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Nawada News : कुटरी गांव में घर-घर बनी रंगोली, मां काली की उतारी गई आरती, डेढ़ करोड़ खर्च कर मंदर का किया गया पुनरोद्धार

 


 कुटरी गांव में घर-घरब नी रंगोली, मां काली की उतारी गई आरती, डेढ़ करोड़ खर्च कर मंदर का किया गया पुनरोद्धार 


मां काली पुनः प्रतिष्ठा के निमित गांव में निकाली गई भव्य रथ यात्रा


वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच मां की मूर्ति को नवनिर्मित मंदिर में किया गया स्थापित, ग्रामीणों में उत्साह


नौ दिवसीय सहस्त्र चंडी महायज्ञ में दुर्गा सप्तशती के पाठ से गुंजित हो रहा गांव

नवादा लाइव नेटवर्क। 

नवादा जिले के वारिसलीगंज प्रखंड के कुटरी गांव में इन दिनों धर्म-अध्यात्म की रसधार बह रही है। गांव में मां काली पुनः प्रतिष्ठा व नौ दिवसीय सहस्त्र चंडी महायज्ञ आयोजित है। धार्मिक अनुष्छान के सातवें दिन गुरुवार को मां काली की भव्य रथ यात्रा निकाली गई। ढोल-बाजे-गाजे के साथ सैकड़ों महिला-पुरुष, बच्चे, युवक-युवतियां जय माता दी, जय मां काली कुटरी वाली, जय दुर्गे, हर हर महादेव आदि का उद्घोष करते हुए रथ यात्रा में शामिल हुए। इससे पूर्व मां काली की कलश व नव दुर्गा की प्रतिमा को आकर्षक रूप से सजाकर पालकी में रख नगर भ्रमण कराया गया। 

 



करीब आठ घंटे तक लगातार चलती रही रथ यात्रा के क्रम में गांव के सभी घरों की साफ सफाई के साथ दरवाजे के आगे रंगोली बना कर मां की आरती उतारी गई। मां काली रथ यात्रा को लेकर ग्रामीणों में गजब का उत्साह देखा गया। भीषण गर्मी की परवाह किए बिना भक्तजन मां की डोली को कंधा देने में जुटे थे। आयोजित नौ दिवसीय सहस्त्र चंडी महायज्ञ को लेकर विद्यान पंडित अश्वनी पाठक के नेतृत्व में 45 ब्राह्मणों द्वारा सामूहिक रूप से दुर्गा सप्तशती पाठ के मंत्रोच्चारण से पूरा माहौल भक्तिमय बना है।
 


देर शाम में मां काली मूर्ति विधिवत नव निर्मित भव्य मंदिर में पुनः स्थापित कर कर दिया गया। पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में जिला पार्षद अंजनी कुमार, रामलखन शर्मा, पूर्व मुखिया सुनील, पप्पू सिंह, सिंह, विकास कुमार, रूपेश कुमार,  नुनुलाल सिंह, रामबालक सिंह, पिट्टू कुमार, पुटूष कुमार, वार्ड सदस्य मुरारी कुमार, उमाशंकर पाठक, पंकज पाठक, रिशु, शशिकांत शर्मा, प्रभा शंकर, गोलू, प्रिंस कुमार, राज गौरव समेत दर्जनों लोग जुटे हुए है। कार्यक्रम का समापन 11 जून को भंडारा के साथ होगा।

रथ यात्रा में दिखा गजब का उत्साह, घर घर बनी रंगोली

 


 नव निर्मित मंदिर में मां काली प्रतिमा की पुनः प्रतिष्ठा के तहत आयोजित सहस्त्र चंडी महायज्ञ के दौरान निकाली गई रथ यात्रा में पूरे ग्रामीणों में गजब का उत्साह देखा गया। इससे पहले कि मां काली की डोली गांव स्थित सभी के घरों तक पहुंचे लोग अपने अपने दरवाजे के आगे विभिन्न प्रकार के रंगोली स्वस्तिक आदि बनाया। साथ ही साथ मां की पहुंची डोली की महिलाओं ने फूल माला अर्पित कर आरती उतारी। सुबह से ही लोग लोग अपने अपने घरों तक मां की डोली पहुंचने का वेसब्री से इंतजार करते देखे गए। 


कार्यक्रमों की लगी है झडी


नौ दिवसीय सहस्त्र चंडी महायज्ञ के दौरान कई प्रकार के धार्मिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। सुबह से शाम तक दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जा रहा है है। शाम ढ़लने के साथ ही अयोध्या के संत प्रभंजनानंद शरण जी महाराज के कथा में श्रद्धालु भक्त गोता लगा रहे है। देर शाम से वृंदावन की रास मंडली के कलाकारों द्वारा राधा-कृष्ण की रासलीला देख लोग भाव विभोर हो रहे है। कार्यक्रम में लगे विभिन्न प्रकार के झूले का आंनद बच्चे युवा युवतियां जमकर उठा रही है। मेला में कई प्रकार की दुकानें सजी है।

 



डेढ़ करोड़ रुपये की लागत बना है मंदिर 


सैकड़ों वर्ष पूर्व बनी पुरानी मां दक्षिणी काली मंदिर को भव्य व आकर्षक रूप ग्रामीणों द्वारा दिया गया है। जिसपर डेढ़ करोड़ रुपये खर्च किया गया है। तीन साल में मदिर को भव्य रूप दिया गया है। मंदिर बनकर तैयार हुआ तो मां काली की पुनः प्रतिष्ठा की गइ्र है। गांव की दक्षिणी काली मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। 


 ग्रामीण कहते हैं कि करीब पांच सौ वर्ष पूर्व गांव के दक्षिणी क्षोर पर काले पत्थर की करीब डेढ़ फीट ऊंची मां काली की मूर्ति स्वतः प्रकट हुई थी। जिसे ग्रामीण दक्षिणी काली के रूप में स्थापित कर पूजा अर्चना करने लगे जो आज भी कायम है। ग्रामीण बताते है कि गांव का कोई भी शुभ कार्य मां के चौखट पर माथा टेकने के बाद ही शुरू किया जाता है। कुटरी की काली मैया की तुलना कोलकाता की दक्षणेश्वरी काली माता से की जाती है।




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