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Big News : नवादा के दो डॉक्टरों पर गिरफ्तारी की तलवार, लपेटे में जिला पार्षद अंजनी सिंह और उनके शागिर्द भी, कुछ पुलिस वाले भी संकट में

     

डा धनंजय

नवादा के दो डॉक्टरों पर गिरफ्तारी की तलवार, लपेटे में जिला पार्षद अंजनी सिंह और उनके शागिर्द भी, कुछ पुलिस वाले भी संकट में

मामला गलत जख्म प्रतिवेदन देने का

7 साल से बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं पीड़ित

पीड़ित पेशे से हैं कॉलेज में प्राध्यापक

नवादा लाइव नेटवर्क।

नवादा जिले के दो डॉक्टरों वारिसलीगंज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डा धनंजय कुमार और सदर अस्पताल के डा संजीत कुमार पर गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है।

 

अंजनी सिंह

 लपेटे में वारिसलीगंज के जिला पार्षद अंजनी सिंह, उनके सहयोगी पंकज पाठक और मधोरन सिंह भी हैं। कुछ अन्य डॉक्टर और पुलिस पदाधिकारी भी संकट में हैं। 


मामला जख्म प्रतिवेदन (इंजरी रिपोर्ट) में तथ्य के साथ छेड़ छाड़ का है। पटना हाईकोर्ट की इसमें दखल ने आरोपितों की मुश्किलें बढ़ा दी है। एसपी द्वारा सभी आरोपितों की गिरफ्तारी का आदेश दिया गया है।

 समझिए कया है पूरा घटनाक्रम 

इस मामले को समझने के लिए 7 साल पीछे जाना होगा। 2 जुलाई 15 को वारिसलीगंज थाना इलाके के कुटरी ग्रामीण पेशे से भागलपुर के कालेज में प्राध्यापक प्रो. बलिराम प्रसाद के साथ मारपीट की घटना उनके गांव में हुई थी। जिसकी प्राथमिकी उन्होंने थाना में कांड संख्या 181/15 दर्ज कराई थी। हत्या की नीयत से जानलेवा हमला का आरोप था। इस मामले में पीएचसी वारिसलीगंज में कार्यरत डा धनंजय और सदर अस्पताल नवादा में प्रतिनियुक्ति पर रहे डा संजीत द्वारा इंजरी रिपोर्ट दिया गया था। पीड़ित का आरोप था कि गलत इंजरी रिपोर्ट दिया गया है। आरोपितों को लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा किया गया है। 


पीड़ित प्रोफेसर ने फर्जी इंजरी रिपोर्ट तैयार बनाने के दोषियों पर कार्रवाई के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी। पीएम से लेकर सीएम तक पत्राचार कर इंसाफ की गुहार लगाई। पुलिस के तमाम वरीय अधिकारियों तक मामले को ले गए। जांच हुई तो पीड़ित पक्ष का दावा सही निकला।


चिकित्सकों पर हुआ एफआईआर 

पीड़ित की लड़ाई का असर हुआ कि 3 साल बाद 2018 में दोनों चिकित्सकों और कांड के आरोपितों (मारपीट के आरोपितों) के खिलाफ एफआईआर वारिसलीगंज थाना कांड संख्या 121/18 दर्ज हुआ।



पुलिस ने नहीं की आगे की कार्रवाई

आरोप है कि भारी दबाव के बीच पुलिस ने प्राथमिकी तो दर्ज कर ली लेकिन किसी आरोपितों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। 


पीड़ित पहुंच गए हाईकोर्ट

एफआईआर के 3 साल बीत गया। इंसाफ नहीं मिलता देख पीड़ित प्रोफेसर पटना हाईकोर्ट पहुंच गए। हाईकोर्ट में याचिका cwjc 859/21 दायर किया। हाईकोर्ट से जब पुलिस को नोटिस जारी हुआ तब एसपी ने कांड को आईपीसी की धारा 420, 468, 471, 197, 201, 120 (बी) में सत्य करार देते हुए दोनों चिकित्सक और जिला पार्षद तथा इनके सहयोगियों पंकज पाठक और मधोरन सिंह की गिरफ्तारी का आदेश दिया। 26 जुलाई 22 को हाईकोर्ट में नवादा पुलिस का काउंटर एफीडेविट प्रस्तुत किया गया। जिसमें गिरफ्तारी आदेश का जिक्र है। जिसपर सुनवाई हुई। हाई कोर्ट द्वारा आगे की प्रगति रिपोर्ट तलब किया गया है। 18 अगस्त को फिर सुनवाई होनी है।


कई और डॉक्टर हैं घेरे में 

मामला दो डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई तक सिमटा हुआ नहीं है, बल्कि कई और डॉक्टर भी उलझे हुए हैं। पीड़ित का कहना है की गलत इंजरी रिपोर्ट बनाने की जांच शुरू हुई तो सदर अस्पताल में मेडिकल बोर्ड गठित हुआ था। मेडिकल बोर्ड द्वारा आरोपित चिकित्सकों को बचाने का प्रयास किया गया था। इस टीम में कई नामी गिरामी चिकित्सक थे।


कांड के अनुसंधानकर्ता पर भी संकट 

पीड़ित पुलिस के ढीले ढाले रवैए से भी आहत हैं। कहा की 7 साल से कानून के दायरे में रहकर लड़ाई लड़ रहा हूं। इंसाफ नहीं मिला तब थक हारकर हाईकोर्ट की चौखट पर गया। कांड के कई अनुसंधानकर्ता रहे हैं। किसी ने अबतक कुछ भी नहीं किया। उल्टे आरोपितों के साथ मंच शेयर करते रहे। रसूख के कारण ऐसा हुआ। जवाब तो उन्हें भी देना ही होगा। हाईकोर्ट में मजबूती से पक्ष रखूंगा। ऐसा हुआ तो कांड के अनुसंधानकर्ता सहित अन्य अधिकारियों की भी मुश्किलें बढ़ेंगी।


दोनों चिकित्सक का बदल गया है कार्यस्थल

जानकार बताते हैं की इंजरी रिपोर्ट देने वाले दोनों चिकित्सकों का कार्यस्थल बदल गया है। डा धनंजय फिलहाल गोविंदपुर सीएचसी के प्रभारी चिकित्सक हैं। वहीं डा संजीत अकबरपुर पीएचसी में पदस्थापित हैं। 

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