question on policing : मरने से पहले बौरही मांझी का बयान पुलिस के लिए बना फांस, हिरासत में पिटाई के लगाए थे आरोप
मरने से पहले बौरही मांझी का बयान पुलिस के लिए बना फांस, हिरासत में पिटाई के लगाए थे आरोप
नवादा लाइव नेटवर्क।
पुलिस अभिरक्षा में बौरही मांझी की पिटाई हुई थी। मौत से पहले उसके बयान कोर्ट में दर्ज हुए थे। न्यायाधीश ने काराधीक्षक को उनका इलाज कराने का आदेश दिया था। अनुसंधानकर्ता और थानाध्यक्ष से कारण पृच्छा की गई थी। 24 घंटे के अंदर जवाब देने को कहा गया था। इलाज के पूर्व ही कोर्ट परिसर में ही उन्होंने दम तोड़ दिया। मरने के पहले के उनके बयान शाहपुर ओपी पुलिस को कटघरे में खड़ा कर दिया है। एक्साइज कोर्ट में पेशी के दौरान उन्होंने न्यायाधीश को बताया था कि पुलिस अभिरक्षा में उसकी पिटाई हुई। शराब का सेवन कर हंगामा करने के आरोप में उनकी गिरफ्तारी हुई थी।
पुलिस की थ्योरी
शाहपुर ओपी की पुलिस को यह जानकारी मिली कि बोझवां गांव के सामुदायिक भवन के समीप कुछ लोगों के द्वारा हंगामा किया जा रहा है। तब पुलिस वहां पहुंचकर हंगामा कर रहे दो लोगों को पकड़ने सफल रही थी। जबकि दो आरोपित भग निकला था। चारों आरोपितों को पकड़ने में पुलिस के साथ हाथपाई हुई थी। पुलिस ने बोझामा गॉव निवासी 40 वर्षीय विशंभर मांझी तथा उसके भाई बोरा उर्फ बौरही मांझाी को हिरासत में ली थी। ब्रेथ एनालाइजर से जांच में दोनों के शराब के नशे में होने की पुष्टि हुई। यह घटना 4 जून की रात लगभग 8 बजे की बताई गई है।
अगले दिन हुई पेशी, पुलिस पर पिटाई का आरोप
गिरफ्तारी के अगले दिन यानि 5 जून को पुलिस ने दोनों आरोपितों को विशेष उत्पाद न्यायाधीश, कोर्ट संख्या-2 सह अपर जिला एव सत्र न्यायाधीश-12 अमित कुमार पांडेय के समक्ष पेश किया। जहां बोरा मांझी ने न्यायाधीश को बताया कि पुलिस अभिरक्षा में उसके साथ मारपीट किया गया है। उसने अस्वस्थ्य होने की बात भी न्यायाधीश को बताई।
कोर्ट ने दिए इलाज के आदेश, थानेदार से जवाब-तलब
अदालत ने अभियुक्त बोरा मांझी के द्वारा कही गई बातों को ऑन रिकार्ड लेते हुए काराधीक्षक को समुचित ईलाज करने का निर्देश दिया। साथ ही शाहपुर ओपी प्रभारी को 24 घंटे के अन्दर कारण पृच्छा समर्पित करते हुए यह स्पष्ट करने को कहा कि किस परिस्थिति में बोरा मॅाझी के साथ पुलिस अभिरक्षा में मारपीट की गई है। वहीं अदालत ने अनुसांधनकर्ता को 24 घंटा के अन्दर कारण पृच्छा समर्पित करते हुए यह स्पष्ट करने को कहा कि उपस्थापन के समय अनुसंधनकर्ता स्वंय उपसिथत नहीं थे।
पेशी के दौरान तबीयत हुई ज्यादा खराब
पेशी के दौरान ही बोरा मांझी की तबीयत अधिक खराब हो गई। अदालत में उपस्थापित होने के तुरंत बाद ही उसकी मौत हो गई। प्रत्यक्षदर्शी की मानें तो मौत से पहले उसने उलटी की।
ओपी प्रभारी ने कोर्ट को दी जवाब
अभियुक्त बाेरा मांझी की मौत की जानकारी मिलते ही शाहपुर आेपी प्रभारी बिभा कुमारी अदालत पहुंची और लिखित सूचना दिया कि अनुसंधानकर्ता की तबीयत खराब होने के कारण पेशी के समय वे स्वयं उपसिथत नहीं रहे। अदालत को यह भी बताया कि मौत उपस्थापन के बाद हो गई। मामला चाहे जो भी हो, मरने के पूर्व अदालत को दिए बयान ने पुलिस की मुश्किलें बढ़ा दी है।
पत्नी व परिजनों के आरोप ज्यादा गंभीर
पुलिस जहां एक ओर कह रही है कि सामुदायिक भवन के पास से गिरफ्तारी की गई। वहीं सोमवार को मौत के खिलाफ वारिसलीगंज-बरबीघा सड़क को बोझवां गांव के समीप जाम कर रहे परिजनों व ग्रामीणों ने जो कुछ बताया पुलिस की थ्योरी से भिन्न है। पत्नी शर्मीला देवी ने बताया कि शनिवार को चौकीदार के निशान देही पर कई घरों में पुलिस छापेमारी करते हुए मेरे घर पहुंची। जहां हम सभी परिवार के सदस्य खाना खा रहे थे। इसी क्रम में गोरे मांझी ने चौकीदार को गाली देते हुए कहा कि तुम बराबर हमारे घर में पुलिस ले आते हो, खोज लो कहां दारु है। जिसके बाद पुलिस मारपीट करते हुए बोरा मांझी व विश्वंभर मांझी को शाहपुर थाना ले गई। सुबह में थाना मिलने गई तो पति ने अपना चोट दिखाते हुए कहा कि हमें मारपीट के कारण रात से पेशाब करने में परेशानी हो रही है। जब शर्मिला ने थानाध्यक्ष से इलाज कराने को कहीं तो डांट कर भगा दिया गया। उन्होंने कहा कि रविवार को भी हमारे पति के साथ थाने में मारपीट किया गया। इसके कारण कोर्ट में ही पेशी के दौरान मृत्यु हो गई। बता दें कि इस मार्ग पर कई घंटे तक जाम रहा। एसडीएम उमेश कुमार भारती, एसडीपीओ पकरीबरावां मुकेश कुमार साहा को जाम हटवाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।
पूर्व में वारिसलीगंज पुलिस पर भी लगे थे आरोप
इसके पूर्व इसी जिले के वारिसलीगंज थाना की पुलिस ऐसे ही गंभीर आरोप लगे थे। कानून को ताख पर रखते हुए चोरी के मामले में गिरफ्तार व्यक्ति व बच्चे को अवैध रूप से पांच दिनों तक हाजत में बंद रखकर पिटाई किया गया था। बंद सभी व्यक्ति व बच्चे खाना के लिये मुहताज रहे। पुलिस ने गया जिला अंतर्गत वजीरगंज थाना क्षेत्र के ममराचक गॉव निवासी सूरज गुलगुलिया, जहानाबाद जिला अंतर्गत हुलासगंज थाना क्षेत्र के हुलासगंज निवासी सुरजदेव गुलगुलिया, काको थाना क्षेत्र के बीबीपुर निवासी लंगड़ा गुलगुलिया, बादल गुलगुलिया को वारिसलीगंज थानाक्षेत्र से 6 अप्रैल को गिरफतार की। वहीं नालन्दा जिला अंतर्गत एकगरसराय निवासी अखलेष मालाकार व उसके पुत्र पंकज कुमार को 7 अप्रैल को एकंगरसराय से गिरफ्तार की। गिरफ्तारी के बाद सभी अभियुक्तों को हाजत में बंद रखा तथा 10 अप्रैल को रात के अंधेरे में अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया। जहां सभी अभियुक्तों ने पुलिस के द्वारा बर्बरतापूर्ण पिटाई की बात कही थी। यह मामला वारिसरगंज थाना कांड संख्या- 140/22 से जुड़ा था। उस वक्त भी अनुसंधानकर्ता से जवाब-तलब हुआ था।
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