारिसलीगंज थाना कांड संख्या 121/18 दर्ज हुआ था।

पुलिस ने नहीं की आगे की कार्रवाई

भारी दबाव के बीच पुलिस ने प्राथमिकी तो दर्ज कर ली लेकिन किसी आरोपितों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकी थी।


पीड़ित पहुंच गए हाईकोर्ट

एफआईआर के 3 साल बीतने के बाद भी इंसाफ नहीं मिलता देख पीड़ित प्रोफेसर पटना हाईकोर्ट पहुंच गए थे। हाईकोर्ट में याचिका cwjc 859/21 दायर किया गया था। हाईकोर्ट से जब पुलिस को नोटिस हुआ तब एसपी ने कांड को आईपीसी की धारा 420, 468, 471, 197, 201, 120 (बी)में सत्य करार देते हुए दोनों चिकित्सक और जिला पार्षद तथा इनके शागिर्दों पंकज पाठक और मधोरन सिंह की गिरफ्तारी का आदेश दे दिया था। 

हाईकोर्ट में मामला हुआ निष्पादित

 26 जुलाई 22 को हाईकोर्ट में नवादा पुलिस का काउंटर एफीडेविट प्रस्तुत किया गया। जिसपर सुनवाई हुई थी। हाई कोर्ट द्वारा आगे की प्रगति रिपोर्ट तलब किया गया है। 18 अगस्त को सुनवाई हुई थी। जिसमें पुलिस अधीक्षक द्वारा इस दिन तक की गई कार्रवाई का ब्योरा दिया गया था। एसपी द्वारा अदालत को आश्वस्त किया गया था कि सही कार्रवाई आरोपितों के विरुद्ध की जा रही है। इसके बाद अदालत ने यह कहते हुए मामले का निपटारा कर दिया था कि याचिकाकर्ता अगर पुलिस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं होते हैं तो पुनः अदालत आ सकते हैं।

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