Rashtriy Sangoshthi : वेदों में मिलती है जन शब्द की परिकल्पना, दलित शब्द राजनीतिक, राष्ट्रीय संगोष्ठी में आए विचार, "मंदराचल" और "संगोष्ठी" स्मारिका का विमोचन
वेदों में मिलती है जन शब्द की परिकल्पना, दलित शब्द राजनीतिक, राष्ट्रीय संगोष्ठी में आए विचार, "मंदराचल" और "संगोष्ठी" स्मारिका का विमोचन
नवादा लाइव नेटवर्क।
पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गिरीश कुमार चौधरी ने कहा कि देश के गुलाम बनने के बावजूद लम्बे समय तक जनजातियां स्वतंत्र रहीं। वे सोमवार को कालेज आफॅ कामर्स आर्ट्स एण्ड साइंस पटना में इतिहास संकलन समिति और इतिहास विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्धाटन कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि जनजातीय संघर्ष वस्तुतः उन के स्वंय की रक्षा का संघर्ष है। उन्होंने तिलका मांझी का स्मरण करते हुए उनके संघर्षों की विस्तार से चर्चा की।
मुख्य वक्ता इतिहास संकलन समिति के संगठन सचिव डॉ बाल मुकुंद पाण्डेय ने कहा कि जन शब्द की परिकल्पना वेदों में मिलती है, किन्तु दलित शब्द राजनीतिक शब्द है। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रो मनीष सिंहा ने जनजातीय संघर्ष के अध्ययन के लिए मौखिक स्त्रोतों के महत्व पर विस्तार से चर्चा की।
संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रिंसिपल प्रो इन्द्रजीत प्रसाद राय ने कहा कि दलितों पर अध्ययन करते समय प्राथमिक स्त्रोतों को महत्व देना चाहिए तथा वैज्ञानिक सोच रखनी चाहिए।
विषय प्रवेश आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो राजीव रंजन ने कराया। संगोष्ठी को अन्य लोगों के अलावा प्रो राम किशोर सिंह ने भी संबोधित किया।
मंच का संचालन प्रो अनिता ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन संगोष्ठी के समन्वयक शैलेश कुमार ने किया। इस अवसर पर पुस्तक 'मंदराचल' और ’संगोष्ठी’ स्मारिका का विमोचन भी किया गया। मौके पर बड़ी संख्या शिक्षक, शोधार्थी और छात्र छात्राएं उपस्थित थीं।
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