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Bihar news : बिहार प्रगतिशील लेखक संघ 17 वां दो दिवसीय राज्य सम्मेलन का हुआ आगाज, अलग_अलग सत्र में कई विषयों पर चर्चा जारी

 


बिहार प्रगतिशील लेखक संघ 17 वां दो दिवसीय राज्य सम्मेलन का हुआ आगाज, अलग_अलग सत्र में कई विषयों पर चर्चा जारी

नवादा लाइव नेटवर्क।

 "लोकतंत्र पर बढ़ते हमले" "हिफाजत में उठते कदम" विषय से आगाज बिहार प्रगतिशील लेखक संघ 17 वां राज्य सम्मेलन का उद्घटान शनिवार को शुरू हुआ। 

दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन प्रलेस के महासचिव सुखदेव सिंह सिरसा ने किया। जबकि अतिथियों का स्वागत स्वागताध्यक्ष ओ.पी. जायसवाल ने किया।

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 राजधानी पटना के ए.एन.सिन्हा इंस्टिट्यूट के सभागार में आज के मौजू विषय को धार देते हुए राजेन्द्र राजन, विभूति नारायण राय , ब्रजकिशोर पाण्डेय , एस.एन. मालाकार , सुनीता गुप्ता , तनवीर अख्तर , अरुण कुमार , घमण्डी राम , दीपक सिन्हा आदि विद्वान और बहुचर्चित लेखकों ने कर्नाटक चुनाव में बीजेपी की करारी हार को देश की हिफाजत में जनता के उठते कदम बताया। 

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राष्ट्रीय पहचान बनाने वाले मेहमान लेखकों ने कहा कि बिहार की ओर पूरा देश देख रहा है जिसने समय समय पर तानाशाही सत्ता से प्रत्यक्ष लोहा लिया है। राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि आंदोलन के बदलते दौर में अब हमारे साथ हर वर्ग के लोग जुड़ रहे हैं जिसका ताजा उदाहरण शाहीनबाग आंदोलन , किसान आंदोलन और अब राष्ट्रीय महिला खिलाडियों का आंदोलन शामिल है।


 उन्होंने लोगों को आगाह किया कि हमारा दुश्मन धर्म के नाम पर समाज में जहर घोलकर आता है और लोगों की चेतना को कुंद कर देता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष मंडल के साथी राजेन्द्र राजन ने लोगों को चेताते हुए कहा कि नजर का इलाज डॉक्टर कर सकता है लेकिन नजरिये का इलाज खुद करना होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि आज केवल लोकतंत्र पर ही खतरा नहीं है बल्कि जीवन पर खतरा है। 

 हिंदी भाषी क्षेत्र में तानाशाही सत्ता के खिलाफ अपेक्षित आंदोलन नहीं होने पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने इशारा किया कि दक्षिण के राज्यों में लेखकों की हत्याएं हुई है क्योंकि उनके आंदोलन की तीब्रता से सत्ता घबरा जाती है। हमें भी आंदोलन को तीब्र करना होगा। 


   इसी प्रकार दूसरे सत्र में " नफरत की सियासत और लोकमत " तीसरे सत्र में " वर्तमान समय में लेखकों की सृजनात्मक बाधाएँ " चौथे सत्र में " बिहार की लोकभाषाओं के साहित्य में प्रतिवाद के स्वर और आखिरी सत्र में नाट्य प्रस्तुति एवं कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया। देशभर से आये लेखकों ने आज नफरत की सियासत को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया।

 उद्घटान से पहले सम्मेलन स्थल से एक रैली निकाली गई जो आम लोगों के लिए कौतुहलपूर्ण था। नवादा जिले से इस राज्य सम्मेलन में अशोक समदर्शी , परमानन्द सिंह और शम्भु विश्वकर्मा ने भाग लिया और मंच से कविता पाठ करते हुए विभाजनकारी और फासीवादी शक्तियों को चुनौती दे डाली। 

रिपोर्ट :- शम्भु विश्वकर्मा।

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