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Modern Campus : असम के बिहू लोक नृत्य पर झूमे मॉडर्न के बच्चे, असम की संस्कृति का उठाया आनंद


असम के बिहू लोक नृत्य पर झूमे मॉडर्न के बच्चे, असम की संस्कृति का उठाया आनंद

नवादा लाइव नेटवर्क।

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संबद्धता प्राप्त संस्थानों में से अग्रणी विद्यालय मॉडर्न इंग्लिश स्कूल में असम से आए हुए कलाकारों के द्वारा बिहू नृत्य की प्रस्तुती दी गई। लोकप्रिय बिहू नर्तक श्री रंजीत गोगोई के नेतृत्व में 10 सदस्यों की एक टीम ने बिहू नृत्य में अपना शानदार प्रदर्शन किया, जो कि आसामी लोक नृत्य की एक लोकप्रिय शैली है।

कार्यक्रम का उद्घाटन मॉडर्न शैक्षणिक समूह के निदेशक डॉ अनुज सिंह, प्राचार्य गोपाल चरणदास, उपप्राचार्य मिथिलेश कुमार विजय एवं सुजय कुमार एवं बिहू लोक नृत्य के निर्देशक रंजीत गोगोई के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।कार्यक्रम के दौरान रंजीत गोगोई की टीम ने बिहू नृत्य से स्कूली बच्चों का मन मोह लिया। 

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इस अवसर पर निदेशक ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि बिहू असम का पारंपरिक लोक नृत्य है। यह आमतौर पर बिहू त्योहार के दिन किया जाने वाला नृत्य है जो की असमिया नववर्ष और कृषि फसल का जश्न मनाता है। बिहू नृत्य पूरे वर्ष में किसी भी समय किया जा सकता है।

मॉडर्न इंग्लिश स्कूल हमेशा अपने छात्रों को एक व्यापक भारतीय नागरिक के रूप में विकसित करने के लिए हमारी भारतीय संस्कृति और इसकी विरासत के हर कोने को तलाशने के लिए एक कदम आगे रहता है। जैसा कि सभी जानते हैं, स्पिक-मैके एक स्वैच्छिक आंदोलन है जो युवाओं और बच्चों में हमारे देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के बारे में जागरूकता लाने का प्रयास करता है। प्रतिष्ठित कलाकार शैक्षणिक संस्थानों में प्रदर्शन करते हैं। 

शास्त्रीय संगीत, हिंदुस्तानी और कर्नाटक दोनों, गायन और वाद्य; भारत के शास्त्रीय नृत्य रूप, पूरे भारत के लोक संगीत और लोक नृत्य, पारंपरिक हस्तशिल्प और चित्रकारी और योग छात्रों को पेश किए जाते हैं। इस लोक नृत्य के दौरान असम की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत नृत्य और संगीत और उत्सव की भावना का जीवंत प्रदर्शन किया गया जिसमें पारंपरिक बिहू नृत्य संगीत और गतिविधियां शामिल थी।

 इस दौरान कलाकारों में शामिल टीम के लीडर रंजीत गोगोई, चंद्र हीरा, तनुष्का सैकिया,हंसिका बोरा, डेजी सैकिया, इत्यादि कलाकारों ने स्कूली बच्चों को बिहू नृत्य के स्टेप के साथ-साथ पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोलक, बांसुरी ,पेपा (भैंस के सिंग से बनी तुरही) बजाकर उसके इस्तेमाल के बारे में बताया।

 इस अवसर पर रंजीत गोगोई ने अपने संबोधन में कहा कि पारंपरिक नृत्य प्रत्येक देश का प्रतीक है और यह राष्ट्र के इतिहास और विश्वास को दर्शाता है और यह हमारे देश और संस्कृति को पूरी दुनिया से परिचित कराने का सबसे अच्छा तरीका है। 

उन्होंने मॉडर्न के सांस्कृतिक, नृत्य और संगीत क्लबों के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने इसे अगली पीढ़ियों तक बनाए रखने और संप्रेषित करने की जिम्मेदारी ली है, साथ ही अपने छात्रों को इन कलाओं का अभ्यास करके उनके शैक्षणिक और पेशेवर जीवन में होने वाले किसी भी तरह के अनुचित दबाव को दूर करने में मदद की है।

 विद्यालय के उपप्राचार्य सुजय कुमार ने मौके पर कहा कि हमारा विद्यालय हमेशा अपने विद्यार्थियों के नैतिक और भौतिक रूप से सर्वांगीण विकास, व्यक्तित्व विकास और उन्हें शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से स्वस्थ रखने के बारे में सोचता है। 2 घंटे तक चले इस कार्यक्रम में नर्सरी से लेकर 12वीं तक के बच्चों ने सभ्य दर्शक की तरह बैठकर नृत्य का आनंद लिया। 

अंत में कलाकारों की पूरी टीम को विद्यालय के प्रबंध निदेशक द्वारा पुष्प गुच्छ एवं शाल देकर सम्मानित किया गया, जो कि भारतीय सांस्कृतिक विरासत को भावी पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए स्पिक-मैके के तहत उनके द्वारा किए जा रहे महान प्रयास के प्रति सम्मान का प्रतीक है। 

कार्यक्रम के संचालन में विद्यालय के शिक्षकों में से धर्मवीर सिन्हा, सुजय कुमार, मिथिलेश विजय, मुकेश कुमार,उमेश पांडेय, रोशन मिश्रा, राकेश रोशन ,मनीष कुमार पांडेय, दीपक पुष्टि, धर्म प्रकाश,लकी कुमारी, स्वीटी कुमारी ,हनी कुमारी, दिव्या,बुसरा , नृत्य शिक्षक पुरुषोत्तम सहित सभी विद्यालय परिवार की सराहनीय भूमिका रही।






 

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