Header Ads

Breaking News

Court News : कोर्ट के कर्मचारी गए हड़ताल पर, काम_काज हुआ ठप, लोगों की परेशानी बढ़ी

 


कोर्ट के कर्मचारी गए हड़ताल पर, काम_काज हुआ ठप, लोगों की परेशानी बढ़ी

नवादा लाइव नेटवर्क।

बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के आह्वान पर व्यवहार न्यायालय नवादा के सभी कर्मचारी गुरुवार 17 जनवरी से अनिश्चितकालीन कलमबंद हड़ताल पर चले गए।जिससे अदालती कार्य पूरी तरह से ठप हो गया।

संघ के नवादा इकाई के अघ्यक्ष सुभाष चन्द्र शर्मा, उपाध्यक्ष सुबोध कुमार, सचिव रत्नान्द झा, उपसचिव पवन कुमार, संगठन मंत्री कुमार विद्याव्रत, कोषाध्यक्ष चंदन कुमार शर्मा, संगठन मंत्री उमेश ठाकुर व धर्मवीर प्रसाद तथा महिला प्रकोष्ठ के अध्यक्ष खुशबू कमारी ने संयुक्त रूप से न्यायालय कर्मी के द्वारा हड़ताल पर जाने की लिखित जानकारी प्रधान जिला जज को पूर्व में ही दे दी थी।

वहीं व्यवहार न्यायालय के रात्री प्रहरी रमेन्द्र सिंह ने भी हड़ताल पर जाने से सम्बंधित जानकारी देते हुए व्यवहार न्यायालय अंतर्गत सभी कक्ष एवं कार्यालय सहित महत्वपूर्ण कमरे की चाबी सौंपने का आवेदन भी दिया है। व्यवहार न्यायालय के कर्मियों ने हड़ताल पर जाने से पहले बुधवार को एक बैठक कर हड़ताल को सफल बनाने और एकजुटता बनाए रखने का निर्णय लिया था। गुरुवार को कामकाज छोड़कर कर्मी नवादा कोर्ट के द्वार पर धरना पर बैठे दिखे।

 सचिव रत्नानन्द झा ने बताया कि वेतन में विसंगती को दूर करने, तृतीय एवं चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी का पदोन्नति देने, अनुकम्पा पर बहाली तथा विशेष न्यायिक कैडर की मांग को सरकार के द्वारा नजर अंदाज किया जा रहा है। मांगे नही माने जाने पर हड़ताल पर जाना पड़ रहा है।

 उन्होने यह भी बताया कि सरकार के द्वारा सभी विभागों के कर्मी को प्रोन्नति दी गई। लेकिन व्यवहार न्यायालय के कर्मी को इस लाभ से वंचित रखा गया है।

 हड़ताल पर जाने से काम काज प्रभावित

अदालत का पूरा कार्य अभिलेख के द्वारा निष्पादित किया जाता है। उक्त अभिलेख न्यायालय कर्मी के अधीन कार्यालय में रहता है। कर्मी के हड़ताल पर जाने से कोई सिविल अथवा आपराधिक अभिलेख निश्चित तिथि को कार्यालय से न्यायालय कक्ष तक पहुंचना संभव नहीं रह गया है। इस कारण कोई भी मामलों की सुनवाई होना मुश्किल हो गया है।

जेल में बंद विचाराधीन कैदियों के जमानत आवेदन पर भी सुनवाई होना मुश्किल हो रहा है। पुराने आपराधिक मामलों में पुलिस के द्वारा गिरफ्तार कर न्यायालय भेजे जाने वाले कथित अभियुक्त को भी जेल भेजे जाने में भी बढ़ा आ रही है।

 हड़ताल पर जाने वाले एक कर्मी ने नाम नही छापने के शर्त पर बताया कि व्यवहार न्यायालय में लगभग एक लाख आपराधिक मामले विचाराधीन है। प्रत्येक न्यायालय में 3 हजार से अधिक आपराधिक मामले लम्बित है। ऐसे में अगर कोई भी वैकल्पिक व्यवस्था की जाती है तो वांछित अभिलेखों को खोजना ही एक कठिन कार्य होगा। कर्मी के हड़ताल पर जाने से जहां पक्षकारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा वहीं अधिवक्ताओं को भी आर्थिक क्षति पहुंचेगी। सिविल मामले की सुनवाई पूर्णतः बाधित हो जायेगी। 

क्या कहते हैं अधिवक्ता

जिला अधिवक्ता संघ के पूर्व महासचिव संत शरण शर्मा ने कहा कि सरकार को चाहिये कि न्यायालय कर्मियों की मांगों पर सहानुभुति पूर्वक विचार करे। वहीं जिला जज से जेल में बंद विचाराधीन कैदियों के जमानत आवेदन की सुनवाई की वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की गई है।

अधिवक्ता रमेश चन्द्र सिन्हा ने कहा कि सरकार कर्मी की मांगों पर विचार करते हुए हड़ताल को समाप्त कराये। अन्यथा न्यायिक व्यवस्था चरमरा जायेगी और समाज में अराजकता फैल जाएगी। अधिवक्ता शारदा कुमारी ने कहा कि न्यायालय कर्मी का हड़तान पर जाना सरकार की विफलता का सूचक है। हड़ताल को समाप्त करने का प्रयास किया जाना चाहिये।

 






No comments