Nawada News : गया से नवादा तक फैला है बालू धंधेबाजों का नेटवर्क, 10 दिनों से मालिक के दरवाजे पर खड़ा ट्रक के नाम कटा गया चालान, डीएम सख्त
खुलासा : गया से नवादा तक फैला है बालू धंधेबाजों का नेटवर्क, 10 दिनों से मालिक के दरवाजे पर खड़ा ट्रक के नाम कटा गया चालान, डीएम सख्त
नवादा लाइव नेटवर्क।
नवादा के बालू माफिया का नेटवर्क गया सहित राज्य के अन्य जिलों तक फैला हुआ है। काली कमाई का बड़ा श्रोत बालू के एक नए खेल का राजफाश हुआ है। अजब_गजब का खेल ऐसा कि जो ट्रक पिछले 10 दिनों से मालिक के दरवाजे पर खड़ा है उसपर गया के डिपो में लोडिंग का चलन काट दिया गया। बात ट्रक मालिक तक पहुंची तो उन्होंने बिना समय गंवाए डीएम नवादा उदिता सिंह और खान निरीक्षक अमित कुमार से शिकायत कर दी। फर्जी चालान सहित लिखित शिकायत पत्र भी संबंधित अधिकारियों को सौंपा गया है।
दिलचस्प है मामला
नवादा के पूर्व जिला पार्षद मथुरा यादव के नाम एक ट्रक है। जिसका निबंधन संख्या बीआर 21 जी ए 3565 है। यह ट्रक कई दिनों से बाघीबरडीहा में चक्रपाणि पेट्रोल पंप पर खड़ी है। चालक छुट्टी पर हैं।
काटा गया फर्जी चालान
श्री यादव के उक्त ट्रक पर बालू परिवहन के लिए चालान 8 अक्तूबर की तिथि में कटा गया। चालान गया के बफर स्टॉक बीएमसी कलस्टर 52 सोलहधाम गया में काटा गया। बालू को नवादा जिले के पौरा में 24 घंटे में अनलोड होना था। यह सब चालान में अंकित था। जबकि संबंधित ट्रक नवादा में खड़ी है।
जानकारी के बाद मालिक ने की शिकायत
फर्जी चालान काटने की जानकारी मिलने के बाद 8 अक्टूबर को ही वाहन स्वामी मथुरा यादव ने डीएम और खान निरीक्षक से शिकायत कर दी।
डीएम ने दिया कार्रवाई का आश्वासन
शिकायत के आलोक में डीएम ने जांच और कार्रवाई का आश्वासन दी है।
लंबे समय से चल रहा फर्जीवाड़ा
फर्जी चालान का यह खेल लंबे समय से चल रहा है। "नवादा लाइव" द्वारा पूर्व में भी इस खेल से पर्दा हटाने के लिए खबर प्रकाशित किया गया था। दरअसल, फर्जी चालान की आड़ में संबंधित वाहन से रात के अंधेरे में नवादा के सकरी नदी घाट से अवैध खनन किया और परिवहन किया जाता है। इस खेल और काली कमाई इतना तगड़ा है कि लोकल प्रशासन आंख मूंद लेती है। वजह, उनकी हिस्सेदारी भी फिक्स होती है।
9 माह से बंद है जिले में बालू खनन
नवादा जिले में 1 जनवरी 22 से ही बालू का खनन पूरी तरह से बंद है। दिसंबर माह में नए सिरे से 6 माह के लिए टेंडर कराया गया था। एकलव्या कंपनी द्वारा निविदा 46 करोड़ रुपए में लिया गया था। लेकिन पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं मिलने से खनन शुरू नहीं हो सका। जुलाई से सितंबर तक बरसात के कारण नदी में बालू खनन बंद रहा। अक्टूबर से खनन इसलिए शुरू नहीं हुआ कि अबतक टेंडर ही नहीं हुआ है। खनन बंद रहने के कारण माफिया इसका फायदा उठा रहे हैं। इसमें, लोकल अधिकारियों की भूमिका भी होती है, उन्हें क्लीन चिट नहीं दिया जा सकता है।
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