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Nawada News : घोटाले की प्राथमिकी पर प्रश्नचिन्ह, जिसपर हुआ मुकदमा वे कभी मुखिया रहे ही नहीं, पंचायत सचिव भी परेशान

 

शाहपुर ग्रामीण पूर्व उप मुखिया मदन मुरारी प्रसाद

घोटाले की प्राथमिकी पर प्रश्नचिन्ह, जिसपर हुआ मुकदमा वे कभी मुखिया रहे ही नहीं, पंचायत सचिव की परेशानी अलग

नवादा लाइव नेटवर्क।

खेत खाय गधा, मार खाय जुला..., कुछ ऐसा ही हुआ है एक तथाकित मुखिया के साथ। बेचारा कभी मुखिया रहे नहीं और करीब साढ़े तीन लाख रुपए सरकारी राशि गबन का आरोपी बना दिए गए। धारा 420/406/34आईपीसी के तहत एफआईआर भी दर्ज हो गया है। पुलिस अब उन्हें बेसब्री से ढूंढ रही है और वे बेचारे हैरान परेशान, इधर_उधर पैरवी पहुंच लगाकर केस से उबरने की जुगत लगा रहे हैं। मामला दिलचस्प है। 

क्या है पूरी घटना

नलकूप प्रमंडल नवादा के कार्यपालक अभियंता ई सर्वेश कुमार चौधरी द्वारा वारिसलीगंज थाना में गबन से संबंधित एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। जिसमें शाहपुर पंचायत के भूतपूर्व मुखिया मदन मुरारी प्रसाद और वहां के पंचायत सचिव अशोक साव को अभियुक्त बनाया गया है। कार्यपालक अभियंता के पत्रांक 2146 दिनांक 25.11.22 पर वारिसलीगंज थाना के थानाध्यक्ष ने प्राथमिकी कांड संख्या 697/22 दर्ज कर मामले के अनुसंधान का जिम्मा एएसआई दीपक कुमार को सौंपा है। 25 नवंबर की तिथि में ही एफआईआर दर्ज किया गया है।

मदन मुरारी नाम के कोई मुखिया रहे ही नहीं

एफआईआर दर्ज होने के बाद इसकी विश्वसनीयता पर ही सवाल उठ गए हैं। दरअसल, शाहपुर पंचायत में अबतक मदन मुरारी प्रसाद नाम के कोई व्यक्ति मुखिया हुए ही नहीं हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि एफआईआर में किस मदन  मुरारी का जिक्र किया गया है। 

एफआईआर हुआ है तो पुलिस प्राथमिकी अभियुक्त को ढूंढ रही है। इस नाम के एक व्यक्ति शाहपुर गांव के निवासी हैं, लेकिन वे वार्ड सदस्य और उप मुखिया रहे हैं, मुखिया नहीं। सवाल उठ रहा है कि कया ऐसा किसी को बचाने के लिए जानबूझ कर किया गया या फिर कांड को उलझाकर ऊपरी आदेश के दवाब में खानापूर्ति किया गया है। 



एफआईआर में और भी खामियां

दर्ज कराई गई प्राथमिकी में कुछ और भी खामियां सामने आई है। कांड में दूसरे अभियुक्त बनाए गए हैं इस पंचायत के पंचायत सचिव अशोक साव। उनके बारे में बताया जा रहा है कि जिस समय की घटना है उस वक्त वे यहां कार्यरत ही नहीं थे। पंचायत सचिव कोई और थे। 

एफआईआर के पीछे की वजह

कार्यपालक अभियंता द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी में कहा गया है कि वर्ष 2018_19 में शाहपुर पंचायत को राजकीय नलकूप बाली के जीर्णोद्धार के लिए 3 लाख 48 हजार रुपए नलकूप प्रमंडल नवादा द्वारा आवंटित किया गया था। नलकूप का काम नहीं कराया गया। इस बीच विभागीय पत्रांक 619(न.को.) दिनांक 4.11.22 के द्वारा उक्त नलकूप को परित्यक्त कर दिया गया। इसके बाद 21.11.22 को मुख्य सचिव बिहार द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए राशि वापसी कराने अन्यथा एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश डीएम को दिया गया।

डीएम के निर्देश पर एफआईआर 

 डीएम से प्राप्त निर्देशों के आलोक में कार्यपालक अभियंता ने 22.11.22 को पत्रांक 2146 के मध्यम से शाहपुर पंचायत के कथित मुखिया मदन मुरारी प्रसाद और पंचायत सचिव अशोक साव को राशि 348000 रूपये नलकूप विभाग के चालू खाता में वापस करने का निर्देश दिया। राशि वापस नहीं होने पर एफआईआर दर्ज कराया गया।

नवादा लाइव की पड़ताल

नवादा लाइव की पड़ताल में यह बात सामने आई कि मदन मुरारी प्रसाद नाम के कोई व्यक्ति शाहपुर पंचायत के मुखिया रहे ही नहीं। वे उप मुखिया अवश्य रहे हैं। त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था कायम होने के बाद 2001 में पंचायत चुनाव हुआ। तब से 2016 तक लगता अर्जुन सिंह मुखिया रहे। 2016_22 के बीच नीलम देवी पति विपिन सिंह मुखिया रहीं। वर्तमान में अर्जुन सिंह की बहु कुमारी रंजना मुखिया हैं। तो सवाल ये कि मदन मुरारी प्रसाद कहां से चले आए।

एक बात और चौंकाती है कि जिस वक्त राशि पंचायत को  हस्तांतरित किया गया उस वक्त वहां पंचायत सचिव अल्केश्वर रविदास थे। जबकि एफआईआर वर्तमान सचिव अशोक साव पर किया गया है। जानकर बताते हैं कि तब के सचिव की मौत भी हो चुकी है। 

डीएम से कार्रवाई की मांग

मामला सामने आने के बाद भाजपा नेता जितेंद्र कुमार सिंह ने डीएम से पूरे मामले की जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह जांच आवश्यक हो गया कि ऐसा फर्जी एफआईआर का उद्देश्य क्या था। भाजपा नेता श्रीसिंह ने एसपी से भी मामले की गंभीरता को देखते हुए एफआईआर दर्ज कराने वाले के विरुद्ध ही 211 के तहत मुकदमा दर्ज करा अग्रेतर कार्रवाई की मांग की है।

"कहते हैं अभियंता_

गड़बड़ी कहां से और किस स्तर से हुई है इसकी जांच कर सही जानकारी दे सकेंगे।

सर्वेश चौधरी, कार्यपालक अभियंता, नलकूप प्रमंडल, नवादा।


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