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Nawada News : अंतर्राष्ट्रीय मगध साहित्य प्रेरणा उत्सव का भव्य आयोजन, बिहारी सभ्यता संस्कृति की अमिट छाप लेकर विदा हुए देश विदेश के साहित्यकार

  


अंतर्राष्ट्रीय मगध साहित्य प्रेरणा उत्सव का भव्य आयोजन, बिहारी सभ्यता संस्कृति की अमिट छाप लेकर विदा हुए देश विदेश के साहित्यकार 

नवादा सांसद चंदन सिंह ने देश भर के साहित्यकारों को सम्मानित किया

नवादा लाइव नेटवर्क।

राजगीर के विजय निकेतन और विरायतन में 9_10 दिसंबर को दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मगध साहित्य प्रेरणा उत्सव का आयोजन हुआ। अशोक स्मृति संस्थान हिसुआ और साहित्य प्रेरणा मंच के बैनर तले आयोजित इस कार्यक्रम से देश विदेश के साहित्यकार बिहार की सभ्यता संस्कृति की अमिट छाप लेकर विदा हुए। 

कवि ओंकार शर्मा कश्यप के संयोजन और जितेंद्र राज आर्यन की अध्यक्षता में सभी साहित्यकार प्रातः काल में विरायतन पहुंचे जहां पद्मश्री आचार्य चंदना जी ने नवादा सांसद चंदन सिंह सहित सभी साहित्यकारों को आशीर्वाद दिया। नवादा सांसद चंदन सिंह ने देश भर के साहित्यकारों को विविध तरह के  सम्मान और अलंकारों से सम्मानित किया। सांसद ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है। देश के सभ्यता संस्कृति और विरासत को संरक्षित रखना दायित्व साहित्यकार के कंधे पर होता है। देशभर के साहित्यकारों का इस तरह से इकट्ठा होकर साहित्य साधना करना अनूठा मिसाल है।

 इस दौरान चाणक्य मेधा शक्ति साहित्य शिखर सम्मान,  मगध साहित्य शिखर सम्मान, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर काव्य साधना सम्मान, पर्वत पुरुष बाबा दशरथ मांझी श्रृंगार कवि सम्मान, देवन  मिसिर कथा कौशल सम्मान , अशोक स्मृति निर्भय पत्रकारिता सम्मान, फणीश्वर नाथ रेणु आंचलिक उपन्यास रचना धर्मिता सम्मान, शाद अजीमाबादी साहित्य सेवा सम्मान आदि सामानों से सम्मानित किया गया। इस मौके पर शिक्षाविद और नवादा डीपीएस के निदेशक शशि भूषण प्रसाद , साहित्यकार रामरतन सिंह रत्नाकर,  डॉ विपिन कुमार , नरेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।

आलोचना की दशा दिशा पर चर्चा

आयोजन के दूसरे दिन उत्तर प्रदेश के विद्वान साहित्यकार डॉ. सरस्वती पांडेय के संचालन में साहित्यिक आलोचना तथा समीक्षा की दशा दिशा पर चर्चा की गई। अध्यक्षता करते हुए राम रतन सिंह रत्नाकर ने कहा कि मौजूदा समय में समीक्षा की धारा बदली है। समीक्षा के दौरान स्थानीय भाषा से भेदभाव नहीं होना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने हिंदी को सम्मान दिलाने की पुरजोर वकालत करते हुए कहा कि देशभर के साहित्यकार इसकी पहल करें। 

पूर्व विधायक और साहित्यकार प्रोफेसर उषा सिंहा ने कहा कि मौजूदा समय में चुनौतियां यह है कि साहित्यिक कृति की आलोचना समीक्षा के तौर पर लिखी जा रही है। इससे साहित्य का परिमार्जन बाधित हो रहा है। डॉ सरस्वती पांडेय ने कहा कि आलोचना का जो नया स्वरूप सामने आया है उसके कई सकारात्मक पहलू है तो कई जगह ह्रास भी दिखता है। मौजूदा समय में भाषा कौशल के साथ शामिल हुई नई तकनीक को भी स्वीकार करना होगा।

 दो दिनों में कई सत्र हुए

अशोक स्मृति संस्थान हिसुआ और साहित्य प्रेरणा मंच के , शैलेंद्र कुमार प्रसून , देवेंद्र विश्वकर्मा , रौशन कुमार , दीपक प्रिंस, अविनाश कुमार आदि ने बताया कि यह कार्यक्रम अपने लेखकीय श्रम से साहित्याकाश को दीप्त करने में लगे भारत वर्ष के कवि साहित्यकारों को 48 घंटे के लिए एक आंगन में लाने का एक प्रयास रहा। अशोक स्मृति संस्थान,  , मगध साहित्य प्रेरणा मंच के द्वारा आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम विशुद्ध साहित्यिक कार्यक्रम था जहां कवि सम्मेलन, सेमिनार, शोध पत्र प्रस्तुतिकरण, लघु कथा वाचन सहित साहित्यिक विधा से जुड़े अन्य सत्र आयोजित हुए।  इसके साथ ही इस आयोजन में भाग लेने वाले प्रतिभागियों का सम्मान समारोह भी हुआ।

कई पुस्तकों का हुआ विमोचन

 इस दौरान देश भर के लगभग एक दर्जन साहित्यकारों के पुस्तको का विमोचन भी हुआ। इस आयोजन में ही पूर्व विधायक उषा सिन्हा की पुस्तक घनानंद व्यक्तित्व और कृतित्व, पूर्व जेलर डॉ. देवेंद्र कुमार वर्मा की पुस्तक समाधान, राव शिवराज पाल की पुस्तक शिक्षाप्रद बाल कहानियां ,  प्रीति सैनी की पुस्तक संखनाद का विमोचन किया गया। 

संध्या में डॉ जगदीप राही की अध्यक्षता और डॉ निशा अग्रवाल के संचालन में भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जहां कवि कवित्रियों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर समां बांध दिया। 

लेखकों ने रखी अपनी बातें

लेखकों ने कहा कि मगध की पुरातन राजधानी रही राजगीर आज अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल है। यह भूमि सनातन, बौद्ध, जैन धर्म से जुड़े महान परिवर्तनों का संगम रहा है। इस ऐतिहासिक भूमि पर हो रहे साहित्यिक आयोजन का उद्देश्य भारत के आधुनिक साहित्याकाश में मगध सहित बिहार का प्रतिभाग विस्तृत करना और लेखन में बिहारी सामग्री का समावेश कराना है। हजारों वर्ष पूर्व हिंदुस्तान के गौरव रहे अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय के रज कण को छूकर देश भर के हजारों साहित्यकार न सिर्फ गौरांवित की महसूस करेंगे बल्कि उनकी लेखनी बिहार और बिहारी संस्कृति , सभ्यता की ओर अग्रसर होगी । धर्म , शिक्षा और इतिहास के शाश्वत परिवेश में यह आयोजन एक मिसाल साबित होगा।‌ 



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