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Nawada News : कांग्रेस कार्यालय में मना बापू और शास्त्री जी की जयंती, कार्यकर्ताओं ने व्यक्तित्व व कृतित्व पर डाला प्रकाश

  


कांग्रेस कार्यालय में मना बापू और शास्त्री जी की जयंती, कार्यकर्ताओं ने व्यक्तित्व व कृतित्व पर डाला प्रकाश

नवादा लाइव नेटवर्क।


जिला कांग्रेस कार्यालय नवादा में बुधवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई गई। जिलाध्यक्ष सतीश कुमार उर्फ मंटन की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में सर्वप्रथम एक प्रार्थना सभा कर देश के महान विभूतियों को याद किया गया। उसके बाद उनके चित्र पर फूल माला चढ़ाकर श्रद्धांजलि दी गई।

अपने संबोधन में अध्यक्ष श्रीसिंह ने महात्मा गांधी के व्यक्तित्च व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्हें प्यार से ‘बापू’ कहा जाता है। वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता और सत्य व अहिंसा के अनुयायी थे। उनका जीवन कई प्रेरणादायक घटनाओं से भरा हुआ है। उन्होंने न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व को प्रभावित किया। चाहे दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ संघर्ष हो या भारत में ब्रिटिश शासन से मुक्ति के लिए चलाए गए आंदोलनों का नेतृत्व, गांधीजी का हर कदम सत्य, अहिंसा और मानवता की बेहतरी के लिए उठाया गया था।
 

महात्मा गांधी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 गुजरात के पोरबंदर गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम करमचंद गांधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी के पिता कठियावाड़ के छोटे से रियासत (पोरबंदर) के दिवान थे। 13 वर्ष की आयु में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा से हो गया था। गांधी जी हमेशा अहिंसा के पथ पर चलते थे। 

गांधी जी ने वकालत की पढ़ाई लंदन से पूरी की और 1893 में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष शुरू किया। वहां उन्होंने सत्याग्रह का सिद्धांत विकसित किया। 1915 में भारत लौटने के बाद, उन्होंने असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों का नेतृत्व किया, जिससे भारतीय जनता को एकजुट किया। उनका जीवन सत्य, अहिंसा और सामाजिक सुधार के प्रति समर्पित था। 30 जनवरी 1948 को उनकी हत्या कर दी गयी लेकिन उनकी शिक्षाएं आज भी प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।
 


वहीं सोशल मीडिया के जिलाध्यक्ष गोपेश कुमार ने भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अपनी बातें रखी। कहा कि भारतीय राजनीति के ऐसे आदर्श पुरुष थे जिनकी सादगी, निष्ठा और सेवाभाव ने देशवासियों के दिलों में एक विशेष स्थान बनाया। उनका जीवन संघर्ष और सिद्धांतों का प्रतीक है। 

देश के लिए उनकी सेवाएं, उनके सिद्धांत और ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। लाल बहादुर शास्त्री ने महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों से प्रेरित होकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना जीवन समर्पित कर दिया। वे 1920 में असहयोग आंदोलन के दौरान पहली बार जेल गए। इसके बाद 1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और फिर से जेल गए।

मौके पर अक्षय कुमार उर्फ गोरे लाल सिंह, अंजनी कुमार पपू, जमाल हैदर सिद्दीकी, राजा, मोहम्मद उमर खान, शमा परवीन महिला जिला अध्यक्ष, मुकेश कुमार, रामाशीष कुमार, अरविंद कुमार ,रुक्नु उदीन, अजीत कुमार, रोशन यादव, रविंद्र यादव, मोहमद राजा ,गायत्री देवी ,पंकज कुमार, नीरज पासवान रोह प्रखंड अध्यक्ष आदि लोगों उपस्थित थे।
 


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