Nikay chunav 2022 : मान लीजिए टल ही जाएगा शहरी निकाय चुनाव, आज शाम तक निर्वाचन आयोग कर देगा सबकुछ साफ, तब तक दिल थामकर बैठें सभी प्रत्याशी...
मान लीजिए टल ही जाएगा शहरी निकाय चुनाव, आज शाम तक निर्वाचन आयोग कर देगा सबकुछ साफ, तब तक दिल थामकर बैठें सभी प्रत्याशी...
नवादा लाइव नेटवर्क।
नगर निकाय का चुनाव के विभिन्न पदों के उम्मीदवारों के लिए कतई यह अच्छी खबर नहीं है कि चुनावी प्रक्रिया अगले आदेश तक के लिए स्थगित हो सकती है।
नगर निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विपरीत बिहार में दिया गया है, ऐसा पटना हाई कोर्ट ने माना है। हाई कोर्ट का जो फैसला आया है, सभी पक्षों की परेशानी बढ़ाने वाला है।
मतदान के महज एक सप्ताह पहले आए इस फैसले ने उम्मीदवारों को कहीं का नहीं छोड़ा है। उम्मीदवार अपना सबकुछ झोंक चुके थे। प्रशासनिक स्तर पर भी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका था।
अब हाई कोर्ट का फैसला उम्मीदवारों ही नहीं प्रशासन से लेकर राज्य निर्वाचन आयोग की मुश्किलें बढ़ा दिया है।
पिछड़ा वर्ग को दिया गया आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के 2010 में दिए गए आदेश के विपरीत माना गया है।
हाई कोर्ट का फैसला आने के बाद आगे क्या होगा इसपर कयासों का दौर जारी है। अपने अपने स्तर से आकलन हो रहा है। कुछ का मानना है की पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सीट को छोड़कर अन्य सीटों पर चुनाव करा लिया जाएगा। हाई कोर्ट का फैसला है कि पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सीट को सामान्य घोषित कर चुनाव कराया जा सकता है।
लेकिन, बड़ा सवाल है कि क्या राज्य निर्वाचन आयोग अपने स्तर से ऐसा निर्णय ले सकती है? राज्य सरकार की चाहत को नजर अंदाज किया जा सकता है?
राज्य सरकार पिछड़ा वर्ग को यूं ही मंझदार में छोड़कर चुनाव कराने की मंशा रखती है? यह सब साफ होना अभी बाकी है।
सवाल यह भी है कि क्या राज्य निर्वाचन आयोग फिर से हाई कोर्ट या आगे सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी? एक्सपर्ट का मानना है कि राज्य निर्वाचन आयोग पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकती है। जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट का भी रुख कर सकती है। ये कुछ ऐसे बुनियादी सवाल हैं जो चुनाव के रास्ते में बाधक है।
इधर, पूरे मामले पर निर्वाचन से जुड़े एक अधिकारी से बात की गई तो उनका कहना था कि आज शाम तक स्थिति साफ हो जाएगी की 10 अक्टूबर का चुनाव होगा या नहीं। चुनाव होगा तो किस स्वरूप में होगा। हाई कोर्ट के फैसले का अध्ययन राज्य निर्वाचन आयोग के विधि विशेषज्ञों द्वारा किया जा रहा है। आज शाम तक राज्य निर्वाचन आयोग का आदेश निर्देश जिला प्राप्त हो जायेगा। वैसे इस बात की संभावना ज्यादा है कि चुनाव को अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया जाए। राज्य निर्वाचन आयोग आधा अधूरा चुनाव नहीं कराना चाहेगी।
दरअसल, जिस नगर निकाय में अध्यक्ष_का पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित किया गया है, वहां सिर्फ वार्ड का चुनाव कराने से कोई फायदा होने वाला नहीं है।
हाई कोर्ट के फैसले का असर देखिए, नवादा नगर परिषद के मुख्य और उप मुख्य पार्षद का पद पिछड़ा महिला के लिए आरक्षित था। 10 अक्टूबर को पहले फेज में मतदान होना था। हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद सभी उम्मीदवारों के चुनावी दफ्तर में ताला लटक गया है। प्रचार प्रसार बंद कर प्रत्याशी बुझे मन से घर को लौट गए हैं। अन्य पदों के उम्मीदवारों के स्पीड पर ब्रेक लग गया है।
कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि चुनाव टलना फिलहाल तय दिखता है। ऐसे में उम्मीदवार दिल थामकर बैठें, शाम तक का इंतजार करें। सबकुछ साफ हो जाएगा।
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