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Nawada Police : नवादा के ई दारोगा हैं बहुते गालीबाज, थाना आएगा तो पटककर मारेंगे, इतना पर ही नहीं आगे और भी...

  


नवादा के ई दारोग़ा हैं बहुते गालीबाज, थाना आएगा तो पटककर मारेंगे, इतना पर ही नहीं आगे और भी...

नवादा लाइव नेटवर्क।

नवादा नगर थाना में पदस्थापित एक दारोगा जी बहुते गाली बकते हैं, थाना आने वालों को पटककर मारने की बात करते हैं, अपशब्दों की ऐसी बौछार करते हैं कि सुनने वाले शर्मा जा रहे हैं। दारोगा जी का गाली मोबाइल में रिकार्ड हो गया है। 

पीड़ित ने बात को बड़े साहब तक पहुंचा दिया है। सप्ताह बीत गया, कार्रवाई होनी बाकी है। इस बीच घटना को दोहरा दिया गया। पीड़ित पक्ष एक पत्रकार हैं।

आम तौर पर पुलिस की पब्लिक में ऐसी ही छवि होती है। लोग थाना जाने से यूं ही नहीं कतराते हैं। हां, दलाल किस्म के लोगों की पूछ- पहुंच होती है। दलाल का काम क्या होता है बताने की जरूरत नहीं है।

हम मुद्दे की बात पर लौटते हैं। वाकया 5 जुलाई की बताई जा रही है। पत्रकार महोदय थाना पहुंचते हैं, देखते ही दरोगा जी फट पड़ते हैं, मनभर गलियाते हैं, थाने से भगा देते हैं, अपभ्रंश शब्दों की बौछार के बीच पत्रकार बेचारे वापस लौट जाते हैं।

लेकिन, वर्दी के नशे में चूर दरोगा जी को यह इल्म तनिक भी नहीं रहा कि सामने वाला पत्रकार है, उनके अनुशासन की प्यार भरी भाषा मोबाइल में रिकॉर्ड कर ली गई है। 

 

दारोग़ा  विनोद कुमार सिंह

कुछ दिनों पूर्व की बात है, एसपी डॉ गौरव मंगला द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई थी। उनकी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस थी। तब मीडिया की ओर से यह सवाल पूछा गया था कि आज का थाना-पुलिस खौफ का पयार्यवाची बनता जा रहा है, पुलिस का पब्लिक से मित्रवत व्यवहार हो इसके लिए आप क्या करेंगे? उनका जवाब था कि सरकार के बहुत सारे दिशा निर्देश हैं, उसका अनुपालन होगा। जवाब संतोषजनक था, लेकिन इस प्रसंग ने उनके संदेश को झुठला दिया है।

सुनें रिकॉर्डिंग

 


अब पीड़ित पत्रकार की बात करें तो उनका कहना है कि आपराधिक गतिविधियों पर निष्पक्ष रिपोर्टिंग करने से कुपित होकर ऐसा किया गया है। सही खबर लिखने वालों पर थाने के बाबू लोगों की वक्र दृष्टि रहती है। थाना के कुछ अफसर दलालों को ही प्रश्रय दिया करते हैं, हमारे जैसे लोग के थाना जाने का मतलब ही होता है कबाब में हड्डी। बात बस इतनी भर है। पत्रकार हिमांशु कुमार सिन्हा थे और दारोगा जी विनोद कुमार सिंह। हालांकि, नवादा लाइव इस बातचीत की रिकॉर्डिंग की पुष्टि नहीं करता है। जो भी लिखा जा रहा है पीड़ित शिकायत आधार है। दारोग़ा जी का भी पक्ष लेने का प्रयास हुआ, लेकिन संभव नहीं हुआ।

कुल मिलाकर इस प्रसंग से यह साबित होता है कि पुलिस कप्तान के निष्पक्ष और पारदर्शी पुलिसिंग के अभियान में उनके मातहत ही रोड़ा बन रहे हैं। जरूरत है ऐसे अफसरों के काम-व्यवहार पर निगरानी और कार्रवाई की। ऐसा नहीं हुआ तो अपराध पर लगाम कसना मुश्किल होगा।

 दो दिनों पूर्व ही एक ही दिन में 3 बाइक की चोरी नगर के विभिन्न इलाके से हुई। सवाल है कि किसी को गाली बकने से अपराध रुकेगा। ये गाली बकने वाले अफसर की अपराध रोकने में क्या भूमिका रही है, सवाल मीडिया और पब्लिक पूछेगी ही, और जवाब गालीबाज दारोगा दें या न दें, ऊपर के पदाधिकारियों को तो देना ही होगा। आखिर, तनख्वाह पब्लिक टैक्स का ही लेते हैं। सिर्फ टाइम पास, दोहन, शोषण करने भर के लिए ये लोग यहां नहीं हैं।

हां, अंत में एक बात और कह दें कि थाना तो नवादा के लोगों का ही है। 





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