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Sansmaran @jp : कार्यकर्ता प्रधान राजनीति एवं समाज नीति के नायक थे जेपी

 


संस्मरण, कार्यकर्ता प्रधान राजनीति एवं समाज नीति के नायक थे जेपी : रामरतन प्रसाद सिंह रत्नाकर

नवादा लाइव नेटवर्क।

1951 के लोकसभा और विधानसभा के संपन्न चुनाव में समाजवादी पार्टी की पराजय ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण को यह सोचने के लिए बाध्य कर दिया की आखिरकार कैसे शोषित पीड़ित जनता का दुख दूर हो सकेगा। कारण तत्कालीन सरकार ने मिक्स इकोनामी की अर्थव्यवस्था स्वीकार ली थी।

जेपी की गांधीजी पर गहरी आस्था थी। यही कारण है कि 16, 17,18 अप्रैल 1954 को बोध गया कि अखिल भारतीय सर्वोदय सम्मेलन में जेपी ने भाग लिया और अचानक लोगों के सामने सर्वोदय और भूदान आंदोलन के लिए जीवन दान करने की घोषणा कर दी। जेपी के भूदान आंदोलन में शरीक होने से जहां भूदान से जुड़े लोगों के हौसले बुलंद हुए, वहीं समाजवादी नेताओं_कार्यकर्ताओं और समाजवादी दर्शन मानने वाले लेखकों में निराशा और क्षोभ पैदा हुआ।

वर्ष 1958 में जेपी धर्म पत्नी प्रभावती के साथ हमारे गांव मकनपुर पधारे थे। उन दिनों हमारे छोटे चाचा गांव के मुखिया थे। जेपी के साथ पकरीबरावां प्रखंड के डुमरामा गांव के चंद्रिका प्रसाद सिन्हा और मगही कवि स्वतंता सेनानी श्रीनंदन शास्त्री भी थे। जेपी तीन दिनों तक हमारे गांव मकनपुर नवादा में रुके। उन दिनों मैं उच्च विद्यालय का छात्र था। 

गांव में जमींदार की कचहरी का गोलघर था। जहां जमींदार अनाज रखते थे। कचहरी को हमारे परिवार ने खरीद लिया था। उन दिनों पटना उच्च न्यायालय के जज रहे कमला सहाय जमींदार थे। गोलघरवा के आसपास जमींदार के द्वारा लगाए गए अनार और केला का पौधा था। अनार बड़े आकार का था और पकने के बाद फट जाता था, मिठा था।चाचा के आज्ञा के अनुसार प्रातः काल चार बड़े अनार प्रभावती जी को दिया करता था। और लगातार तीन दिन अनार प्रणाम करने के बाद देता रहा।

 जेपी पढ़ने के संदर्भ में पूछते थे। गांव की ठाकुरबाड़ी के पास आमसभा हुई। इसमें जेपी ने भाषण किया था मगही कवि ने कविता पाठ किया था। एक हिंदी के कवि ने राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता का पाठ किया था।  संस्मरण के आधार पर उक्त पंक्ति थी_

 गांधी की लो शरण,

पर बदल डालो मिलकर संसार,

या फिर कलिक के हाथों मरने को तैयार,

अपने को ही नहीं देख टुक ध्यान उधर भी देना,

भूमिहीन कृषकों की कितनी बड़ी खड़ी है सेना,

बांध तोड़ जिस रोज फौज खुलकर हल्ला बोलेगी,

तुम दोगे क्या चीज वही जो चाहेगी सो लेगी।

सर्वोदय की अवधारणा को गांव तक पहुंचाने के उद्देश्य से नवादा रेलवे स्टेशन से 35 किलोमीटर पूरव एवं दक्षिण में 4 मई 1954 को सोखोदेवरा आश्रम का उद्घाटन जेपी ने किया। 60 तक आते-आते इस आश्रम में ग्राम निर्माण मंडल का कार्यालय खुल गया। इनके मार्गदर्शन में आश्रम उन्नत कृषि होने लग गया। 

आश्रम में कृषि एवं उद्योग के साथ हजारों लोगों को जोड़ा। इसके मार्गदर्शन में मगध प्रमंडल के 47 संस्था कार्यरत है। जिसमें कृषि, लघु उद्योग, पशुपालन का काम हो रहा है। गया के बुनियादगंज में साबुन, अगरबत्ती तो नवादा के नवाजगढ़ में दरी, कालीन बनता है। जिस कौवाकोल प्रखंड में सोखोदेवरा आश्रम है। उस क्षेत्र में कुष्ठ रोगियों और नशा बाजो की संख्या बहुत थी। सोखोदेवरा से चार किलोमीटर पर कपसिया नामक गांव में कुष्ठ रोग से मुक्ति के लिए अस्पताल खोला गया। जिसका उद्घाटन देश रत्न प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने किया था। कौवाकोल और आसपास के क्षेत्र कुष्ठ से मुक्त हो गया। लेकिन नशाबाजों का शिकार आज भी हजारों लोग हैं।

कौवाकोल और जमुई जिले के जन्म स्थान नाम से पवित्र जैन तीर्थ स्थल के बीच में झीलार नाम के आदिवासियों के गांव में भीम के पौधे पर रेशम का कोवा पैदा करने और झीलार आश्रम में रेशम बुनने के काम आदिवासी कार्यकर्ता कर रहे हैं। 

खासकर विलुप्त हो रहे बिरहोर जाति के आदिवासी तीन कार्यकर्ताओं से हमारी भेट 1971 में हुई वे बिल्कुल समाज से जुड़े हैं। आश्रम में कई दिन रहने और प्रातः कालीन प्रार्थना में भाग लेने एवं जेपी के साथ बैठने का मौका कई बार आया।

 वह मानते थे कि अपने पराए का भेद मिटाना सबसे बड़ा धर्म है। 1974 के जुलाई महीने में समाजवादी नेता एवं बिहार सरकार के पूर्व मंत्री कपिलदेव सिंह के संयोजन में लखीसराय रेलवे स्टेशन के मैदान में जेपी आम सभा में पधारे थे। कपिल देव बाबू ने मुझसे कहा कि आप जेपी के साथ गया तक जाएं। उन दिनों किऊल_गया के बीच चलने वाली ट्रेनों में दो छोटे बोगी प्रथम दर्जे का होता था। जेपी के साथ हम तीन लोग ट्रेन में सवार हुए। जेपी ट्रेन में नवादा जिले के एक दर्जन कार्यकर्ताओं जिसमें सर्वोदय और सोशलिस्ट दोनों थे के नाम और हालचाल पूछते रहे और मैं बताता रहा। 

ट्रेन वारसलीगंज स्टेशन पहुंची तो संपूर्ण क्रांति के आंदोलन में भागीदार कार्यकर्ताओं ने जोश भरे नारेबाजी की तो जेपी बोगी के फाटक पर खड़े होकर बोले हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण है और आप लोग जोश के साथ होश रखकर जनता से जुड़े। लोकतंत्र में जनता सबसे महत्वपूर्ण है और आप कार्यकर्ता जनता की समस्याओं के समाधान के लिए सदा प्रयत्नशील रहे। ट्रेन नवादा स्टेशन पर लगी तो सैकड़ों लोगों ने नारा लगाया माला पहनाया संपूर्ण क्रांति जिंदाबाद।



11 अक्टूबर जयप्रकाश नारायण के जन्म दिवस के मौकेपर विशेष...

 मो. 85 44027 230

_रामरतन प्रसाद सिंह "रत्नाकर"

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