Modern Campus : भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ विक्रम साराभाई को जयंती पखवाड़ा पर श्रद्धा से किया गया याद
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ विक्रम साराभाई को जयंती पखवाड़ा पर श्रद्धा से किया गया याद
मॉडर्न इंगलिश स्कूल में आयोजित हुआ विज्ञान वाद- विवाद प्रतियोगिता
डॉ. अनुज ने कहा : विज्ञान से सोच को सच में बदल सकते हैं
नवादा लाइव नेटवर्क।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्धता प्राप्त दक्षिण बिहार एवं झारखंड के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों में से अग्रणी मॉडर्न इंग्लिश स्कूल के बहुद्देशीय सभागार में विज्ञान वाद -विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। यह आयोजन भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक एवं महान वैज्ञानिक डॉ विक्रम साराभाई जयंती पखवाड़ा के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया।
प्रतियोगिता का विषय नवमीं एवं दशमी कक्षा की छात्र-छात्राओं के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) बनाम ह्यूमन इंटेलिजेंस (मानव बुद्धिमत्ता) एवं सातवीं से आठवीं कक्षा के छात्र-छात्राओं के लिए पेट्रोलियम की उपयोगिता एवं अनुपयोगिता पर आधारित था। यह वाद -विवाद प्रतियोगिता पिछले कई दिनों से निरंतर चल रहा था। जिसका फाइनल राउंड बीते गुरुवार को आयोजित किया गया।
आयोजन का उद्घाटन मॉडर्न शैक्षिक समूह के अध्यक्ष डॉ अनुज सिंह, उपप्राचार्य एमके विजय, विज्ञान संकाय के वरिष्ठ शिक्षक मणिकांत मिश्रा ,विनोदानंद झा, साइन मुखर्जी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर एवं विक्रम साराभाई के तैलीय चित्र पर माल्यार्पण कर किया। इस अवसर पर विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए ने कहा कि इस वर्ष का मुख्य उद्देश्य "विज्ञान को बढ़ावा देना, विद्यार्थियों को विज्ञान से जोड़ना और उनमें नवाचार की चिंगारी प्रज्वलित करना है। दृढ़ इच्छाशक्ति से विद्यार्थी अपनी सोच को सच में बदल सकते हैं। प्रतिदिन हो रहे आविष्कार की जानकारी रखें और पाजिटिव सोच से लक्ष्य को हासिल करें।
विज्ञान वाद विवाद प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने अपने तर्क शक्ति के माध्यम से यह सिद्ध कर दिया कि कल्पनाशक्ति, परिश्रम और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से असंभव भी संभव बन सकता है। विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं, बल्कि यह हमारे विचारों और जीवनशैली में भी होना चाहिए। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ही आने वाले भारत को शक्ति और दिशा दे सकते हैं।
कार्यक्रम में छात्र-छात्राएं दो दल में बंटे हुए थे। पहला दल कृत्रिम बुद्धिमत्ता के पक्ष में था तो दूसरा दल मानव बुद्धिमत्ता के पक्ष में था। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के पक्ष में भव्या भारती,अंकुश,मयंक ,सृष्टि ,आराध्या,प्रज्ञा दुबे, नमन कुमार ,दिव्या कुमारी थे।
दशम वर्ग की छात्रा भव्या भारतीने तर्क दिया कि AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) मशीन लर्निंग एल्गोरिदम के माध्यम से डेटा से सीख सकता है और समय के साथ अपने प्रदर्शन को बेहतर बना सकता है।भविष्य में, AI और मानव बुद्धि के बीच सहयोग, नवाचार और प्रगति के नए अवसर पैदा कर सकता है। ह्यूमन इंटेलिजेंस (मानव बुद्धिमत्ता) के पक्ष में हर्षवर्धन, अभय, अभिराज, सान्वी सिन्हा ,अनुकल्प आनंद, आयुष कुमार ,शौर्य राज थे।
वहीं नवम कक्षा की छात्रा जिज्ञासा देव ने कहा कि AI मानव द्वारा निर्मित है, जबकि HI (मानव बुद्धिमत्ता)जन्मजात है। AI भावनाओं को समझता या अनुभव नहीं करता, जो मानव बुद्धि का एक मूलभूत हिस्सा है। AI में मानवीय समझ और अनुकूलनशीलता का अभाव है, जबकि HI अपने अनुभवों से सीखता और बदलता है। जैविक मानव मस्तिष्क की तुलना में AI प्रणालियों के लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, जबकि HI में कम ऊर्जा की खपत होती है।
इसके साथ-साथ सभी विद्यार्थियों ने पक्ष एवं विपक्ष में सुंदर ढंग से अपने विचारों के द्वारा तर्क दिए। दूसरे समूह में आठवीं कक्षा की परिधि ने पेट्रोलियम के उपयोगिता पर अपना विचार दिया तो उसके अनुपयोगिता पर अयांश आर्यन ने अपना विचार रखा।
परिधि ने विचार देते हुए कहा कि पेट्रोलियम, पेट्रोल और डीजल जैसे उत्पादों के माध्यम से, परिवहन क्षेत्र की रीढ़ है। यह वाहनों, जहाजों और हवाई जहाजों को शक्ति प्रदान करता है। यह हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुका है।
वहीं विपक्ष में अयांश आर्यन ने तर्क देते हुए कहा कि पेट्रोलियम के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होता है, जो जलवायु परिवर्तन में योगदान करते हैं। पेट्रोलियम उत्पादों के उपयोग से वायु प्रदूषण होता है, जिससे श्वसन संबंधी समस्याएं और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। पेट्रोलियम एक सीमित संसाधन है, और इसका अत्यधिक उपयोग अंततः इसे समाप्त कर देगा।
इस तरह से लगभग 2 घंटे तक वाद विवाद प्रतियोगिता निरंतर चलतेरहा। विद्यालय के प्रबंध निदेशक ने इस आयोजन के लिए सही विज्ञान के शिक्षकों को एवं भाग लेने वाले विद्यार्थियों को धन्यवाद दिया और विद्यार्थियों की प्रतिभा और सृजनशीलता एवं नवाचार से युक्त कुछ विशेष प्रकल्पों की मुक्त कंठ से सराहना व प्रशंसा की। उन्होंने विद्यार्थियों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने और शोध में नवाचार को बढ़ावा देने की प्रेरणा दी।
इस अवसर पर विज्ञान के वरिष्ठ शिक्षक मणिकांत मिश्रा ने विद्यार्थियों से डॉ. साराभाई के आदर्शों को अपनाकर देश के वैज्ञानिक भविष्य में योगदान देने का आह्वान किया। वही विनोदानंद झा ने डॉ. विक्रम साराभाई का जीवन एवं उपलब्धियां” विषय पर विस्तार से व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि डॉ. साराभाई ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना के साथ-साथ देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास में अहम योगदान दिया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में विज्ञान की शिक्षकों में मणिकांत मिश्रा ,विनोदानंद झा,सत्या पांडेय, अखिलेश्वर सिंह, अनुमेहा कुमारी, मनोज कुमार सहित सभी शिक्षकों की सराहनीय भूमिका रही।
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