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Nawada News : तेजस्वी को झटका दे नीतीश के साथ हो लेंगे अशोक यादव, दोनों की मुलाकात के बाद राजनीत गरम

एमएलसी अशाेक यादव के कंधे पर हाथ रखे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

एमएलसी अशोक यादव की सीएम से मुलाकात के बाद सियासत गरम

नवादा लाइव नेटवर्क।

तस्वीरें बहुत कुछ कहती है। सोमवार की शाम को सोशल मीडिया से लेकर कई बड़े डिजिटल प्लेटफार्म पर नवादा से एमलएसी का चुनाव जीते अशोक यादव की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ की एक तस्वीर ने जिले की सियासत को गरम कर दिया है। सवाल उठने लगे हैं कि क्या अशोक यादव का झुकाव जदयू व उसके सर्वमान्य नेता नीतीश कुमार की ओर हो गया है।

7 अप्रैल को चुनाव जीतने के बाद अशोक यादव पहली बार राजधानी पटना गए। उन्हें पद की शपथ लेनी थी। शपथ लिया भी। लेकिन, इससे इतर की उनकी गतिविधियों ने राजनीत में नया ट्वीस्ट ला दिया है। वे पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास गए। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से मुलाकात की। यहां तक तो सबकुछ ठीक था। राजद से पुराना नाता रहा है। कुछ दिन पहले ही दल से बगावत कर चुनाव लड़े थे। माना गया कि विचारधारा के अनुरूप पुराने घर की ओर हैं। लेकिन, राजनीत का समीकरण तब पूरी तरह से 90 डिग्री पर घुम गया जब वे सीएम आवास की ओर रूख किए। मुख्यमंत्री से मुलाकात की। बाहर निकलने के बाद बताया कि पहले से टाइम लिया हुआ था। पूरे सूबे के मुख्यमंत्री हैं। नवादा के विकास के लिए मिला। लेकिन, बात इतनी सहज नहीं दिखती है। किसी नए नवेले एमएलसी से सीएम की मुलाकात, कंधा पर हाथ रखकर सीएम का तस्वीर सोशल मीडिया पर आना और मुलाकात के समय में जदयू का टॉप लीडरशीप सीएम के अलावा राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और सरकार में वरिष्ठ मंत्री विजेंद्र यादव की मौजूदगी के बड़े मायने हैं।

चर्चा शुरू हो गई है कि क्या अशोक यादव को आगे कर उनके चाचा पूर्व मंत्री राजबल्लभ प्रसाद कुछ और सियासी दांव तो नहीं खेल रहे हैं। राजबल्लभ प्रसाद पिछले कुछ वर्षों से गहरे संकट में फंसे हैं। सजायाफ्ता हो चुके हैं, वह भी आजीवन कारावास। अपील हाईकोर्ट में लंबित है। तो क्या, राजबल्लभ फैमिली जदयू से दोस्ती की ओर बढ़ चले हैं। सवाल उठना लाजिम भी है। 


मुख्यमंत्री के साथ एमएलसी अशोक यादव, नवादा जिला परिषद अध्यक्ष पुष्पा देवी, मंत्री बिजेंद्र यादव, जदयू के अध्यक्ष ललन सिंह

एक और अटकलबाजियां चल रही है। कहा जा रहा है कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की नजर इसबार नवादा सीट पर है। वर्तमान क्षेत्र मुंगेर से हटकर नवादा से चुनाव लड़ सकते हैं। ऐसे में नवादा में अपनी विसात बिछाने में लग गए हैं। अबतक जदयू का अर्थ नवादा में कौशल यादव हुआ करते थे। पिछले कुछ वर्षों में हालात तेजी से बदले हैं। कौशल यादव माननीय नहीं रहे। पत्नी भी चुनाव हार चुकी हैं। बची-खुची उम्मीद एमएलसी चुनाव में जदयू जिलाध्यक्ष सलमान रागीब की हार ने पूरी कर दी है। 18 साल तक लगातार एमएलसी रहने के बाद हारे। जदयू नेतृत्व यह मान बैठा कि उनमें वो राजनीतिक ताकत नहीं रही, जो दो-तीन वर्षों तक हुआ करती थी। ऐसे में राजबल्लभ परिवार जदयू के लिए पूरी तरह खाद पानी का काम कर सकता है।

एक बात और गौर करने वाली है। एमएलसी का चुनाव परिणाम आने के बाद से ही अशोक यादव कभी भी राजद के पक्ष में खुलकर बोलते नहीं दिखे। हर बयान उनका यहीं से शुरू होता है कि दलीय सीमा टूटी। किसी दल की जीत नहीं हुई। सभी पार्टी के वोटरों का समर्थन मिला। अंतिम बात नेता राजबल्लभ यादव हैं। कहां रहना है या जाना है, वहीं तय करेंगे।

अब समझिए , यह सियासत है, इसकी चाल कभी सीधी नहीं होती, देखना है आगे-आगे होता है क्या?  
हमारी नजर इस खास राजनीति गतिविधि पर रहेगी। जो कुछ नया होगा, इसी प्लेटफार्म पर आपको पढ़ने के लिए मिल जाएगा।

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