Header Ads

Breaking News

Nawada News : लोमस ऋषि पर्वत पर्यटक स्थल के रूप में होगा विकसित, हाईकोर्ट का आदेश, अब नहीं हो पाएगा वहां पहाड़ों का उत्खनन



लोमस ऋषि पर्वत पर्यटक स्थल के रूप में होगा विकसित, हाईकोर्ट का आदेश, अब नहीं हो पाएगा वहां पहाड़ों का उत्खनन 

नवादा लाइव नेटवर्क। 

नवादा जिले के रजौली प्रखंड मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर लोमस ऋषि और याज्ञवल्क्य ऋषि पर्वत की गुफाओं को संरक्षित कर इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने का काम होगा। पटना हाई कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश के बाद ऐसा संभव हो सकेगा। पटना हाई कोर्ट ने इस क्षेत्र को विकसित करने के लिए डीएम की ओर से पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव को भेजे गए पत्र के आलोक में कार्रवाई करने को कहा है। 

हाईकोर्ट ने कहा है कि इस क्षेत्र को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की दिशा में उद्देश्यपूर्ण कार्रवाई की जाए। इसके साथ ही दायर लोक याचिका का निष्पादन हो गया। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चन्द्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। 19 सितंबर 2023 को हाईकोर्ट का फैसला आया।

 बताते चलें कि लोमस ऋषि पर्वत को बचाने के लिए छपरा गांव के पूर्व मुखिया विनय कुमार सिंह ने हाई कोर्ट में लोकहित याचिका (पीआईएल) दाखिल किया था। जिसपर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही थी। कोर्ट में दिए गए साक्ष्य के अनुसार हाईकोर्ट ने लोमस ऋषि पहाड़ के इर्द-गिर्द चल रहे खनन कार्य को पूर्व में ही बंद करा दिया था।

रजौली के पूर्व एसडीओ चंद्रशेखर आजाद ने प्राचीन धर्म ग्रंथों का अध्ययन कर इस इलाके को सप्त ऋषियों की साधना स्थली बताते हुए इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की अनुशंसा देश- समाज हित में की थी। जिस पर हाईकोर्ट ने भी अब मुहर लगा दी है। तत्कालीन रजौली एसडीओ चंद्रशेखर आजाद ने डीएम के माध्यम से सरकार को इन इलाकों को सप्त ऋषियों की साधना स्थली मानते हुए पर्यटन क्षेत्र घोषित करने की अनुशंसा की थी।

उच्च न्यायालय के फैसले से रजौली के स्थानीय नागरिकों के बीच इसके पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने की आश जगी है।

बता दें कि दो वर्ष पहले तक यहां महादेवा, कात्यायनी एवं मधुकोन नाम की तीन अलग_अलग कंपनियों द्वारा पत्थर उत्खनन का काम किया जा रहा था। यहां क्रशर प्लांट भी काम कर रहा था। पटना हाई कोर्ट में जब पीआईएल फाइल हुआ तब सुनवाई के दौरान ही हाईकोर्ट ने खनन बंद करा दिया था।

 दरअसल, 2015 में गलत तरीके से तथ्य को छिपाकर इस पहाड़ के उत्खनन की नीलामी की गई थी। तत्कालीन सीओ द्वारा उक्त पर्वत पर मंदिर होने के तथ्य को छिपाया गया था। आरटीआई से इसका खुलासा हुआ था। इसके बाद ही पीआईएल फाइल किया गया।

 20 जुलाई 2021 से वहां पत्थर खान का काम बंद था। 27 जुलाई को अधिकारियों ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद खनन  को पूरी तरह से बंद करा दिया गया था। अब हाईकोर्ट का फैसला आया है तब यह तय हो गया है कि आगे पत्थर का खनन नहीं होगा। साथ ही अब यह पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हो सकेगा। सही दिशा में काम हुआ तो यह स्थान रामायण सर्किट से जुड़ जायेगा।

No comments