Nawada News : नवादा डीएम से बागी हुए जिले के बीडीओ, गाली-गलौज पर जताया तीखा विरोध
नवादा डीएम से बागी हुए जिले के बीडीओ, गाली-गलौज पर जताया तीखा विरोध
नवादा लाइव नेटवर्क।
नवादा डीएम यशपाल मीणा अपने व्यवहार को लेकर फिर से सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने जिले के बीडीओ को टारगेट किया। जिसके बाद सामूहिक रूप से सभी बीडीओ बगावती तेवर दिखाने लगे हैं। संयुक्त हस्ताक्षरयुक्त पत्र लिखकर आचार-विचार में बदलाव लाने अन्यथा..., की चेतावनी पर बीडीओ उतर आए हैं।
क्या है वाक्या
2मई को पीएम आवास योजना की समीक्षा बैठक थी। बीडीओ का आरोप है कि डीएम ने इस दौरान अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया, गाली-गलौज किया और चोर तक कह डाला। आवास योजना की रैंकिंग में सूबे के 38 जिले में नवादा का 37 वां रैंक रहने पर डीएम फट पड़े थे। प्रथम, द्वितीय और तृतिय किस्त की राशि हस्तांतरण में विलंब रैंकिंग गिरने का वजह बताया जा रहा है।
बैठक बाद विरोध पर उतरे बीडीओ
आवास की समीक्षा बैठक के बाद सभी बीडीओ एकजुट होकर डीएम के रवैए व व्यवहार पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई। बाद में एक पत्र डीएम को लिखा गया जिसमें अमर्यादित भाषा व गाली-गलौज नहीं करने की मांग की गई। एेसा जार रहने पर सक्षम प्राधिकार के समक्ष शिकायत दर्ज कराने अथवा सामृहिक अवकाश पर जाने की चेतावनी दी है।
डीएम के खिलाफ बगावत व विद्रोह का यह कोई पहला मौका नहीं है
याद करिए कोरोना की पहली लहर जब पूरे रौद्र रूप में था तब नवादा सदर के एसडीएम अनु कुमार ने तब के हिसुआ विधायक अनिल सिंह को अंतरराज्यीय पास निर्गत कर दिया था। बेटी को कोटा से लाने के लिए पास निर्गत किया गया था। मामला काफी विवादित हुआ था। तब डीएम ने अपना पल्ला झाड़ते हुए पूरी जवाबदेही एसडीओ के मत्थे मढ़ दिया था। परिणाम हुआ कि एसडीओ निलंबित हो गए। जबकि, डीएम ने ही उन्हें इस कार्य के लिए अधिकृत किया था। नाराज बिहार प्रशासनिक सेवा संघ की जिला इकाई ने डीएम के खिलाफ लंबे समय तक आंदोलन चलाया था।
पिछले सप्ताह ही जिला योजना पदाधिकारी संतोष कुमार का बल्ड प्रेशर काफी हाइ हो गया था। उन्होंने साफ कहा था कि डीएम के गाली से ऐसी स्थिति हुई है। कुछ दिनों पूर्व स्वास्थ्य की समीक्षा बैठक के दौरान चिकित्सकों ने भी डीएम के व्यवहार पर आपत्ति दर्ज कराई थी। हालांकि, यह बात सार्वजनिक नहीं हो सकी। स्वास्थ्य महकमा के कई चिकित्सक व पदाधिकारी व्यथित चल रहे हैं।
चोर कहना सही या गलत
- इस बात से किसी को इंकार नहीं कि आवास योजना के आवंटन में अनियमितता, भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी चरम पर है। राशि का हस्तांतरण अगर नहीं हो पा रहा है तो इसके पीछे लाभ-शुभ ही वजह हैै। अवैध कमाई में सभी की हिस्सेदारी होती है। आवास सहायक हों या फिर पर्यवेक्षक और इससे उपर के अफसर, दूध के धुलें तो हैं नहीं। हमाम में सबके सब नंगे हैं। यह भी नहीं कि ऐसा सिर्फ आवास योजना में हो रहा है। प्राय: सरकार की विकास योजनाओं में कमीशखोरी चरम पर है। हमाम में सभी नंगे हैं। बेहतर, है पर्देदारी ही की जाए।
पढ़िए बीडीओ व आवास सहायकों का पत्र
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