Nawada News : ...अरे कोई इनकी सुनो, बुलडोजर की आवाज में दबी जा रही बेघरों की चीख_पुकार
...अरे कोई इनकी सुनो, बुलडोजर की आवाज में दबी जा रही बेघरों की चीख_पुकार
तोड़े जा रहे घर_मकान, बसाने के लिए नहीं है कोई उपाय
37 साल में दूसरी बार बेघर हुए परिवारों का पुरसा हाल लेने वाला कोई नहीं
नवादा लाइव नेटवर्क।
नवादा जिले के हरदिया पंचायत के आधा दर्जन से अधिक गांव के लोगों को फुलवरिया डैम के निर्माण के दौरान वर्ष 1984_85 में विस्थापित होना पड़ा था।
सभी को अपने मूल गांव से हटाकर हरदिया को 4 सेक्टरों में बांटकर इन लोगों को बसाया गया था।
करीब 37 वर्ष बीत गया। अबतक विस्थापित परिवारों की समस्या का निदान नहीं किया गया।
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जैसे तैसे घर_मकान बनाकर रह रहे कुछ परिवारों पर इन दिनों कार्रवाई का हथौड़ा चल रहा है। 125 परिवारों के घरों को तोड़ने का काम पिछले 3 दिनों से चल रहा है। 2_2 बुलडोजर लगाए गए हैं।
मकान टूटने के बाद ये लोग खुले आसमान के नीचे रहने को विवश हैं। अपने छोटे-छोटे बच्चों और जरूरत के सामानों को खुले में रखकर आसमान के नीचे जिंदगी काटने को मजबूर हो गए हैं। घर गया तो काम धाम का जुगाड नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में बच्चों को दूध तो बड़ों को अन्न के लाले पड़ रहे है।
महिलाओं की आंखों के आंसू नहीं सुख रहे हैं। मां को रोते देख बच्चे भी चीख पुकार मचा रहे हैं।
कई पुराने लोगों ने बताया कि 35 वर्ष से ज्यादा हो गए, अब हमें उजाड़ा जा रहा है।
बता दें की पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर सिंचाई विभाग की भूमि पर अतिक्रमण कर बनाए गए घरों को तोड़ने का काम शुरू किया गया है।
अतिक्रमण हटाकर 18 अक्टूबर को हाईकोर्ट में जिला प्रशासन को रिपोर्ट देना है।
सिंचाई विभाग के अवर प्रमंडल पदाधिकारी अभिषेक तिवारी, सीओ अनिल कुमार, थानाध्यक्ष दरबारी चौधरी दलबल के साथ बुलडोजर लगाकर अतिक्रमण हटाने के काम में जुटे हैं।
सिंचाई विभाग के अवर प्रमंडल पदाधिकारी ने बताया कि देवंती देवी, तेतरी देवी,चमारी राजवंशी, जमुना राजवंशी,कालू राजवंशी, बलेसर राजवंशी,सकलदेव राजवंशी,हसीना खातून,हफीज खान,मोहम्मद नईम मोहम्मद और सुलेमान फकीर आदि 23 परिवारों का कच्चा_पक्का मकान अबतक तोड़ा गया है।
कई विस्थापितों ने बताया कि उनका पर्चा सिंचाई विभाग से दूसरे प्लॉट का मिला था, लेकिन वहां पर किसी दबंग का पूर्व से कब्जा है।
वहीं, सिंचाई विभाग का दावा है कि सभी परिवारों को पूर्व में ही आवास निर्माण के लिए जमीन का पर्चा दिया गया था। लेकिन पर्चा वाली भूमि पर घर नहीं बनाया गया।
फिलहाल, जिनका घर मकान तोड़ा गया है, उनकी जिंदगी खानाबदोश जैसी हो गई है। शासन_प्रशासन को इसकी सुध नहीं है। इनकी चीख_पुकार बुलडोजर की आवाज में गुम हो जा रही है।
रिपोर्ट_मनोज कुमार
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