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यूक्रेन पर रूस के हमले का भारत पर होगा ये असर

 


रूस ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का आदेश दे दिया है। इस आदेश के बाद यूक्रेन के विदेश मंत्री ने कहा है कि रूस ने हमारे देश पर पूरी तरह से हमला कर दिया है। उन्होंने कहा है कि दुनिया यदि रूस को रोक सकती है तो रोके। दूसरी तरफ यूक्रेन के राष्ट्रपति ने भावुक अपील की है। उन्होंने रूस के लोगों से पूछा, क्या आप युद्ध चाहते हैं? रूस के सैन्य कार्रवाई के आदेश पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि पुतिन ने पूर्व नियोजित युद्ध का रास्ता चुना है। पुतिन ने कहा कि युद्ध में हुई मौतों के लिए रूस जिम्मेदार होगा। भारत ने सुरक्षा परिषद् में कहा कि रूस और यूक्रेन इस मुद्दे का शांतिपूर्ण हल निकालें। ऐसे में इस युद्ध का भारत पर क्या असर होगा जानते हैं...

रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष का असर कच्चे तेल की कीमतों पर भी देखने को मिल रहा है। रूस यूरोप में नेचुरल गैस का करीब एक-तिहाई प्रोडक्शन करता है। वैश्विक तेल उत्पादन में रूस की हिस्सेदारी करीब 10 प्रतिशत है। दोनों देशों के युद्ध के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल (Crude) की कीमत 2014 के बाद पहली बार 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई। ब्रेंट की कीमत 100.04 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई जबकि डब्ल्यूटीआई 95.54 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गया। रूस से होने वाली तेल या गैस की सप्लाई का प्रभावित होना सीधे तौर पर भारत के लिए अधिक चिंता का विषय नहीं है। बावजूद इसके कच्चे तेल की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय कीमतें उसकी मुश्किल जरूर बढ़ा सकती हैं।  

भारत में यूक्रेन एंबेसी की वेबसाइट पर दिए आंकड़ों के अनुसार, 2020 में दोनों देशों के बीच 2.69 बिलियन डॉलर का व्यापार था। इसमें यूक्रेन ने भारत को 1.97 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट (Export) किया था। वहीं, भारत ने यूक्रेन को 721.54 मिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट किया था। युद्ध की स्थिति में यूक्रेन के साथ भारत का व्यापार संकट में पड़ जाएगा। एक अनुमान के अनुसार भारत ने साल 2020 में यूक्रेन से 1.45 बिलियन डॉलर के खाद्य तेल की खरीद की थी। इसके अलावा भारत यूक्रेन से खाद, न्यूक्लियर रिएक्टर और बॉयलर खरीदता है। न्यूक्लियर रिएक्टर और बॉयलर के मामले में तो रूस के बाद यूक्रेन भारत का दूसरा बड़ा सप्लायर है। इसकी आपूर्ति में बाधा आने से भारत का न्यूक्लियर एनर्जी कार्यक्रम धीमा हो सकता है। साल 2014 में क्रीमिया को लेकर रूस और यूक्रेन में तनाव बढ़ने से पहले भारत और यूक्रेन के बीच 3 बिलियन डॉलर से अधिक का था। हालांकि, समय के साथ यह सुधरा भी है लेकिन अभी भी यह पुराने स्तर पर नहीं पहुंच पाया है। युद्ध की स्थिति में इसके फिर से संकट में पड़ सकता है।

रूस और यूक्रेन के बीच सैन्य जंग का असर भारतीय शेयर बाजार पर दिख रहा है। आज सुबह से एशियाई बाजारों में भारी गिरावट देखी जा रही है।

रूस और यूक्रेन के बीच सैन्य कार्रवाई का असर चीन के साथ एलएसी पर भी देखने को मिल सकता है। चीन के साथ चल रही तनातनी के बीच इंटरनेशनल रिलेशन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस मौके पर चीन यहां आक्रामक रवैया दिखा सकता है। चूंकि अमेरिका का पूरा ध्यान अभी रूस पर होगा तो चीन को इधर मौका मिल सकता है। ऐसे में संभव है कि ओलंपिक के बाद चीन एलएसी पर कुछ आक्रामक हरकत करे। 

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