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Crime News : जांच में साबित हुआ कि डॉ नीरज ने बनाया था फर्जी इंजरी, मेडिकल बोर्ड ने सिविल सर्जन को रिपोर्ट सौंपा


डॉ नीरज

जांच में साबित हुआ कि डॉ नीरज ने बनाया था फर्जी इंजरी, मेडिकल बोर्ड ने सिविल सर्जन को रिपोर्ट सौंपा

नवादा लाइव नेटवर्क।

सदर अस्पताल नवादा के चिकित्सक डॉ नीरज कुमार ने फर्जी इंजरी रिपोर्ट दिया था, यह जांच में सत्य पाया गया है। जांच को गठित 3 सदस्यीय मेडिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट सिविल सर्जन को सौंप दिया है। जिसमें साफ किया गया है कि डॉ नीरज द्वारा दिया गया जख्म प्रतिवेदन सत्य प्रतीत नहीं होता है। 

जानिए क्या है मामला 

 6 दिसंबर 2022को नवादा जिले के मुफस्सिल थाना इलाके के पकड़िया गांव के पिंटू सिंह पिता विद्याधर जख्मी हाल में सदर अस्पताल नवादा में इलाज के लिए पहुंचे थे। जहां ड्यूटी पर रहे चिकित्सक डॉ मनोज कुमार द्वारा उनका इलाज किया गया था। उस वक्त सुबह के 6 बजकर 10 मिनट हो रहा था। चिकित्सक ने प्राथमिक उपचार के बाद सीटी स्कैन के लिए मरीज को बीम्स पावापुरी रेफर कर दिया गया था। 

नवादा से रेफर मरीज को एंबुलेंस से बीम्स पावापुरी ले जाया गया था। सुबह के 8 बजकर 57 मिनट पर मरीज को बीम्स पावापुरी में भर्ती कराया गया था। 

इधर, इंजरी रिपोर्ट जब सामने आया तो एक नया किस्सा सामने आया। इंजरी रिपोर्ट डॉ नीरज कुमार का था। कायदे से यह रिपोर्ट डॉ मनोज कुमार का होना चाहिए था। मामले की जांच पड़ताल हुई तो एक बड़ा झोल सामने आया। सदर अस्पताल के ओडी रजिस्टर में जख्मी पिंटू की इंट्री दो_दो बार थी। पहला सुबह 6:10 बजे। दूसरा 8:45 बजे। पहला इंट्री डॉ मनोज कुमार और दूसरा डॉ नीरज कुमार का था।

यहीं से सवाल उठा कि दूसरी इंट्री क्यों और कैसे और किस लिए हुई? जब मरीज 8:57 बजे बीम्स पावापुरी पहुंच गया था तो 8:45 में सदर अस्पताल में कैसे इलाज हुआ? 12 मिनट में कोई एंबुलेंस नवादा से करीब 25 किलोमीटर दूर कैसे पहुंच सकता है। साफ है कि फर्जी इंजरी के लिए यह साजिशन किया गया था।

सिविल सर्जन ने दिए थे जांच के आदेश

फर्जी इंजरी रिपोर्ट के खिलाफ पकड़िया गांव की एक महिला सोनी देवी पति संजय सिंह ने सिविल  सर्जन से शिकायत की। सिविल सर्जन ने डॉ प्रभाकर, डॉ एसडी अरैया और डॉ अजय कुमार की 3 सदस्यीय टीम गठित कर मामले की जांच का आदेश 17 जनवरी को दिया था।

23 जनवरी को मेडिकल बोर्ड द्वार@ जांच रिपोर्ट दी गई जिसमें कहा गया की डॉ नीरज का जख्म प्रतिवेदन सही प्रतीत नहीं होता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि डॉ मनोज द्वारा रेफर किए जाने के बाद एंबुलेंस से मरीज को बीम्स ले जाया गया था, जो एंबुलेंस बीआर01पीएन 8241 के लॉक बुक में अंकित है। 8:45 में डॉ नीरज द्वारा रेफर करने का एंबुलेंस के लॉक बुक में अंकित नहीं है।इस रिपोर्ट से साफ है कि गड़बड़ जानबूझकर किया गया था। 

बता दें कि शिकायतकर्ता सोनी देवी ने सिविल सर्जन को जो शिकायत सौंपी थी, उसमें इस बात का जिक्र था कि डॉ नीरज ने फेंक इंजरी रिपोर्ट दिया है। 

पुलिस इंस्पेक्टर सुजीत कुमार पर भी आरोप

इस मामले में नवादा अंचल के पुलिस निरीक्षक सुजीत कुमार भी सवालों के घेरे में हैं। इनपर आरोप है की तथ्यों की अनदेखी कर गलत पर्यवेक्षण रिपोर्ट तैयार किया। कांड के आरोपित पक्ष की ओर से एसपी नवादा को 24 दिसंबर को एक पत्र दिया गया था। जिसमें गलत इंजरी रिपोर्ट बनवाने का जिक्र करते हुए सही जांच की मांग की गई थी। एसपी ने उस पत्र को पर्यवेक्षण पदाधिकारी यानी इंस्पेक्टर को भेज दिया था।

इंस्पेक्टर ने 21 दिसंबर 22 की तिथि में ही पर्यवेक्षण प्रतिवेदन को जारी कर दिया। जिसमें उक्त कांड के 7 आरोपितों में से 2 को दोषमुक्त करार दिया। जबकि 5 की गिरफ्तारी का आदेश दे दिया। 

अब इंस्पेक्टर के पर्यवेक्षण रिपोर्ट पर भी विवाद उठ गया है। इंस्पेक्टर द्वारा 21 दिसंबर को ही जब पर्यवेक्षण प्रतिवेदन जारी कर दिया गया था, तब 24 दिसंबर को एसपी नवादा द्वारा भेजे गए पत्र का उल्लेख उसमें कैसे किया गया? इंस्पेक्टर ने अपने प्रतिवेदन में प्रतिरक्षा साक्ष्य में सोनी देवी के उस पत्र का जिक्र किया है, जिसमें इंजरी रिपोर्ट फर्जी होने की बात है। यह हास्यास्पद है कि 24 का पत्र 21 को ही इंस्पेक्टर को मिल गया था। जाहिर है एसपी को भी इस मामले में इंस्पेक्टर द्वारा नजर अंदाज किया गया।

मारपीट का है मामला

पूरा वाक्या नवादा जिले के मुफस्सिल थाना कांड संख्या 344/22 धारा 147/149/341/323/324/307/504 आईपीसी से जुड़ा है।

 पकड़िया गांव के प्रिंस राज द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी में कहा गया था की 6 दिसंबर की सुबह 4 बजे सुबह उसके पिता पिंटू सिंह उर्फ विद्याधर सिंह खलिहान गए थे। जहां हरवे हथिया से लैस होकर पहुंचे लगाए गांव के ही बबलू सिंह, संजय सिंह, कुणाल कुमार, रंजन कुमार, मुकेश कुमार आदि ने हमला कर दिया। राड से सिर पर हमला करने से गंभीर चोटें आई थी। मामला भूमि विवाद का था। हालांकि, दूसरे पक्ष का कहना है कि धान की झरनी करने के दौरान मशीन में कपड़ा फंसने से वे जख्मी हुए थे। खैर, यह तो दोनों पक्षों का अपना अपना दावा है। लेकिन, पूरे मामले में सिस्टम के अंदर फैला भ्रष्टाचार पूरी तरह से नंगा होकर सामने आया है। इस सिस्टम में, गरीब और कमजोर के लिए न्याय पाना कितना मुश्किल है समझा जा सकता है। 

मंत्री सहित उच्च अधिकारियों से शिकायत

डॉक्टर पर लगे आरोपों की जांच के लिए सिविल सर्जन द्वारा टीम गठित कर दिया गया है। वहीं, इंस्पेक्टर के खिलाफ भी जिला प्रभारी मंत्री, एसपी, आईजी मगध को शिकायत भेजी गई है।

ऐसे ही मामले में 6 माह से जेल में हैं एक डॉक्टर 

नवादा के एक डॉक्टर संजीत कुमार कोई 6 माह से जेल में हैं, दूसरे डॉक्टर धनंजय कुमार इतने ही माह से भागे_भागे फिर रहे हैं। दोनों का जुर्म है गलत जख्म प्रतिवेदन देना। वारिसलीगंज थाना क्षेत्र के एक व्यक्ति के साथ हुई मारपीट का गलत इंजरी रिपोर्ट देने में दोनों चिकित्सक फंसे थे। अभी यह मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि एक और फर्जी इंजरी रिपोर्ट में डॉक्टर फंसते दिख रहे हैं। 

सिविल सर्जन को लेना है एक्शन

मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट आने के बाद आरोपित चिकित्सक के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है, सिविल सर्जन को निर्णय लेना है। पीड़ित पक्ष का आरोप है कि सदर अस्पताल में कुछ ऐसे कर्मी हैं जो फर्जी इंजरी रिपोर्ट देने का धंधा चला रखे हैं। सिविल सर्जन को सौंपे शिकायत पत्र में 2 कर्मियों के नामों का उल्लेख भी किया गया है। 

 बहरहाल, इस मामले ने भारष्टाचार के पूरे शिष्टाचार की ही कलई खोल कर रख दी है। शिकायतकर्ता सिविल सर्जन और एसपी से इंसाफ की उम्मीदें लगाए हैं।


























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