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Nawada News : रोचक है एमएलसी का चुनावी जंग, मैदान मारने के लिए हर तरफ मजबूत किलेबंदी

 

श्रवण कुशवाहा


रोचक है एमएलसी का चुनावी जंग, मैदान मारने के लिए हर तरफ मजबूत किलेबंदी

श्रवण कुशवाहा का क्या होगा, छह साल में यह पांचवीं चुनाव है उनका

 

वोटिंग से पहले दांव पर लगी है दिग्गजों की साख


नवादा लाइव नेटवर्क। 

नवादा लाइव नेटवर्क।



स्थानीय निकाय कोटे के एमएलसी चुनाव को लेकर कुछ देर बाद वोटिंग शुरू हाेगी। हर प्रत्याशियों के पक्ष में क्षेत्रिय क्षत्रप खड़े हैं, जिनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। अंतिम समय में मतदाताओं को अपने सुरक्षा घेरे में लेने की जद्​दोजहद हो रही है। वैसे, अंतिम के तीन चार दिन अजब-गजब का खेल हुआ। एक प्रत्याशी सुरक्षित वाहन से वोटरों को तीर्थाटन पर ले गए। एक मीटिंग के बहाने बुलाकर वोटरों की पहरेदारी कराते रहे। 

 

इससे इतर, चौक-चौराहों पर कौन जीत रहा है,इसकी चर्चा होती रही। राजद-जदयू के बीच सीधा मुकाबला होगा या फिर दलीय उम्मीदवारों को निर्दलीय खेल बिगाड़ेंगे किसी के पास सीधा जवाब नहीं है। सवाल ही पेचीदा है।

पिछले तीन चुनावों से लगातार जीत रहे सलमान रागिब मुन्ना फिर से जदयू के प्रत्याशी हैं। राजद ने पिछले चुनाव के रनर रहे श्रवण कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया। सिर्फ दल भाजपा से बदलकर राजद हो गया। निर्दलीय अशोक यादव भी हैं। पूर्व मंत्री राजबल्लभ प्रसाद के भतीजे हैं। कांग्रेस से निवेदिता सिंह सहित कुल 11 प्रत्याशी मैदान में हैं।


सलमान रागिब

खेल दिलचस्प मोड़ पर है। जदयू के उम्मीदवार पिछला तीन चुनाव जीत चुके हैं। चौका मारने की बारी है। दूसरी ओर पिछले छह साल में एमएलए-एमएलसी का पांचवीं चुनाव लड़ रहे राजद प्रत्याशी श्रवण कुशवाहा इसबार अपना सबकुछ झोंक चुके हैं। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव उनके समर्थन में रजौली में जनसभा कर चुके हैं। पार्टी विधायक मो. कामरान सारथी बन पूरी शक्ति लगा रखे हैं। श्रवण इस बार सफलता की पूरी उम्मीद लगाए बैठे हैं। समर्थक कहते हैं एंटी इनकंबेंसी का पूरा लाभ मिल रहा है। कोई लड़ाई नहीं है।


इससे अलग, जमीनी हकीकत ये कि प्रत्याशियों को मतदाता उलझा रहे हैं। पूर्व के चुनावों से इतर इस बार के चुनाव की धुरी वोटर ही बन गए हैं। पहले नेता के पीछे वोटर चलते थे। अबकि, नेताओं को वोटरों की परिक्रमा करनी पड़ रही है। मुट्ठी गरम सभी कर रहे हैं, फिर भी यकीन नहीं कि वोटर वोट के समय कहां जाएंगे। परिस्थतियां ही ऐसी बन गई या बना दी गई है कि वोटरों का बड़ा तबका खुलकर किसी की वकालत नहीं कर रहा है।

अशोक यादव

 तीन पोप की अग्निपरीक्षा


नवादा का चुनाव तीन पोप के बीच फंस गया है। राजद प्रत्याशी श्रवण कुशवाहा तो सीधे तेजस्वी यादव के ही पसंद बने। जदयू के सलमान रागिब पूर्व विधायक कौशल यादव के खास हैं। निर्दलीय अशोक यादव पूर्व मंत्री राजबल्लभ प्रसाद के भतीजे हैं। अब तीन पोप की पसंद पर मतदाता को कौन पसंद हैं, 7 अप्रैल को मतगणना के बाद ही साफ होगा।

 

निवेदिता सिंह

सबका अपना मजबूत इलाका

इस चुनाव की खासियत रही कि प्रमुख उम्मीदवारों का अपना एक मजबूत इलाका है। कोई इस प्रखंड तो कोई उस प्रखंड में मजबूत है। इसी प्रकार जातीय कुनबे के अनुसार भी गोलबंदी है। एक ही इलाके के अलग-अलग हिस्से में अलग-अलग उम्मीदवारों की मजबूत पकड़ दिखती है। अंतिम तीन-चार दिनों में एक प्रत्याशी मतदाताओं को राजगीर,देवघर, रजरप्पा घुमाने के लिए घर तक वाहन भेज दिया। दूसरे उम्मीदवार के कार्यकर्ता की निगरानी उन वोटरों पर थी। अब वैसे वोटर पेशोपेश में दिखे जिन्होंने एक से ज्यादा उम्मीदवारों से मुट्ठी गर्म की रखे थे। कुछ गए, कुछ ने नवरात्र, छठ, रामनवमी या गेहूं कटनी का बहाना बना जाने से मना कर दिया।

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