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Memoirs related to JP: भ्रष्टाचार मिटाना है, नया बिहार बनाना है...

 


जेपी से जुड़े संस्मरण : भ्रष्टाचार मिटाना है, नया बिहार बनाना है...

नवादा लाइव नेटवर्क।         
                         
आजादी के बाद बिहार और देश में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में संपूर्ण क्रांति के नाम पर प्रथम दौर में छात्रों के नेतृत्व में और आगे चलकर जन आंदोलन के रूप में जो आंदोलन 1974 में प्रारंभ हुआ उसका सबसे महत्वपूर्ण नारा था भ्रष्टाचार मिटाना है, नया बिहार बनाना है। इसके नायक जेपी का कहना था कि हमारा संघर्ष महज सत्ता परिवर्तन के लिए नहीं व्यवस्था परिवर्तन के लिए है। इस जन आंदोलन में साहित्यकारों की भागीदारी बढ़ कर रही है। संपूर्ण क्रांति से जुड़े लोग 5 जून को संपूर्ण क्रांति दिवस के रूप में आंदोलन का स्मरण करते हैं।

 1974 के 5 जून को गांधी मैदान पटना में बड़ी संख्या में सभी वर्ग के लोगों का जनसैलाब उमड़ा था। उस बड़े जनसभा की अध्यक्षता आंचलिक उपन्यासकार फणीश्वर नाथ रेणु ने किया था। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के ओजपूर्ण भाषण ने सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व को चिंता में डाल दिया था। संपूर्ण क्रांति दिवस के मौके पर जो संकल्प लिया गया। उसमें भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था एवं जाति धर्म के भेदभाव समाप्त करने का संकल्प भी था। अब उस आंदोलन के 46 साल होने को है। लेकिन संपूर्ण क्रांति के आगे 25 जून 1975 को जो आपातकाल लगा और आपातकाल समाप्त होने के बाद 1977 में चुनाव हुआ। 1977 का चुनाव जनता पार्टी के नाम गठित पार्टी जिसमें जनसंघ सोशलिस्ट पार्टी और संगठन कांग्रेस के साथ सर्वोदयी भी हिस्सेदार थे, का शासन कायम हुआ। लोकसभा के बाद विधानसभा का भी चुनाव हुआ। कई प्रदेशों में जनता पार्टी की सरकार बनी। उसमें एक बिहार प्रदेश रहा। जनता पार्टी की सरकार आपसी कलह के कारण महज 19 महीने चलने के बाद विलुप्त हो गई। बिहार में सोशलिस्टों की भागीदारी अधिक रही है। बिहार में संसोपा का प्रभाव सबसे अधिक था।

1975 के अप्रैल महीने में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के कार्यक्रम लखीसराय में रखा गया था। समाजवादी नेता एवं पूर्व मंत्री कपिल देव बाबू इस कार्यक्रम के संयोजक थे। मुझे भी बुलाया गया था। आम सभा समाप्त होने के बाद का कपिल देव बाबू ने कहा आप जेपी के साथ गया जाइए। उन दिनों किउल-गया रेल खंड पर चलने वाली पैसेंजर ट्रेन में दो छोटी बोगी प्रथम दर्जे का रहता था। हम सभी जेपी के साथ पांच कार्यकर्ता गया के लिए चल पड़े। वारिसलीगंज पहुंचने पर बड़ी संख्या में जेपी के स्वागत के लिए लोग खड़े थे। वे नारा लगाने लगे जे को गिरफ्तार किया तो खून बहे गी सड़कों पर। जेपी नाराज भाव से ट्रेन से उतरे और बोले हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण है। हम सभी शांति के साथ आंदोलन करें। किसी भी तरह का भड़काऊ नारा नहीं लगनी चाहिए, सभी शांत हो गए। जेपी ट्रेन में बैठ गए ट्रेन नवादा आई तो बड़ी संख्या में समाजवादी और सर्वोदयी कार्यकर्ताओं ने माला पहनाया।

जेपी पांच कार्यकर्ताओं को नाम लेकर बुलाया और सब को साथ लेकर लगातार संघर्ष करते रहने का आह्वान किया। फिर ट्रेन गया पहुंची हमने वापस जाने की अनुमति मांगी, उन्होंने पीठ ठोकर आशीर्वाद दिया। यह संस्मरण इस कारण महत्त्व का है कि जेपी की निगाह में कार्यकर्ताओं के प्रति आदर का भाव सदा रहता रहा है। जेपी से जुड़े कई संस्मरण है। जब जेपी प्रभावती जी के साथ मेरे गांव पधारे और सर्वोदय आश्रम सोखोदेवरा में प्रातः कालीन प्रार्थना होने वाले नित्य के आयोजन में भी भाग लेने के क्रम में कई बार बातें हुई थी। 

अंग्रेजों के द्वारा बसाया गया केरल प्रदेश कालीकट नगर के टैगोर सभा भवन में 29 दिसंबर 1974 से 2 जनवरी 1975 तक सोशलिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ। उस सम्मेलन में स्वतंत्रता सेनानी समाजवादी चिंतक मधुलिमय ने प्रस्ताव रखा कि जेपी के आह्वान को ध्यान में रखकर किसी नई पार्टी के साथ समाजवादी पार्टी को अपने अस्तित्व खोकर मिलना पड़ सकता है। इस प्रस्ताव का जोरदार विरोध समाजवादी नेता या कार्यकर्ताओं ने अपने अपने भाषणों में किया था। खासकर बिहार के समाजवादी नेता एवं पूर्व मंत्री कपिलदेव सिंह और झारखंड के पूर्ण चंद जी ने किया था। उस समय दोनों बिहार के पूर्व मंत्री थे। दोनों का कहना था कि सोशलिस्ट शब्द के प्रति गरीबों का लगाव है। कई नेता जनसंघ के साथ जाने का प्रबल विरोध कर रहे थे। मैं खुद राष्ट्रीय डेलीगेट था तो मैंने भी दोनों पूर्व मंत्रियों के कथन का साथ दिया। बिहार के लोकप्रिय समाजवादी नेता कपूरी ठाकुर मधुलिमए के प्रस्ताव का जोरदार समर्थन किया था। सम्मेलन के अंतिम में मधुलिमय के आग्रह पर दोनों मंत्रियों के साथ अन्य डेलीगेट ने प्रस्ताव वापस ले लिया। 

आगे चलकर 1970 में जनता पार्टी बनी और बेमेल मिलन के कारण खासकर दोहरी सदस्यता को लेकर महज 19 महीने में जनता पार्टी बिखर गई और जनसंघ का नाम भारतीय जनता पार्टी हो गया। सोशलिस्ट कुछ दिनों तक जनता दल फिर लोकदल के रूप में खड़ी हुई।

लेकिन आपसी तालमेल नहीं रहने के कारण बिहार में राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड नामक पार्टी बन गई। कुछ दिनों तक समता पार्टी के नाम से भी पार्टी चली। इस ढंग विभाजन पर विभाजन होते रहने के कारण सिद्धांत वादी नेता और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में निराश हो गए और माना जा सकता है कि 1990 से 2022 के बीच जो सरकार चली उसमें संपूर्ण क्रांति का मुख्य नारा भ्रष्टाचार मिटाना है, नया नया बिहार बनाना है विलुप्त हो गई। परिवारवाद और व्यक्तिवाद ने सोशलिस्ट भावना का अनादर किया और सबसे अधिक परेशानी ऐसे नेता और कार्यकर्ताओं को हुई, जो सवर्ण जातियों के हैं, जो संसोपा ने बांधी गाठ ,पिछड़ा पावे सौ में साठ का नारा लगाते रहे हैं। वैसे लोहिया बादी सोशलिस्टो को सदा अनादर का घूंट पीना पड़ा है।

प्रत्येक साल 5 जून को संपूर्ण क्रांति दिवस का आयोजन होता है। आयोजनों में डॉ राम मनोहर लोहिया और लोकनायक जयप्रकाश नारायण का नाम लिया जाता है। वह नारा भ्रष्टाचार मिटाना है, नया बिहार बनाने की बात पर कोई कुछ कह नहीं पाते कारण जब या नारा लगाया जा रहा था। भ्रष्टाचार 10% के आसपास था और आज भ्रष्टाचार को प्रतिशत में नहीं बल्कि समाज के रग-रग को बीमार कर रहा है। किसी भी कार्यालय में जाएं बिना रिश्वत का काम होना संभव नहीं है। इसी ढंग से सरकारी संसाधनों का लूट भी जारी है। हर किसी को ज्ञात है लाभकारी विभागों में लगे लोग हर रोज करोड़पति बनते जा रहे हैं, यह भ्रष्टाचार समाजिक संवेदना और आपसी भाईचारे को भी निगल रहा है। 1974-75 के पास पंचायती राज नगर पंचायतों के चुनाव में 10 से 20 हजार भी खर्च नहीं होता था और आज 20 से 50 लाख खर्च कर प्रशासन के प्रथम इकाई के जनप्रतिनिधि बन रहे हैं। इस कठिन दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति के लिए सबसे अधिक दोषी आखिर कौन हैं, वही जो मौन है।

      संस्मरण,
रामरतन प्रसाद सिंह रत्नाकर
ग्राम पोस्ट मकनपुर ,वारिसलीगंज, नवादा, बिहार
+91 85440 27230




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