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Big News : रजौली एसडीएम और नवादा डीएसओ मुश्किलों में, लगे आरोपों की जांच करेंगी डीएम, डीलर को बचाने के लिए जालसाजी का मामला

  

आदित्य कुमार पियूष, एसडीएम, रजौली

रजौली एसडीएम और नवादा डीएसओ मुश्किलों में, लगे आरोपों की जांच करेंगी डीएम, डीलर को बचाने के लिए जालसाजी का मामला 

नवादा लाइव नेटवर्क।

एक डीलर को बचाने के लिए कथित जालसाजी के आरोपों में घिरे रजौली के एसडीएम आदित्य कुमार पियूष और नवादा के जिला आपूर्ति पदाधिकारी अजय कुमार प्रभाकर की मुश्किलें बाद गई है। सामान्य प्रशासन विभाग ने डीएम नवादा से मामले की जांच कर प्रतिवेदन समर्पित करने का आदेश दिया है। सरकार के अवर सचिव शिव मोहन प्रसाद ने पत्रांक 15899 दिनांक 6 सितंबर 22 की तिथि में जिलाधिकारी नवादा को आरोपों की जांच कर प्रतिवेदन यथाशीघ्र उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। आरटीआई कार्यकर्ता नवादा जिले के कौआकोल के प्रणव कुमार चर्चिल की शिकायत पर जांच का आदेश दिया गया है।

 जानिए क्या है पूरा मामला

एक जन वितरण दुकान का लाइसेंस लेने के लिए फर्जी सर्टिफिकेट का इस्तेमाल किया गया। बात जब खुली तो आरोपित डीलर को बचाने के लिए सारा सिस्टम एक पैर पर खड़ा हो गया। एक झूठ को सच साबित करने के लिए लगातार गलत पत्राचार किया गया। संबंधित अधिकारियों की गर्दन जब फंसने लगी तो डीलर का लाइसेंस रद्द कर दिया गया।

नवादा जिले के रजौली अनुमंडल के सिरदला प्रखंड क्षेत्र का यह मामला था। जहां के धीरौंध पंचायत के नवाबगंज निवासी भोला लाल बर्नबाल के पुत्र विकास कुमार के नाम 2018 में जनवितरण दुकान का लाइसेंस 80/18 निर्गत किया गया था। लाइसेंस लेने के लिए अपनी शैक्षणिक योग्यता में स्नातक की डिग्री को संलग्न किया था। डिग्री बुंदेलखंड विश्व विद्यालय झांसी का था। 

पढ़ें सामान्य प्रशासन विभाग का डीएम को जारी पत्र


डाली गई थी आरटीआई

विकास की डिग्री जाली होने के संदेह में एक आरटीआई अनुमंडल पदाधिकारी रजौली को दी गई, जिसमें विकास के सभी सर्टिफिकेट की अभिप्रमाणित प्रति की मांग की गई थी। आरटीआई से मांगी गई सूचना जो उपलब्ध कराई गई उसपर आवेदक संतुष्ट नहीं हुए। कौआकोल प्रखंड के बरौन निवासी प्रणव कुमार  चर्चिल द्वारा आरटीआई डाली गई थी।


लोक शिकायत में पहुंचा मामला

आरटीआई के माध्यम से सही सूचना नहीं देने का जिक्र करते हुए प्रणव  जिला लोक शिकायत में मामले को ले गए। सुनवाई के बाद अपील को यह कहकर खारिज कर दिया गया की विकास के प्रमाण पत्र का सत्यापन बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से  कराया गया है, जो सही पाया गया है। सत्यापन रिपोर्ट 6.12.21 की तिथि में पत्रांक reff.no. bu/conf./2021/2199 से एसडीओ रजौली को प्राप्त हुआ था।

एसडीओ रजौली द्वारा जांच कराई गई थी। एसडीओ के रिपोर्ट के आधार पर जिला आपूर्ति पदाधिकारी अजय कुमार प्रभाकर द्वारा जिला लोक शिकायत को पत्र भेजा गया था।


कमिश्नर के पास किया गया अपील

आरटीआई कार्यकर्ता प्रणव ने जिला लोक शिकायत द्वारा पारित आदेश को आयुक्त के पास चुनौती दी। आयुक्त स्तर से भी अपील को भी खारिज कर दिया गया। डीएसओ की उसी रिपोर्ट को आधार बनाया गया जिसमें कहा गया था कि सर्टिफिकेट सत्यापन में सही पाया गया है।

आवेदक चले गए झांसी

 आयुक्त से अपील खारिज होने के बाद आरटीआई कार्यकर्ता प्रणव झांसी बुंदेलखंड विश्वविद्यालय चले गए। जहां उन्होंने 6.7.22को कुलसचिव को आवेदन देकर सर्टिफिकेट का सत्यापन करने का आग्रह किया। जिसके बाद सत्यापन में सर्टिफिकेट फर्जी पाया गया। सत्यापन का प्रतिवेदन एसडीओ रजौली को भी भेजा गया।

रद्द किया गया अनुज्ञप्ति

बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलसचिव का सत्यापन प्रतिवेदन आने के बाद डीलर का लाइसेंस रद्द कर दिया गया। 


दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग

डीलर का लाइसेंस रद्द होने के बाद प्रणव द्वारा दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की गई थी। मुख्य सचिव बिहार, डीएम नवादा, एसपी नवादा सहित अन्य वरीय अधिकारियों को प्रणव ने पत्र भेजकर एसडीओ रजौली आदित्य कुमार पीयूष, जिला आपूर्ति पदाधिकारी अजय कुमार प्रभाकर और लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी कारी प्रसाद महतो के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। सीधे तौर पर एफआईआर करने की मांग की गई थी।  इन पदाधिकारियों पर सीधा आरोप लगाया गया था कि आरोपित को लाभ पहुंचाने के लिए साक्ष्य छिपाने का काम किया गया।

 

घटनाक्रम एक नजर

26.7.21 को एसडीओ से सूचना मांगी गई।

18.9.21 को एसडीओ द्वारा सूचना उपलब्ध कराई गई।

30.9.21 एसपी से शिकायत, कूट रचित सूचना उपलब्ध कराने का आरोप

21.12.21 को जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय में वाद दायर किया गया।

7.3.22 को जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय में वाद का निपटारा किया गया। सर्टिफिकेट को सही करार दिया गया।

17.3.22 को आयुक्त के कार्यालय में अपील दायर किया गया। 

18.4.22 को डीएसओ द्वारा पत्रांक 249 द्वारा आयुक्त कार्यालय को रिपोर्ट भेजी गई, जिसमें सर्टिफिकेट को सही बताया गया।

21.5.22 को आयुक्त कार्यालय द्वारा अपील को खारिज किया गया। 

6.7.22 को प्रणव झांसी बुंदेलखंड विश्वविद्यालय पहुंचे, आवेदन दिया।

7.7.22 को बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुल सचिव ने पत्रांक बु. वि./गो./20222/3040 के माध्यम से विकास के सर्टिफिकेट को फर्जी बताया गया।

 16.7.22 को प्रणव ने दोषी अधिकारियों पीआर कार्रवाई के लिए डीएम, एसपी सहित अन्य वरीय अधिकारियों को पत्र लिखा।

अगस्त 2022 के प्रथम सप्ताह में डीलर का लाइसेंस रद्द किया गया।

6 सितंबर 22 सामान्य प्रशासन विभाग ने डीएम नवादा से जांच रिपोर्ट की मांग की। 

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