Jp ko shradhanjali : समाज के प्रवाह को नयी दिशा में मोड़ दो...
जेपी को श्रद्धांजलि : समाज के प्रवाह को नयी दिशा में मोड़ दो...
नवादा लाइव नेटवर्क।
देश की एकता और अखंडता के लिए अपने जिस्म के लहु का एक-एक बूंद न्योछावर करने वाली स्व.इंदिरा गांधी जी के शासन काल में तेज़ी से बढ़ती हुयी मंहगायी, बेरोजगारी, अराजकता और भ्रष्टाचार के ख़िलाफ देशवासियों में व्यापक जनाक्रोश था।
लोकनायक स्व.जयप्रकाश नारायण जी इंदिरा जी की नीतियों के सख़्त ख़िलाफ थे और इन हालात में उनके नेतृत्व में 1974 में पटना में छात्र आन्दोलन शुरू हो गया। राष्ट्रकवि दिनकर की कविता 'सिंहासन खाली करो कि जनता आती है' का शंखनाद करते हुए जे.पी.ने सम्पूर्ण क्रान्ति का बिगुल फूंका और अपने जज़्बे,जोश और जूनून से देश के राजनीति की हवा ही बदल दी थी।
जे.पी. के जनान्दोलन से घबरा कर इंदिरा जी ने 25 जून 1975 को देश में इमर्जेंसी लागू कर दिया। 1977 में इमर्जेंसी हटने के बाद आम चुनाव हुए और इंदिरा जी सत्ता से बाहर हो गयीं तथा सम्पूर्ण क्रांति की कोख़ से पहली बार देश में गैर कांग्रेसी सरकार बनी।
लोकनायक की शख़्सियत में ऐसा चुंबकीय आकर्षण था कि उनके दिखाए रास्ते पर कोई भी चलने को तैयार रहता था।उन्हें एक महान विचारक और सिद्धांतों के लिए सत्ता से संघर्ष करने वाले योद्धा के रूप में हमेशा याद किया जायेगा।
पूर्व प्रधान मंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी जी ने लोक नायक को श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हुए प्रतिज्ञान लिया था कि ;
जयप्रकाश जी रखो भरोसा,
टूटे सपने को जोड़ें गे ।
चिता भस्म की चिंगारी से,
अंधकार का गढ़ तोड़ेंगे ।।
आज देश में घुप अंधकार है और देश का संविधान,लोकतंत्र और सारी ब्यावस्था पूंजीवादी शक्तियों के चंगुल में फंसी हुयी है। देश की निरीह जनता कराह रही और फिर एक लोक नायक की राह देख रही है।
मैं उनकी यौम- ए - पैदायश पर अत्यंत ही सम्मान के साथ उन्हें अक़ीदत का ख़िराज पेश करता हूं।
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