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Nawada News : सीएम नीतीश के नवादा आगमन को लेकर तैयारियां शुरू, डीएम पहुंची अपसढ़, ऐतिहासिक शैरोदह तालाब का लिया जायजा



सीएम नीतीश के नवादा आगमन को लेकर तैयारियां शुरू, डीएम पहुंची अपसढ़, ऐतिहासिक शैरोदह तालाब का लिया जायजा

शैरोदह तालाब का होगा कायाकल्प, सैलानियों को लुभाने के लिए बोटिंग प्रारंभ करने की योजना

बिहार का सबसे बड़ा तालाब है, 360 बीघा है रकबा

नवादा लाइव नेटवर्क।

 नवादा डीएम उदिता सिंह मंगलवार को अपने सहयोगी पदाधिकारियों एवं कर्मियों के साथ वारिसलीगंज प्रखंड के अपसढ़ गांव पहुंची। उन्होंने गांव स्थित ऐतिहासिक शैरोदह तालाब एवं इसके पश्चिमी तटबंध पर बसे महादलित टोला कंचनपुरी का स्थल निरीक्षण किया।

 इस संबंध में अपसढ़ पंचायत मुखिया राजकुमार सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 5 जनवरी से विकास यात्रा पर बिहार भ्रमण पर निकल रहे हैं। नवादा जिले में भी उनका दौरा होना है। सीएम अपसढ़ भी आ सकते हैं। इसी को लेकर डीएम ने अपसढ़ तालाब, इसके किनारे बने पार्क, तटबंध पर बसे महादलित टोला कंचनपुरी तथा अपसढ़ गांव के ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक धरोहरों के संरक्षण की दिशा में किए जा रहे कार्यों का जायजा लिया। इस दौरान उपविकास आयुक्त दीपक मिश्रा, नवादा सदर एसडीएम उमेश कुमार भारती, बीडीओ पंकज कुमार, सीओ प्रेम कुमार सहित कई अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद थे।


मुखिया श्रीसिंह ने बताया कि शैरोदह तालाब को मॉडल तालाब के रूप में विकसित करने की योजना के अनुरूप दो वर्ष पूर्व मनरेगा से इसके किनारे बृक्षारोपण एवं पार्क आदि का निर्माण करवाया गया था। इससे पूर्व लघु सिंचाई विभाग द्वारा 2019 - 20 में 9 करोड़ रुपये से अधिक की राशि से तालाब की साफ - सफाई एवं तटबंध का सुदृढ़ीकरण कार्य करवाया गया था। 

इसके सौंदर्यीकरण एवं अपसढ़ गांव में जहां-तहां बिखरे पुरातात्विक अवशेषों को सहेजकर पर्यटकों को आकर्षित करने लायक बनाया जाना है तथा इसके किनारे लाइटिंग का भरपूर इंतजाम करने की योजना है। सीएम के हाथों इस तालाब में वोटिंग के शुभारंभ करवाने पर पंचायत सरकार बिचार कर रही है। 

लगभग 260 बीघा में फैले इस तालाब को सुंदर बनाने तथा पर्यटन के दृष्टिकोण से तटबंध पर बृक्ष की छाया में बैठने के लिए सीट बनाये जाने का प्रस्ताव है। जबकि देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए तालाब में वोटिंग की व्यवस्था, तटबंध पर हरी दूब लगाने के साथ ही सौंदर्यीकरण का कार्य किया जाना है।


 शैरोदह तालाब के जानकर साहित्यकार रामरतन प्रसाद सिंह 'रत्नाकर' ने बताया कि इसका निर्माण 7वीं सदी में  हुआ है। गुप्त वंश की राजधानी अपसढ़ रही है। जिसका प्रमाण अवशेष के रुप में अपसढ़ गढ़ है। पुरातत्वविदों की देख - रेख में गढ़ की दो बार खुदाई की गई है। इस दौरान अपसढ़ में एक धार्मिक विश्वविद्यालय होने के भी प्रमाण मिले हैं। जबकि खुदाई के दौरान प्राप्त वैष्णव, बौद्ध तथा शैव सम्प्रदाय से जुड़े विभिन्न देवी - देवताओं की दजनों मूर्तियां मिली है। 

गुप्त वंश के अंतिम शासक माधव गुप्त की पत्नी तथा आदित्यसेन गुप्त की माता कोण देवी द्वारा अपनी रानियों के स्नान को लेकर अपसढ़ गांव (तब का अपसन्द गांव) से 200 मीटर उत्तर विशाल तालाब खुदवाया गया था जो फिलवक्त अतिक्रमण का शिकार होकर मात्र 260 बीघा के करीब बची है। 

शुरू से ही क्षेत्र के किसानों के लिए तालाब जीवनदायिनी रही है। बरसात में जल संग्रह के बाद तालाब के पानी से अपसढ़ गांव से उत्तर बसे नेपुरा, शाहपुर , भवानी बीघा , पार्वती , महरथ आदि दर्जनभर ग्रामीण इलाके के छोटे - बड़े किसानों के हजारों एकड़ खेती योग्य भूमि की सिंचाई होती रही है। इस तालाब को पर्यटन स्थल के रुप में विकसित किये जाने के प्रयास की खबर से क्षेत्रवासियों में प्रसन्नता व्याप्त है। 

रिपोर्ट - चंद्रमौलि शर्मा।

 






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