Modern campus : प्रसिद्ध लोकनृत्य पुरुलिया छऊ की मॉडर्न स्कूल में शानदार प्रस्तुति, देखकर मंत्रमुग्ध रह गए विद्यालय के सभी बच्चे
प्रसिद्ध लोकनृत्य पुरुलिया छऊ की मॉडर्न स्कूल में शानदार प्रस्तुति, देखकर मंत्रमुग्ध रह गए विद्यालय के सभी बच्चे
स्पिक मैके के सौजन्य से आयोजित हुआ कार्यक्रम, कलाकारों का विद्यालय में निदेशक महोदय द्वारा किया गया स्वागत
नवादा लाइव नेटवर्क।
उत्तर भारत के लोकनृत्यों में सुप्रसिद्ध छऊ नृत्य को भारतीय कला एवं संस्कृति की विरासत को सहेजने एवं युवाओं तक पहुंचाने के लिए समर्पित संस्था स्पीक मैके के तत्वावधान में मॉडर्न इंगलिश स्कूल, कुंतीनगर, नवादा के परिसर में भव्य प्रस्तुति दी गई, जिसमें पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले से आए 15 सदस्यीय कलाकार मंडली ने अपने ग्रुप लीडर सुशांत महतो के नेतृत्व में ऐसा अद्भुत नृत्य प्रस्तुत किया कि सभी बच्चे एवं बड़े आश्चर्य से दाँतो तले उंगली दबाने पर विवश हो गए।
स्कूली बच्चों के बीच जीवंतता के साथ कलाकारों ने भाव-भंगिमाओं और नृत्य के माध्यम से पौराणिक युद्ध के दृश्यों की तकनीक को विशिष्ट रूप से दर्शाते हुए जो नृत्य प्रस्तुत किया, उसने उनके सुकोमल मस्तिष्क पर अमिट छाप छोड़ने में सफलता पायी। परंपरागत लोक संगीत की धुन के साथ ढोल, धूम्सा, खर्रा, मोहरी व शहनाई जैसे वाद्ययंत्रों का प्रयोग छऊ नृत्य की प्रस्तुति में चार चांद लगा रहे थे।
देखें वीडियो_
कार्यक्रम की प्रस्तुति देने आए कलाकारों को विद्यालय-प्रांगण में स्वागत करते हुए निदेशक डॉ. अनुज कुमार ने गुलदस्ता और अंगवस्त्र प्रदान कर उनका सम्मान किया। इस अवसर पर उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित दर्शकों, विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति और परंपरा अनेक प्रकार की कलाओं से सजी है। शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य कलाएं भारत की समृद्ध परंपरा का बखान तो करती हैं, लेकिन कुछ ऐसी लोककलाएँ भी हैं जिनके कारण हमारी संस्कृति आज भी इस दुनिया में सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। छऊ नृत्य भी इन्हीं में से एक है।
वर्तमान परिवेश में अपनी लोक कलाओं को जीवित रखना हमारे हाथ में हैं। बचपन से बच्चों को शास्त्रीय कलाओं के साथ लोक कलाओं को भी सिखाया जाए तो उनकी भी पहचान भारत की मिट्टी से होगी और हम अपने पुरखों की विरासत को सहेजने में सफल हो सकेंगे।
कलाकारों ने छऊ नृत्य के माध्यम से महिषासुर वध प्रसंग दिखाकर महिला सशक्तिकरण का संदेश दिया। इसमें नृत्य की थीम पौराणिक कथाओं से लिए गए महिसासुर मर्दिनी रखी गई थी। प्रस्तुति की कड़ी में कार्तिकेय अपने वाहन मोर के साथ मनमोहक नृत्य करते हैं। इसी बीच महिसासुर की वेशभूषा में कलाकार इस नृत्य को और रोमांचक बना देते हैं। महिसासुर गणेश और कार्तिकेय को युद्घ में पराजित कर देता है। इसके बाद ब्रम्हा, विष्णु और महेश द्वारा महिसासुर को खत्म करने के लिए नारी शक्ति दुर्गा की रचना की जाती है। देवी दुर्गा द्वारा राक्षस महिसासुर का वध की कहानी को मंच पर प्रस्तुत किया।
इस दौरान प्रमुख आकर्षण के रूप में माँ दुर्गा की सवारी शेर, भगवान शिव की सवारी नंदी एवं महिषासुर के भैंसे के रूप धारण करके बिल्कुल जीवंत प्रतीत होने वाला नृत्य रहा, जिसका बच्चों ने खूब आनंद उठाया।
इस प्रस्तुति में कलाकारों में सुशांत महतो ग्रुप लीडर -शिव डांस, बापी बाउरी - गणेश डांस, कृष्णा कर्मकार - कार्तिक डांस, आदित्य रजवार - दुर्गा माता, शक्त पद बाउरी - महिषासुर, विवेक बाउरी और झाड़ू गोप - असुर, राजेंद्र रजवार और कार्तिक रजवार - शेर, तरूणी रजवार - मोर, मकर रजवार - लक्ष्मी माता, नित्या रजवार - सरस्वती माता, वाद्य यंत्र पर - वरुण महतो , मंटू रजवार , सहदेव वाद्यकार आदि ने अपनी कला से लोगों का मन मोह लिया। मौके पर विद्यालय के इंचार्ज एम.के. विजय सहित सभी शिक्षकगण एवं गणमान्य लोग उपस्थित थे।
No comments