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Nawada News : ओड़ो गांव में आयोजित हुआ शंखनाद प्रतियोगिता, रवि भूषण पांडेय को प्रथम पुरस्कार

 

शंखनाद प्रतियोगिता में शामिल ब्राह्मण परिवार के सदस्यगण

 ओड़ो गांव में आयोजित हुआ शंखनाद प्रतियोगिता, रवि भूषण पांडेय को प्रथम पुरस्कार

नवादा लाइव नेटवर्क।

नवादा जिले के नारदीगंज प्रखंड के ओड़ो गांव में गुरुवार 1 सितंबर को गणेश पूजा के अवसर पर शंखनाद प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। 

श्री गणेश युवा सेवा संस्थान ओड़ो द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रखंड के विभिन्न गांवों के ब्राह्मण परिवार के सदस्यों ने भाग लिया। ओड़ो ,रामे,बिक्कू,कोशला, सहजपुरा गांव के 24 ब्राह्मण देवताओं ने प्रतियोगिता में शंखनाद किया।  धोती_कुर्ता परिधान में शंखनाद किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान गणेश की आरती व स्वास्तिक वाचन व मंगलाचरण से हुआ। निर्णायक मंडल के प्रतिनिधि नलिन बिलोचन मिश्र व जितेन्द्र कुमार मिश्र ने प्रतिभागियों को विजेता घोषित किया। ओड़ो निवासी रविभूषण पांडेय प्रतियोगिता में अव्वल रहे। 

दूसरा स्थान बिक्कू निवासी नंदलाल पांडेय और तृतीय स्थान में रामे निवासी मनोज मिश्र को मिला। सेवानिवृत्त शाखा प्रबंधक अमरेन्द्र कुमार मिश्र, संस्थान के पूर्व अध्यक्ष विनय कुमार मिश्र ने विजेताओं को पुरुस्कार देकर सम्मानित किया।

 प्रथम स्थान पाने वाले को 501 रूपये के अलावा धोती,कुर्ता,गमछा,गंजी,द्वितीय स्थान पाने वाले को 251 रुपये के अलावा धोती,कुर्ता,गंजी,गमछा, तृतीय स्थान पाने वाले को 151 रुपये के अलावा धोती,कुर्ता,गमछा,गंजी प्रदान कर उत्साहवर्धन किया। 

 यह आयोजन पहली बार हुआ। व्यवस्थापक की भूमिका अम्बुज कुमार मिश्र ने निभाई। मौके पर पंकज कुमार मिश्र,शैलेन्द्र मिश्र, अतुल मिश्र, उदय पांडेय,भोले मिश्र, धीरज कुमार,अनूप मिश्र, विनय पांडेय, अमरेश कुमार मिश्र, धनन्जय कुमार समेत काफी संख्या में लोग शामिल हुए।

इधर, उच्च न्यायालय पटना के अधिवक्ता सह ओड़ो निवासी पंडित राघवेन्द्र कुमार मिश्र ने बताया कि शंख सनातन का प्रतीक है, कहा गया शंख वादन और शंख का महत्व हिन्दू सनातन संस्कृति में विशेष रूप से है। आध्यात्मिक ,धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इसे माना जाता है।

पुराणों के अनुसार शंखचूड़ दानवराज का वध भगवान विष्णु ने किया था, उसके अस्थियों से शंख का निर्माण हुआ।

भगवान विष्णु को शंख अत्यधिक प्रिय है।

शंख समुद्र मंथन से निकला हुआ रत्न है।

शंख माता लक्ष्मी का भाई है,  क्योंकि लक्ष्मी की उत्पत्ति भी समुद्र मंथन से हुआ था।

शंख से निकली ध्वनि प्राकृतिक नाद है जो ॐ के उच्चारण का नाद है इसमें कोई संशय नहीं है।

ॐ साक्षात ब्रह्म नाद है।

सूर्य से हमेशा ॐ की ध्वनि निकलती रहती है।

इस ब्रह्मनाद से ही सृष्टि हुई है।

शंख सनातनता का प्रतीक है।

भगवान विष्णु शंख को अपने दाहिने हाथ मे धारण करते हैं।

आपको जानकारी होगी कि समुद्र मंथन मे गणेश शंख की उत्पत्ति हुई थी।

प्रथम पूज्य गणेश के आकार वाली शंख के दर्शन मात्र से सारे पाप धुल जाते है।

यह ध्वनि वातावरण मे मिल कर सृस्टि परम्परा को जागृत कर देती है,जीवन मे नया उल्लास,उमंग आ जाता है।

महाभारत मे शंख की महिमा इतनी थी कि युद्ध के आरम्भ मे शंख वादन ने किसी के हृदय विदीर्ण कर दिए तथा किसी के हृदय में जोश भर दिया।

पांचजन्य शंख श्रीकृष्ण के अधरों से लग कर जयघोष का बिगुल फूंक दिया।

देवदत्त नामक शंख ने अर्जुन को विजय दिला दीया।

जहां शंख है वहां लक्ष्मी का निवास स्थान है।

वैज्ञानिकों ने भी साबित कर दिया है कि शंख ध्वनि से वातावरण शुद्ध हो जाता है तथा आसपास के कीटाणु मर जाते हैं।

वेद के अनुसार शंख ध्वनि राक्षसों का भी नाश कर देता है।

*शंखेन  हत्वा रक्षांसि*

हृदय रोगियों के लिए रामबाण शंख वादन है।


शंख भष्म का उपयोग आयुर्वेद मे परम् औषधि के रूप में किया जाता है।


शंख का जल पीने से मूक बोलने लग जाता है।

शंख भगवान का दिया हुआ अनुपम उपहार है।

इसलिए हमेशा शंख बजाते रहिये और जीवन को समृद्ध करते रहिए।

उन्होंने ने कहा यह प्रतियोगिता हर दृष्टिकोण से लाभकारी है।






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