Aajaadee ka amrit mahotsav : स्वतंत्रता आंदोलन के अप्रतिम साहस जाटो सिंह, जानिए काैन हैं जाटो बाबू...
स्वतंत्रता के अमर सेनानी जाटो बाबू |
आजादी का अमृत महोत्सव : स्वतंत्रता आंदोलन के अप्रतिम साहस जाटो सिंह
नवादा लाइव नेटवर्क।
हिन्दियों में बू रहेगी जब तलक इमान की।
तख्ते लंदन पर चलेगी तेग हिन्दुस्तान की।।
इन्हीं पंक्तियों की अनुगूंज से प्रेरित होकर डॉ० अनुग्रह नारायण सिंह एवं स्वामी सहजानंद सरस्वती के आह्वान पर जाटो सिंह ने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने का स्वत:स्फूर्त निर्णय लिया था।
गया जिलान्तर्गत पकरीबरावां प्रखंड के चरौल गांव में जाटो सिंह आत्मज स्वर्गीय झरी सिंह का जन्म 9 दिसंबर,1915 को एक अति भूमिहीन किसान परिवार में हुआ था। सन् 1973ई० में गया से नवादा अलग जिला बनी।आज चरौल गांव कौआकोल प्रखंड के पाण्डेय गंगौट पंचायत में अवस्थित है। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय पकरीबरावां के मिडिल स्कूल से ली थी। इन्होंने मैट्रिक परीक्षा 1935ई० में औरंगाबाद के गेट स्कूल से बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र नारायण सिंह के साथ पास की।
करो या मरो का सफर इन्होंने काला पानी सजाभोक्ता विश्वनाथ माथुर, आजादी के दीवाने विशुनदेव नारायण सिंह, लखन बरई, पूना महतो, बाढ़ो सिंह, राम नाथ सिंह के साथ मिलकर पकरीबरावां पोस्ट ऑफिस को जला दिया था। इसी वारदात के बाद इनकी गिरफ्तारी का वारंट जारी हुआ किन्तु वे साथी के संग फरार हो गए।फरारी के बाबजूद वे अंडरग्राउंड रहकर सेनानियों की हर संभव मदद करते रहे। इन्होंने अपने मित्रों के साथ कौआकोल पहुंचे अंग्रेजों के रास्ते को एक पेड़ को काट कर अवरुद्ध कर दिया था। खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे की तर्ज़ पर एक अंग्रेज सिपाही की तू- तू, मैं-मैं की हालात का सामना करते हुए सिपाही की चूल हिला कर भागना पड़ा था।
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाजू- ए- कातिल में है जैसे जज्बे से लबरेज जाटो सिंह आखिरकार झारखंड के मरचोई गांव में साथियों के साथ पकड़ लिए गए और इन्हें जेल की सलाखों में बंद कर दिया गया।
स्वतंत्रता सेनानी जाटो सिंह अपनी पत्नी बेदामी देवी के साथ। (फाइल फोटो) |
इन्हें चार वर्ष तीन महीने की सजा के साथ पच्चास रुपए जुर्माना सहित छह सप्ताह की सश्रम सजा सुनाई गई थी। काफी जद्दोजहद के बाद इनकी सजा में दो वर्ष की किफायत बरती गई और बाकी बची सजा इन्हें भोगनी ही पड़ी।जेल की यातनाओं एवं कुव्यवस्था से तंग आकर इन्हें जेल में भूख हड़ताल पर भी बैठना पड़ा था जहां इन्हें बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री सत्येन्द्र नारायण सिंह का साथ मिला।
कारावासी साथी सत्येंद्र नारायण सिंह के साथ उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा औरंगाबाद के गेट स्कूल से 1935 ई० में पास की थी।
रामलीला प्रेमी डॉ० अनुग्रह नारायण सिंह के बहनोई त्रिवेणी सिंह का आना - जाना कौआकोल तक बना रहता था क्योंकि वे जमींदारी के सिलसिले में आया करते थे। रामलीला मंचन के दौरान ही इनकी भूमिका से प्रसन्न होकर इन्हें पोइमा स्टेट में रखकर पढ़ाने का मन बनाया था। उस वक्त इनके एकमात्र चचेरे बड़े भाई रामसहाय सिंह पोइमा स्टेट के खानसामा हुआ करते थे।
9 दिसंबर,1915 से 18अप्रैल,1998की जीवन यात्रा में इन्होंने शिक्षा एवं समाज सेवा के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान दिया। सन् 1942ई० के पूर्व मिडिल स्कूल फुलडीह की नींव इन्होंने मदन मोहन सिंह, विशुनदेव नारायण सिंह, पूना महतो आदि के साथ मिलकर रखी जो आज भी शिक्षा का दीप जलाने में अग्रणी भूमिका का निर्वहन कर रहा है।इनके एकमात्र बच्चे वारिस नरेन्द्र प्रसाद सिंह का कहना है कि इनका पी० पी० ओ० नं० s/c 3045(pol) है। ऐसे स्वतंत्रता आंदोलन के अप्रतिम साहस जाटो सिंह को आजादी के 75 वें वर्ष की अमृत महोत्सव में नवादा की जनता तमाम शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानीयों को स्मरण कर गर्व महसूस करती है।
- नरेन्द्र प्रसाद सिंह
आत्मज स्मृति शेष जाटो सिंह
ग्राम : चरौल, कौआकोल (नवादा)
मोबाइल नंबर:9973121452.
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